Thursday, April 25, 2024
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टीकाकरणः संजीवनी के साइड इफेक्ट को लेकर संशय क्यों?

राजेंद्र स्वामी, संवाददाता

नई दिल्ली।। भारत में दुनिया के सबसे बड़े कोरोन वैक्सीनेशन अभियान की एक ओर चौतरफा तारीफ मिल रही है, वहीं दूसरी ओर टीके की संजीवनी पर कई तरह के संदेह भी पैदा हो रहे हैं। कारण है इसके प्रतिकूल प्रभाव, यानी एडवर्स इफेक्ट के नतीजे। इसे साइड इफेक्ट के नजरिये से भी देखा जा रहा है। क्योंकि टीकेकरण की तीन दिनों के भीतर 580 लोगों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कथित तौर पर एक व्यक्ति के मौत हो जाने की भी खबर भी चर्चा में आ गई। हालांकि इसे वैक्सीन के प्रभाव को लेकर शंका की निगाह से नहीं देखा जाना चाहिए।


राजधानी दिल्ली की सर्वश्रेष्ठ सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में शुमार दिल्ली एम्स में भी वैक्सीन लगे कुछ लोगों को भर्ती करवाया गया। उनमें कुछ को थोड़े समय के बाद ही छुट्टी दे दी गई, जबकि कुछ को दो-तीन दिनों बाद। यही बात एक तरह से लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर डर पैदा कर रहा है, तो उनमें कई तरह की भ्रंतियाों के माकूल जवाब जानना चाहते हैं।

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक तीन दिनों में 3 लाख 81 हजार से ज्यादा लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है। टीका लगे लोगों के प्रतिकूल प्रभाव वालों की संख्या उनके मुकाबले काफी कम है। यह कुल लोगों को लगे टीके का मात्र 0.2 फीसदी ही है।


कोरोना से निपटने के लिए जारी वैक्सीनेशन पर कोई असर नहीं पड़ा है। इस सिलसिले में आने वाले साइड इफेक्ट को देखते हुए नए सिरे से भारत बायोटेक ने फैक्टशीट जारी कर बताया है कि किस बीमारी या अस्वस्थ लोगों को कोरोना  वैक्सीन नहीं लगानी चाहिए। भारत बायोटेक के मुताबिक यदि किसी बीमारी की वजह से इम्यूनिटी कमजोर है या कोई ऐसी दवाएं ले रहे हैं, जिनसे इम्यूनिटी प्रभावित होने वाली है तो उन्हें कोवैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए।

हालांकि इससे पहल केंद्र सरकार ने कहा था कि यदि आप इम्यूनोडेफिशियेंसी से ग्रस्त हैं या इम्यून सप्रेशन पर हैं यानी किसी ट्रीटमेंट को लेकर इम्यून कम कर रहे हैं तब भी कोरोन वैक्सीन ले सकते हैं।


बहरहाल, जहां तक वैक्सीन के एडवर्स इफेक्ट का प्रश्न है तो उसे डॉक्टर तात्कालिक प्रभाव वाला बताते हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार टीका लगने के बाद उस इंसान में किसी भी तरह के अनपेक्षित मेडिकल परेशानियों को एडवर्स इफेक्ट फाॅलोइंग इम्यूनाइजेशन कहा जाता है। ये परेशानी वैक्सीन की वजह से भी हो सकती है, वैक्सीनेशन प्रक्रिया की वजह से भी हो सकती है या फिर किसी दूसरे कारण से भी हो सकती है। ये अमूमन तीन प्रकार के होते हैं- मामूली, गंभीर और बहुत गंभीर। ऐसे में जरूरी है कि स्थितियों का पता करने के बाद ही वैक्सीन के प्रभाव-दुष्प्रभाव के किसी नतीजे पर पहुंचना चाहिए।

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