- अंशु ठाकुर, दिल्ली दर्पण टीवी
दिल्ली में 1 जुलाई से डीजल की 10 साल और पेट्रोल की 15 साल पुरानी गाड़ियों के कंप्लीट फ्यूल बैन लागू कर दिया गया है, ताकि ये गाड़ियां सड़कों पर न चल सकें। पुरानी हो चुकीं इन गाड़ियों से निकलने वाले घरों के कारण दिल्ली में होने वाले संभावित वायु प्रदूषण को रोकने के लिए यह बैन लागू किया गया है, लेकिन ऐसी गाड़ियों को दिल्ली-एनसीआर के बाद देश के अन्य राज्यों में चलने की छूट है।
यही वजह है कि बड़ी तादाद में लोग ट्रांसपोर्ट विभाग से एनओसी लेकर दिल्ली में डी-रजिस्टर्ड की जा चुकी अपनी गाड़ियों को दूसरे राज्यों के लोगों को बेच रहे हैं और इन्हें खरीदने वाले लोग अन्य राज्यों में इन गाड़ियों को रजिस्टर्ड करवा कर उनका खूब इस्तेमाल कर रहे हैं।

ग्रामीण इलाकों में दोपहिया का इस्तेमाल
परिवहन विभाग के कुछ जानकार लोगों ने बताया कि दिल्ली में डी-रजिस्टर्ड हो चुके टू व्हीलर तो दोबारा रजिस्ट्रेशन के बाद ज्यादातर ग्रामीण इलाकों या छोटे शहरों में यूज हो रहे हैं, जबकि फोरवीलर्स का इस्तेमाल बड़े शहरों, खासकर टूरिस्ट प्लेस पर कैब या टैक्सी के रूप में हो रहा है। हाल में दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में ट्रैवल करके आए एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में डी-रजिस्टर्ड हुई इनोवा और डिजायर जैसी पेट्रोल डीजल की कई गाड़ियां बड़ी संख्या में तमिलनाडु और केरल तक में टूरिस्ट टैक्सी के रूप में चल रही है।
क्या कह रहे ट्रांसपोर्ट विभाग के आंकड़े?

दूसरे राज्यों में इन गाड़ियों का दोबारा से रजिस्ट्रेशन करवा के इनका बाकायदा कमर्शल इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि गाड़ियों के परिचलन पर उम्र आधारित बैन पूरे देश में केवल दिल्ली-एनसीआर में ही लागू है। ट्रांसपोर्ट विभाग के आंकड़े भी बताते हैं कि बड़ी संख्या में लोग अपनी उम्रदराज गाड़ियों को दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड कराने के लिए एनओसी ले चुके है।