दिल्ली। मनोज तिवारी क्यों है भाजपा पर भारी ? ये है मनोज तिवारी के 5 बड़े विवाद

–राजेंद्र स्वामी ,
दिल्ली। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी अपने गाने को लेकर इस बार अपने ही कार्यकर्ताओं के निशाने पर है। वजह दिल्ली की एक शादी में गया गया एक गाना है जिसके लिए खबर है की तिवारी ने पार्टी के चंदे के लिए एक लाख रुपये लिये है। पार्टी कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि कई वरिष्ठ नेता भी चंदा लेने के इस तरीके को पार्टी अध्यक्ष पद की गरिमा को ठेस पहुंचने वाला आदम मान रहे है। बीजेपी हलके में चर्चा है की केंद्र से लेकर कई राज्यों में बीजेपी की सरकार है, दिल्ली में ही बड़े बड़े उद्योगपति और कारोबारी इसके सदस्य है ऐसे में उन्हें इस तरह नाच गाकर चन्दा लेने की जरूरत क्या है ? हालांकि अपनी झेंप मिटने के लिए पार्टी नेता मीडिया बस इतना कहकर अपनी झेंप मिटा लाइट है की वे एक कलाकार है और अपने कला से पार्टी के लिए पैसा जमा करते है तो कोइ बुराई नहीं है।
मनोज तिवारी इससे पहले भी कई बार विवादों में रहे है। चाहे वह नोट बंदी के दौरान बैंकों की लाइन में लगी जनता का मजाक उड़ने की बात हो या उनके उनके क्षेत्र के एक स्कूल की शिक्षिका के अपमान का मामला हो , मनोज तिवारी अपने गाने के लेकर अक्सर विवादों में रहतें है।
“दिल्ली दर्पण टीवी ” पर नोटबंदी के दौरान गया गया एक गाना भी देशभर मनोज तिवारी के लिए परेशानी का सबब बना।
मनोज तिवारी नोटबंदी के दौरान बीजेपी के बड़े बड़े नेताओं के समक्ष ” देश भक्त है कतार में लगे है भारी भीड़ ” गाया और बताया की उन्होंने किस तरह बैंकों की लाइन में लगी जनता को राष्टभक्ति की घुट्टी पिलाकर उनका बेवकूफ बनाया। दिल्ली दर्पण टीवी पर इस खबर को दिखने के बाद देशभर में विपक्ष को बीजेपी पर हमला करने का मौक़ा मिल गया।
ऐसा नहीं है की मनोज तिवारी गाहे बगाहे अपने गानों के लेकर ही विवादों में रहतें हो। उनके फैसले भी उनकी और उनकी पार्टी की किरकिरी का कारन बने है। अपने इलाके में सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण सहित कई विकास कार्यों की मांग को लेकर वे दिल्ली सरकार के खिलाफ अनिश्चित काले भूख हड़ताल पर बैठे लेकिन कुछ ही घंटों बाद उन्होंने उपराजयपाल के आश्वाशन के बाद अपना अनशन वापस ले लिया। इस पर भी सवाल उठे मनोज तिवारी ने यह अनशन किसके खिलाफ किया था। एलजी के या मनोज तिवारी के ? आम आदमी पार्टी ने भी कहा की दिल्ली सरकार ने तो की आश्वाशन दिया नहीं फिर वे धरने पर किसके खिलाफ बैठे थे ? यदि एलजी ही सब कुछ कर सकतें है तो फिर दिल्ली सरकार को दोष क्यों ? मनोज तिवारी का यह फैसला उनकी सयासी समझ पर सवाल खड़े कर गया ?
ऐसा ही मामला बुराड़ी में एक सड़क निर्माण का श्रेय लेने का आया। बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दावा किया की बुराड़ी की मुख्य सड़क का निर्माण उन्होंने करवाया है। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव का उन्होंने राउंड करवाया और सड़क बनवाई। मनोज तिवारी के इस दावे की बुराड़ी के विधायक संजीव झा ने हवा निकला दी। उन्होंने सभी पेपर सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए सांसद मनोज तिवारी को झूठा साबित कर दिया।
मनोज तिवारी के विवादों के चर्चे ज्यादा होते है जिसे देख सुन अब कार्यकर्ता भी मानने लगा है की मनोज तिवारी बीजेपी के स्टार प्रचारक की भूमिका में ही ठीक थे, सांसद और बीजेपी अध्यक्ष बनाया जाना दिल्ली की जनता और बीजेपी दोनों के लिए ही खरे साबित नहीं हो पा रहे है।

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