UN में दिल्ली मॉडल : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में करिश्मा क्यों नहीं दिखा पाया केजरीवाल का मॉडल ?

अन्ना आंदोलन से ही जनाधार वाले पंजाब में ही सरकार बना पाई आम आदमी पार्टी

आप विधायक आतिशी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के कार्यक्रम में समस्याओं के समाधान के लिए केजरीवाल के दिल्ली मॉडल को बताया दृष्टिकोण पेश करने वाला

यूएन के सामने दिल्ली मॉडल के गुणगान पर केजरीवाल ने आतिशी को दी है बधाई 

चरण सिंह राजपूत/ दिल्ली दर्पण टीवी 

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी दिल्ली मॉडल पर इतनी गौरवान्वित हो रही है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के दूसरे नेता न केवल देश बल्कि विदेश में भी इसका ढिंढोरा पीट रहे हैं। अब आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सम्मेलन में दिल्ली मॉडल ऑफ गवर्नेंस को दुनिया के सामने रखा। बाकायदा केजरीवाल ने ट्वीट कर आतिशी के इस भाषण की तारीफ कर उन्हें बधाई दी है।  दरअसल आम आदमी पार्टी दिल्ली मॉडल के बलबूते अपने को भाजपा का विकल्प पेश करने में लगी है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि केजरीवाल का दिल्ली मॉडल इतना अच्छा है तो फिर गत दिनों पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी कुछ खास करिश्मा क्यों नहीं कर पाई ? जिस राज्य पंजाब में उसका अन्ना आंदोलन से ही जनाधार है उस तक ही क्यों सिमट कर रह गई ? दरअसल अन्ना आंदोलन के बल पर दिल्ली की सत्ता को कब्जाने वाली आम आदमी पार्टी भ्र्ष्टाचार और राजनीतिक नैतिकता के मुद्दे पर देश में राजनीति करने आई थी। वह बात दूसरी है कि जिन मुद्दों को आम आदमी पार्टी के संयोजक सबसे अधिक उठाते थे, अब वह उन मुद्दों से कहीं दूसर भटक गए हैं। आम आदमी के नाम पर पार्टी का नाम रखने वाले केजरीवाल अब पार्टी में किसी आम आदमी को देखना ही चाहते। फ्री बिजली और पानी की नीति अपनाकर दिल्ली पर राज कर रही आम आम आदमी पार्टी ने इतना और कर दिया है कि जहां केंद्र सरकार लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में लगी है वहीं केजरीवाल सरकार फ्री की नीति अपनाकर लोगों को निठल्ला बनाने में लगी है। डीटीसी में महिलाओं को फ्री सेवा देने वाली केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में न केवल शराब पर रेट में कटौती की बल्कि एक बोतल पर एक फ्री वाली स्कीम भी चला दी। जिस लोकपाल के पद का दम्भ केजरीवाल हर आंदोलन में भरते थे, उस लोकपाल उन्होंने खूंटी पर टांग दिया। जब राज्यसभा में प्रश्न उठाने के लिए प्रख्यात कवि  कुमार विश्वास और वरिष्ठ पत्रकार कुमार आशुतोष को भेजने का समय आया तो केजरीवाल ने अपने स्वजातीय बंधुओं को राज्य सभा भेज दिया। वह बात दूसरी है कि वे दोनों कभी किसी ने प्रश्न उठाते हुए नहीं देखे होंगे। वैसे भी दिल्ली की समस्या को वह केंद्र सरकार पर टाल कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या यही दिल्ली मॉडल है ? दरअसल संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से आयोजित शिखर सम्मेलन ‘वर्ल्ड असेंबली’ में आम आदमी की विधायक आतिशी ने ‘दिल्ली मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस’ को दुनिया के सामने रखा है । न्यूयॉर्क में हुए इस सम्मेलन में आतिशी ने बताया कि कैसे पिछले 7 साल में अरविंद केजरीवाल के गवर्नेंस मॉडल ने दिल्ली की सूरत बदली है। आतिशी का कहना था कि दिल्ली सरकार तमाम चुनौतियों का सामना करने के बावजूद बेहतरीन सार्वजनिक सेवाएं उपलब्ध करवा रही है और दिल्ली का बजट भी घाटे में नहीं गया है। इस मॉडल से दुनिया भर के देशों के सामने आने वाली कई चुनौतियों का समाधान मिल सकता है।अपने विधायक के यूएन के सामने दिल्ली मॉडल के गुणगान करने पर प्रफुल्लित दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को बधाई देते हुए कहा कि भारत के लिए यह गौरव का क्षण है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिल्ली और देश के लोगों की भावनाओं समेत देश के सामर्थ्य से पूरे विश्व को अवगत कराने पर आतिशी को बधाई दी है। केजरीवाल ने कहा है कि दुनिया अब शासन के कई क्षेत्रों में समाधान के लिए दिल्ली की ओर देख रही है। बेहतर दुनिया बनाने के लिए हम सभी एक-दूसरे से सीखेंगे। मामले को लेकर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह ऐतिहासिक पल है। यूएन में विधायक आतिशी ने कहा कि 90 के दशक के अंतिम वर्षों में पूरे विश्व में सरकारों के लिए शिक्षा-स्वास्थ्य और बिजली उपलब्ध करवाना बहुत महंगा हो गया। ऐसे में सरकारों ने खासतौर पर विकासशील देशों ने इन सेवाओं को प्राइवेट हाथों को सौंप दिया। इससे टैरिफ बढ़ा। सरकारों ने शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में भी बजट में कटौती की। इससे समाज के अंदर आर्थिक असामनता बढ़ी।

आतिशी ने दिल्ली का उदाहरण देते हुए बताया कि 2015 तक दिल्ली में बिजली की दरें बहुत ज्यादा थी और लगातार कई घंटों के पावर कट लगते थे। बिजली कंपनियां भी घाटे में चलती थीं। सरकारी स्कूल जर्जर हालत में थे। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। दिल्ली सरकार ने अपनी नीतियों से यह कर दिखाया कि सभी को बेहतर सार्वजानिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सकती है। आज बिजली की मांग बढ़ने के बावजूद दिल्ली में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाती है। दिल्ली में बिजली की कीमतें पूरे देश में सबसे कम है। 40 लाख घरों का बिजली बिल जीरो आता है। दिल्ली के 80 फीसदी से ज्यादा इलाकों में पानी की पाइप लाइन और सीवर लाइन है। सरकारी स्कूलों का रिजल्ट भी प्राइवेट स्कूलों से बेहतर आने लगा है और पिछले साल दो लाख से ज्यादा बच्चों ने प्राइवेट से नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिया है। मोहल्ला क्लीनिक से घर के पास स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही है। 

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