Thursday, April 25, 2024
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इतिहास में दर्ज हुआ देश के लिए काला दिवस

खुशबू काबरा, संवाददाता

नई दिल्ली।। एक तरफ जहां देश अपना 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा था तो वहीं दूसरी तरफ देश के अन्नदाता सड़को पर उतर आए। किसानों ने ऐसा उत्पाद मचाया जिसको दिल्ली हीं नहीं बल्कि पूरा देश देखता रह गया। आईए देखते हैं किसान रैली की छोटी सी झलक।

किसानों ने देश का झंड़ा लगा रखा था और दूसरी तरफ वह किसान संगठनों का झंड़ा लगाकर लगातार प्रर्दशन कर रहे थे। ऐसे में 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड को लेकर किसान लगातार अपनी ज़िद पर अड़े हुए थे और इसी बीच पेच लगातार बना हुआ था जानकारी के मुताबिक ऐसा देखा जा रहा था कि ट्रैक्टर परेड में शामिल हुए किसानों के पास ना केवल अपनी मांगो को लेकर प्रर्दशन करने का मौका मिल रहा था बल्कि अपनी अमीरी का प्रदर्शन करने को मिल रहा था ऐसे में ये समझना काफी मुश्किल है कि किसान अपना प्रर्दशन मांगो को लेकर कर रहे थे या वह अपनी अमीरी का दिखावा कर रहे थे। कहीं मोडिफाई ट्रैक्टर तो कहीं मर्सिडीज कार। लेवल ये ही नहीं अगर आप ट्रैक्टरों के डिजाइन को देखेगें तो काप हक्का-बक्का रह जाएंगे। ट्रैक्टरों का रुप इस हद तक बदल डाला था कि उनपे बारिश होने का भी कोई असर नहीं पड़ेगा। इतना ही नहीं जब पुलिस वाटर कैनन का इस्तेमाल करेगी तो वह भी बेअसर साबित हो जाएगा।

ऐसा ही नजरीया हमें बहादुरगढ़ से सटे टीकरी बॉर्डर पर देखने को मिला जानकारी के मुताबिक आपको बता दें कि वहा मौजूद एक मोडिफाई ट्रैक्टर चर्चा का विषय बन चुका था। कहा जा रहा था कि इस ट्रैक्टर को मोडिफाई करने के लिए करीब 35 लाख रुपये की लागत आई है। यह ट्रैक्टर सुनील गुलिया का है। महिंद्रा के इस ट्रैक्टर में आगे और पीछे दोनों तरफ बड़े-बड़े दो पहिए लगाए गए हैं। ऐसा लगता है मानो यह ट्रैक्टर नहीं, बल्कि कोई रोड रोलर हो। ट्रैक्टर के पीछे लगी ट्रॉली भी उतनी ही आकर्षक है। ट्रॉली में बैठने के लिए आरामदायक सोफे बनाए गए हैं। ट्रैक्टर में गीत-संगीत का भी भरपूर इंतजाम है। इस ट्रैक्टर के इर्दगिर्द आने वाले लोग आंदोलन को भूल कर इसे निहारने लगे।

बताया जा रहा है कि एक ओर किसान कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इन ट्रैक्टरों से यह कहीं नहीं लगता है कि ये किसान किसी भी तरह से कमजोर हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल आंदोलनकारी किसानों के बीच भी उठ रहा है कि क्या गरीब किसान इन बड़े किसानों के हाथों की कठपुतली तो नहीं बन रहे हैं।

वहीं, कुछ आंदोलनकारी किसान अमीरी के इस प्रदर्शन को सही नहीं ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि इस तरह के प्रदर्शन से आंदोलन पर गलत असर पड़ रहा है। वहीं, इन ट्रैक्टरों को देखकर स्थानीय लोग भी अब यह कहने लगे हैं कि किसान आंदोलन की आड़ में यहां अमीरी का प्रदर्शन किया जा रहा है। ऐसे में अंदाजा लगा सकते है कि ये सच्ची में आंदोलन कारी किसान हैं या उनके भेष में कोई और हैं।

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