Wednesday, April 24, 2024
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अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का आयोजन

प्रियंका आनंद

समाज और जन कल्याण के विकास के लिए सभी धर्म और जातियों का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है लेकिन वैश्य समाज अपने आदीकाल से ही जन कल्याण से मानव विकास के लिए अपना योगदान देता आया है। इसी को ध्यान में रखते हुए रविवार को दिल्ली के कोनवेंश्नल से सेंटर में अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें समाज के सभी जन प्रतीनिधी मौजुद रहे। जिसमें मुख्य अतीथी के तौर पर बिहार के उपमुख्य मंत्री ताकेश्वर, भारत सरकार कैंद्र मंत्री पीयूष गोयल, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता, पूर्व कैंद्र मंत्री विजय गोयल एवं तमाम वैश्य समाज से जुडें सद्स्य और सांसद भी शामिल हुए। इसी के साथ अखिल भारतीय वैश्य समाज सम्मेलन का कार्यकारीणी अध्यक्ष के एम गुप्ता के देख रेख में आयोजित किया गया। बैठक का मकसद वैश्य समाज के विभिन्न मुद्दों पर विचार करना था जिससे जन कल्याण के में योगदान माना जाता है।

बैठक के दौरान उन समाज के उन सभी एहम मुददों पर विचार करना था जो मानव और सामाज दोनों के लिए लाभकारी माने जाते हैं फिर चाहे वो शिक्षा से जुड़ा मुद्दा हो, व्यवसाय हो, स्वास्थ्य या फिर कोई और। बैठक में शामिल हुए सभी जनप्रतीनियों द्रारा अपने विचार रखे गऐ जो कि सबके लिए कल्याण के लिए माना भी गया।

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बैठक में मौजुद राम कुमार गुप्ता ने कार्यकारिणी का उद्देश्य बताते हुए कहा कि महाराजा अग्रसैन के संदेश को हर जन तक पहुचाने का मकसद है। उनके ज्ञान और सिख को हर घर तक, हर जन तक पहुचाना है। साथ ही महाराजा अग्रसैन से जुड़ें सभी लोगों की ये धारणा होती है कि जिन लोगों के पास संसाधन नहीं है या वे किसी भी रूप से सक्षम नहीं है अच्छे से जीवन यापन के लिए उनके लिए भी काम करना है। इसी के साथ वैश्य समाज को देश की अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी भी माना जाता है क्योंकि उससे देश के सभी वर्ग को और सभी व्यवसायों को सहायता दी जाती है।

अगर बात करें वैश्य समाज की महिलाओं की तो समाज से जुड़ें होने के बावज़ुद भी अपनी गृहस्थी और अन्य क्षेत्रों में महत्व योगदान दिया है। पहले वे सिर्फ अपना घर तक ही सिमित थी लेकिन अब बदलते समय के साथ उन्होंने घर और बाहार दोनें जगह अपना प्रचम लहराया है। बैठक के दौरान यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: यत्रैतास्तु न पूजयन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया: का मतलब समझाते हुए कहा कि जहां नारी का सम्मान होता है वहीं देवता वास करते है जो कि समाज कल्याण के लिए बेहद ज़रूरी है। केवल वैश्य समाज की ही नहीं बल्कि अन्य समाज की बेटियों और महिलाओं के विकास के लिए भी हमेशा अग्रसर रहती है और आगे भी रहेगी ताकि मा केवल अपने बल्कि अन्य सामज के विकास में भी योगदान हो सके।

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