केशव पुरम – पुलिस और नगर निगम की कार्यवाही के बावजूद ऐसे होते है अवैध निर्माण

-दिल्ली दर्पण ब्यूरो 

नार्थ दिल्ली। नार्थ एमसीडी के केशव पुरम इलाके में दिन रात अवैध बिल्डिंग का निर्माण चल रहा है। स्थानीय आरडब्लूए सदस्य ने इसकी शिकायत डीसी से लेकर डीसीपी और निगमायुक्त  से लेकर एलजी तक सभी को कर दी, लेकिन हैरत की बात है की जैसे जैसे शिकायतें हो रही है अवैध निर्माण में तेज़ी आ रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार पुलिस ने इसकी शिकायत नगर निगम को दे दी है और नगर निगम ने बिल्डिंग मालिक को काम रोकने का नोटिस भी दे दिया। लेकिन नोटिस दिए जाने के 21 दिन बाद भी अवैध निर्माण का काम दिन रात चल रहा है। दिल्ली नगर निगम जोन कार्यालय के ठीक पास और  पुलिस बूथ के ठीक सामने प्लॉट नंबर -6 लॉरेंस रोड डीडीए मार्किट के पीछे रिहायशी इलाके की तरफ दिन रात चल रहे इस अवैध निर्माण से स्थानीय लोगों को भी खासी परेशानी हो रही है।

स्थानीय आरडब्लूए सदस्य अधिवक्ता अरविन्द कुमार और उनकी पत्नी रेनू जैन ने बीती रात करीब डेढ़ बजे बजे पुलिस को कॉल किया। पुलिस मौके पर पहुंची तो काम जोर शोर के साथ जारी था ,जिसे पुलिस ने रुकवा दिया। अरविन्द कुमार ने बताया की इससे पहले साढ़े आठ बजे भी पुलिस को कॉल किया था, पुलिस मौके पर पहुंची तो कुछ देर के लिए काम रोक दिया और पुलिस के जाते ही फिर से काम शुरू हो गया।

 केशव पुरम में हो रहा यह अवैध निर्माण एक उदारहण है कि केशव पुरम जोन में नगर निगम और पुलिस प्रशासन कैसे काम कर रहा है। हर विभाग अपना अपना काम बखूबी कर रहा है। पुलिस अवैध निर्माण की सूचना निगम को देती है , निगम नोटिस देता है फिर भी अवैध निर्माण जारी रहता है। जब काम पूरी होने की कगार पर आता है तो उस पर कार्यवाही भी होती है और उसकी फोटो भी खींचती है। इन सब पड़ाव  को पार करने  के बाद बिल्डिंग पूरी तरह बनकर तैयार हो जाती है। ऐसा ही यहाँ भी हो रहा है। यही वजह है कि नगर निगम में बेशक आर्थिक तंगी चल रही हो लेकिन निगम के अधिकारीयों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। 

स्थानीय लोगों का कहना है कि वे चाहतें है कि बिल्डिंग का द्वार रिहायशी इलाके की तरफ न खुले। बिल्डिंग में बेसमेंट बनाया जा रहा है जो अवैध है। जिस अवधि में बेसमेंट बैन रहा उसी अवधि में यह बसेमैंट तैयार हो गया। स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत हर स्तर पर की है ,लेकिन हैरत है शिकायत पर सभी आँखे मूंदे बैठे है। जबकि जोन उपायुक्त कार्यालय भी इसकी नजदीक है और जोन चैयरमैन का यह वार्ड है। अरविन्द के अनुसार जेआई नरेंद्र मीणा कहते है कि जब बनकर तैयार हो जाएगी तो बुक कर देंगे। केशव पुरम जोन तो उदाहरण मात्र है ,कमोवेश दिल्ली में अवैध निर्माण को लेकर ऐसी ही केवल कागजी कार्यवाही होती है। जाहिर है कागजी कारवाही के परिमाण भी कागजी ही निकालेंगे।

इस मामले में डीसी विक्रम मालिक से और जोन चैयरमन योगेश वर्मा से भी बात की गयी। उनका कहना है की यह मामला उनकी जानकारी में ही नहीं है।अगर इतनी शिकायतों के बावजूद ऐसे मामले जिम्मेदार अधिकारीयों की जानकारी में नहीं होते तो सवाल है की आखिर नगर निगम में अवैध निर्माण और भ्र्ष्टाचार की शिकायतों का क्या कोई अर्थ है ?

 

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