- राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति दिल्ली का गठन,
- अनुसूचित जनजाति सूची प्रकाशन की
मांग - दिल्ली दर्पण ब्यूरो
विभिन्न राज्यों से आकर दिल्ली मे स्थापित हो चुके आदिवासियों ने एकजुटता दिखाने और आपस में सामंजस्य बिठाने के लिए दिल्ली में काम करने वाली संस्थाओ की बैठक का आयोजन राष्ट्रीय आदिमजाति सेवक संघ के मुख्यालय झंडेवाला पर किया गया। बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय आदमजाति सेवा संघ के महासचिव अजय कुमार चौबे ने की व संचालन अखिल भारतीय धानका आदिवासी समाज के संयोजक राजेंद्र खर्रा ने किया।
दिल्ली मे जनजातियों के लिए काम करने वाली विभिन्न आदिवासी संस्थाओ के प्रतिनिधियों ने अपने विचारों से सभी को अवगत कराया और आदिवासी की समस्याओं को दिल्ली सरकार, केंद्रीय सरकार व विभिन्न प्रशासन अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए एक समन्वय कमेटी के गठन पर जोर दिया, बैठक में आए आदिवासी संस्थाओं के सभी प्रतनिधियों ने एक साथ मिलकर “राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति दिल्ली” का गठन किया।
राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति में कुल 26 संस्थाओं ने सहमति जताई इन 26 संस्थाओं सर्वसम्मति से अगली बैठक में समन्वय समिति का विस्तार व कार्य प्रणाली पर विचार किया जाएगा,राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति आदिवासियों की आवाज दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और प्रशासन अधिकारियो तक पहुंचाने मे अहम भूमिका निभाएगी दिल्ली सरकार मे पुरजोर मांग करेगी कि दिल्ली मे रहने वाले सभी आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारो को दिलाने के लिए दिल्ली की जाति सुचि मे अनुसूचित जनजाति की सुचि प्रकाशित की जाए। राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति दिल्ली आदिवासियो की समस्याओं को हल करने के साथ-साथ आदिवासियों की एक विशेष पहचान दिल्ली में स्थापित करने का प्रयास करेगी।

विभिन्न राज्यों से दिल्ली में बसे आदिवासी समुदाय ने अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और सामाजिक एकजुटता के लिए बड़ा कदम उठाया है। राष्ट्रीय आदिमजाति सेवक संघ के झंडेवाला स्थित मुख्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में आदिवासी संगठनों ने एकजुट होकर “राष्ट्रीय आदिवासी समन्वय समिति दिल्ली” का गठन किया। इस बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय आदिमजाति सेवक संघ के महासचिव अजय कुमार चौबे ने की, जबकि संचालन अखिल भारतीय धानका आदिवासी समाज के संयोजक राजेंद्र खर्रा ने किया।बैठक में दिल्ली में कार्यरत 26 आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और आदिवासी समुदाय की समस्याओं को दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने की रणनीति पर चर्चा की। प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से समन्वय समिति के गठन को मंजूरी दी, जो आदिवासियों के अधिकारों की पैरवी करने और उनकी विशिष्ट पहचान स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगी।समिति की अगली बैठक में इसका विस्तार और कार्यप्रणाली तय की जाएगी। समिति ने दिल्ली सरकार से पुरजोर मांग की है कि दिल्ली में रहने वाले आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए अनुसूचित जनजाति की सूची को जाति सूची में शामिल कर प्रकाशित किया जाए। साथ ही, समिति आदिवासियों की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प ले चुकी है।यह गठन दिल्ली में आदिवासी समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जो न केवल उनकी आवाज को बुलंद करेगा, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी में उनकी पहचान को भी सशक्त बनाएगा।