Saturday, April 20, 2024
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Delhi -डीटीसी बसों की खरीद में भ्रष्टाचार के मामले को दबाने की कोशिस कर रही है दिल्ली सरकार :- विजेंद्र गुप्ता ,विधायक 

-दिल्ली दर्पण ब्यूरो 
नई दिल्ली, पूर्व दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं रोहिणी के विधायक श्री विजेंद्र गुप्ता ने 1000 लो-फ्लोर डीटीसी बसों की खरीद में हुए भ्रष्टाचार के गंभीर मामले पर दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल को पत्र लिखकर भ्रष्टाचारियों को पकड़ने के लिए समय पर हस्तक्षेप करने की मांग की थी। श्री गुप्ता ने बताया कि उनके पत्र के जवाब में दिल्ली के उपराज्यपाल ने उन्हें बताया है कि डीटीसी बस अनुबंध में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। दिल्ली सरकार के परिवहन और सतर्कता विभागों के सचिव  तथा शहरी परिवहन विभाग,भारत सरकार के पूर्व प्रमुख ओपी अग्रवाल इस समिति  के सदस्य हैं। यह समिति अगले दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

श्री गुप्ता ने कहा कि आम आदमीं पार्टी सरकार मामले  को दबाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। परन्तु सरकारी खजाने को लूटने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। श्री गुप्ता ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि जनवरी 2021 में दिल्ली सरकार ने 1000 लो फ्लोर बसों का वर्क ऑर्डर दिया था, जिसकी कीमत  890 करोड़ है। इनमें से 700 बसों का ठेका जेबीएम ऑटो लिमिटेड को दिया गया था। बस खरीद के आदेश के साथ ही बसों के सालाना रखरखाव का टेंडर भी निकाला गया। यह ठेका भी उन्ही बस आपूर्तिकर्ताओं को दे दिया गया था।
बसों के मेंटेनेंस की सालाना लागत र 350 करोड़ रुपए है। इतना ही नहीं मेंटेनेंस का यह ठेका बसों की खरीद के पहले दिन से ही लागू हो जाएगा जबकि  बसों पर 3 साल की तो वारंटी अवधि  ही है। इसका सीधा सीधा तात्पर्य यह है कि बसों के रखरखाव पर तीन साल की वारंटी अवधि के भीतर  लगभग 1000 करोड़ रुपये खर्च का भुगतान होगा।


श्री गुप्ता ने बताया कि जिस तरह से ठेका दिया गया था और  जिस तरह  अनुबंध के प्रावधान किए गए उसमें गहरी साजिश को भांपते हुए, सभी विपक्षी विधायकों ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को  12 मार्च 2021 को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच की मांग की थी। एसीबी ने मामले का संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय से जाँच की अनुमति माँगी थी।
भ्रष्टाचार की ओर इशारा करने वाले तथ्य स्पष्ट हैं। यहां तक ​​कि दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग की एक आंतरिक तथ्य जांच प्रणाली  ने भी सौदे में हुए कदाचार को मान लिया है। श्री गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग द्वारा जानबूझकर की जा रही देरी इस मुद्दे को दबाने का प्रयास है। पत्र में, उन्होंने एसीबी को जल्द से जल्द मामले का अपने हाथ में लेने के लिए एक निष्पक्ष दलील दी थी और यह सुनिश्चित करने की गुजारिश की थी कि इस मामले में महत्वपूर्ण सबूतों को मिटाने या सरकारी खजाने के पैसे की लूट में शामिल लोगों द्वारा दबाने की की अनुमति नहीं  दी जा सकती।

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