Tuesday, April 23, 2024
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दिल्ली में मंदिरो के पुनरुद्धार की योजना

दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली।
दिल्ली के तुगलकाबाद में एक मंदिर के कार्यक्रम में बीजेपी के मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष करनैल सिंह ने कहा है कि राजधानी के मंदिरों के रखरखाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने इनके पुनरुद्धार की योजना बनाई है और धीरे धीरे इसे देश भर में लागू किया जायेगा ! उन्होने कहा कि इस बार देश में हिन्दू नव वर्ष दो अप्रैल से मनाया जायेगा और इसकी शुरुआत राजधानी दिल्ली के मंदिरों से की जाएगी !
श्री सिंह ने दक्षिण दिल्ली मंदिर प्रकोष्ठ में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पुजारियों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं और इन्हे जल्द ही अमल में लाया जायेगा ! उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लॉक डाउन की वजह से सबसे अधिक परेशानी मंदिरों के पुजारियों को झेलनी पड़ी थी ! इसे देखते हुए सरकार ने इनके लिए कुछ मानदेय की व्यवस्था की है !

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उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने तय किया है कि राजधानी के मंदिरो में संस्कृत का ज्ञान रखने वाले पुजारियों को विशेष जिम्मेदारी सौंपी जाएगी क्योंकि दिल्ली की केजरीवाल सरकार से उन्हें कोई उम्मीद नहीं है !
उन्होंने कहा कि देश की संस्कृति को बचाना हम सभी का फर्ज है और इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने हैं ! श्री सिंह ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व में भारत का मान बढ़ाया है और अब भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता है ! उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि मंदिरो के बिजली के बिलों को माफ़ किया जाए ! इसके अलावा इनमे काम करने वाले पुजारियों को मासिक आधार पर कुछ आर्थिक सहायता भी दी जाएगी !
हिन्दू नववर्ष की शुरुआत इस बार नवरात्रि के पहले दिन यानि गुड़ी पड़वा के साथ होगी। चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू हो रही हैं। जो 10 अप्रैल तक चलेगी। इसी के साथ हिंदू नववर्ष यानि नवसंवत्सर 2079 भी शनिवार, 02 अप्रैल 2022 से प्रारंभ हो जाएगा।
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को वर्ष प्रतिपदा या युगादि कहा जाता है। इस दिन हिन्दु नववर्ष का आरम्भ होता है। कहते हैं शालिवाहन नामक एक कुम्हार-पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से शत्रुओं का पराभव किया था। इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ‘उगादि‘ और महाराष्ट्र में यह पर्व ‘ग़ुड़ी पड़वा’ के रूप में मनाया जाता है। किवदंतियों के अनुसार इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसी दिन से नया संवत्सर (नवसंवत्सर) शुरू होता है। शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है। जीवन का मुख्य आधार वनस्पतियों को सोमरस चंद्रमा ही प्रदान करता है। इसे औषधियों और वनस्पतियों का राजा कहा गया है। इसीलिए इस दिन को वर्षारंभ माना जाता है।

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