Thursday, April 25, 2024
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12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द किए जाने के फैसले पर मनीष सिसोदिया का सुझाव

जूही तोमर, संवाददाता

नई दिल्ली। 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द किए जाने के फैसले को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपना एक बयान जारी किया है जिसमें उन्होने कहा है कि मेरी राय में यह फैसला बच्चों के हित में है और उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रियों की बैठक में भी ऑप्शन वन और ऑप्शन टू दिए गए थे। मैंने तब भी कहा था कि ऑप्शन जीरो यानी एग्जाम ना हो, यह भी रखा जाए। उन्होंने कहा कि पूरे मुल्क में डेढ़ करोड़ बच्चे हैं। सभी यह चाह रहे थे कि अभी बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखा जाए ताकि बच्चों के स्वासथ के साथ खिलवाड़ ना हो। इस दौरान बिना परीक्षा मूल्यांकन को लेकर मनीष सिसोदिया ने फॉर्मूला भी दिया है।

परीक्षा रद्द किए जाने के बाद छात्रों के मूल्यांकन यानी रिजल्ट को लेकर इस बीच दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उनके मूल्यांकन का जो प्रस्ताव हमने सेंटर गवर्नमेंट को दिया है, वह पूरे देश के लिए लागू हो जाए तो अच्छा है। उन्होंने सुझाव दिया कि सबसे पहले इस बात को मानें कि वह पिछले 12 साल से आपके पास है, अचानक नहीं आया। 12 साल की हिस्ट्री है, आपके पास कि उसकी कैसी परफॉर्मेंस है। सब कुछ आप उसके बारे में जानते हैं। आपके पास ऑप्शन है कि उसकी पूरी जर्नी को मूल्यांकन करें 10वीं 12वीं इंटरनल एग्जाम प्रैक्टिकल के रिजल्ट उठा लिजिए और उसका मूल्यांकन कार्ड बनाकर दीजिए, यह हो सकता है।

साथ में मनीष सिसोदिया ने कहा कि फिर भी किसी को लगता है कि मेरी तैयारी से बेहतर थी तो ऑप्शन तो खुला है। मेरे आंकलन के हिसाब से 80 से 85 परसेंट बच्चे चाहते हैं कि इसी तरह एग्जाम हो। दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हायर एजुकेशन में ज्यादातर 12th ग्रेड एग्जाम के बेस पर एडमिशन मिलता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में मेरिट के बेस पर होता है और यूनिवर्सिटीज के लिए अच्छा है कि जो बच्चा आपको मिल रहा है, वह 3 घंटे की परीक्षा के आधार पर नहीं, बल्कि लंबे मूल्यांकन के बाद मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कॉन्पिटिटिव एग्जाम देने वाली यूनिवर्सिटी के लिए उनके सामने चैलेंज है। वह थोड़ा रुक सकते हैं या वह भी मेरिट के बेस पर ले सकते हैं, यह उन्हें निर्णय लेना है।

उन्होंने कहा कि यह संकट का समय था सरकारों के लिए चैलेंजिंग था कि एजुकेशन पर बात करें या फिर हॉस्पिटलाइजेशन दवाइयों पर ऑक्सीजन पर बात करें. अब जब थोड़ा हल्का हुआ है तो वक्त है कि हम एजुकेशन पर बात करें और कोरोना की बीमारी हमें मजबूर कर रही है कि हम और थोड़े सूट से बाहर आए और उसके लिए एग्जामिनेशन सिस्टम और ट्रेनिंग बदलनी पड़ेगी. सिसोदिया ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अभी स्कूल खोलने में कोई कुछ जल्दबाजी होगी. तीसरी लहर की बात भी की जा रही है तो इस बात को देखना कि एक डेढ़ महीने में कैसे इस कहां जाते हैं और बाकी एसेसमेंट करने भी जरूरी होंगे.

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