Friday, April 19, 2024
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पुलिस के खिलाफ उठाई थी आवाज, 22 साल बाद कोर्ट को किया धन्यवाद

करीब 22 साल पहले नंद नगरी थाना पुलिस की अवैध उगाही का विरोध करने वाले शक्स को पुलिस ने अवैध हिरासत में रखकर मारपीट की शिकायत करने पर 6 फर्जी मुकदमे भी ठोक डाले ।लेकिन साइकल रिपेरिंग करने वाले शख्स ने हार नहीं मानी और न्यायपालिका पर उसका भरोसा रंग लाया। पीड़ित अनिल गोयल नंद नगरी थाने के सामने साइकल रिपेरिंग करते थे। आरोप है कि 1997 में पुलिस वालों ने उनसे सड़क में साइकल खड़ी करने की एवज में पैसे की डिमांड की। जिसकी अनिल गोयल ने आला अफसरों से शिकायत कर दी। इससे नाराज होकर 28 मई 1997 को नंद नगरी थाने में तैनात अडिशनल एसएचओ राजबीर सिंह ने , जो एसएचओ के छुट्टी पर होने की वजह से थाना इंचार्ज थे, अनिल गोयल और उसके भाई को पुलिस वालों के जरिए थाने बुलवाया गया जहां दोनों की पिटाई की गई, इसमें उस समय के सब इंस्पेक्टर राजीव विमल और सब इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार के अलावा दो अन्य पुलिस वाले भी थे,  पुलिस वालों की गुंडाई यहीं नहीं थमी उन्होंने अनिल गोयल के खिलाफ जबरन उनके भाई की शिकायत पर ही मुकदमा दर्ज कर दिया गया। पुलिस के आला अफसरों की दखल के बाद उनके भाई को थाने से छुड़वाया गया, जबकि गोयल को मुकदमा होने की वजह से कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी थी । आला अफसरों की इस करतूत की कंप्लेंट की गई तो आरोप है कि उस समय के अडिशनल एसएचओ राजबीर सिंह ने अनिल गोयल के खिलाफ छह फर्जी केस दर्ज करवा दिए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लाखों रुपये खर्च होने और लगातार धमकियां मिलने के बावजूद संघर्ष जारी रखा। और 22 सालों तक न्याय के लिये अदालतों के चक्कर काटते रहे जिसके बाद 18 जनवरी 2019 को उनकी न्यायपालिका पर टिकी उम्मीद रंग लाई और उन्हें न्याय मिल गया।जिसके बारे में पीड़ित के वकील मंजीत सिंह ने सारी बातों को साफ किया । बता दें की कड़कड़डूमा कोर्ट ने शुक्रवार को तत्कालीन अडिशनल एसएचओ, जो एसीपी बनने के बाद रिटायर हो चुके हैं, उनको एक साल की कैद और एक लाख का जुर्माना लगाया। दो सब-इंस्पेक्टर, जो अब इंस्पेक्टर बन गए चुके हैं, उन पर 40 हजार का जुर्माना लगाया और दोनों को एक साल के प्रोबेशन पीरियड पर छोड़ दिया गया। जबकी दो पुलिस वालों की मौत होने से उनके खिलाफ केस बंद हो गया।

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