अब सियासत की कसौटी पर रहमान और हनुमान!

नमाज और हनुमान चालीसा पर सिमटी देश की राजनीति 

दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली।
कहा जाता है कि जब किसी बात को लेकर हद से ज्यादा चर्चा हो जाये तो उसमें सड़ांध आने लगती है। क्या धर्म के साथ भी ऐसा ही नहीं होने लगा है। देश में हिन्दू मुस्लिम के अलावा कुछ हो है नहीं रहा है। जो शब्द देश में पवित्र माने जाते थे वे अब सड़क पर अपमानित हो रहे हैं। देश में नमाज और हनुमान चालीसा पढ़ने के मुद्दा ऐसा बन चुका है कि जैसे पूरा देश नमाज और हनुमान चालीसा के अलावा कोई बात करना ही नहीं चाहता है। जिन लोगों ने हनुमान चालीसा पढ़ी है या फिर सुनी है वे लोग जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर दोहे के बारे बारे में जानते होंगे। इसका मतलब है कि सच्ची श्रद्धा से हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं। उनके दुश्मन परास्त हो जाते हैं।

यह भी पढ़ें-  प्रॉपर्टी डीलर्स और एमसीडी अधिकारियों के झांसे में आये मुंडका टिकरी गांव के बुलडोजर पीड़ित

दरअसल किसी को आस्था से कोई मतलब नहीं है किसी भी हालत में अपना वोटबैंक बनना है। देश में हिंदुत्व का मुद्दा लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में हर कोई हिन्दुओं को अपन वोटबैंक बनाने में लगा गया है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री के सामने निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके पति का हनुमान चालिसा प्रकरण तो जगजाहिर हो ही चुका है। एनसीपी नेत्री फहमीदा हसन खान के गृह मंत्री अमित शाह से पीएम आवास के सामने हनुमान चालीसा और नमाज पढ़ने की मांग की मांग का मुद्दा भी गरमाया हुहा है।
महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा पढ़ने को लेकर ऐसा विवाद हुआ कि महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति को जेल जाना पड़ गया। इसके बावजूद कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे द्वारा मस्जिदों में जिस नमाज की आवाज सुनकर लोग अपने काम छोड़ देते थे। वह नमाज अब विवाद बन चुकी हिअ। लाउडस्पीकर का तो नाम है असली मुद्दा नमाज का है।
लोगों को यह समझना होगा कि सब कुछ चुनाव को लेकर होता है। महाराष्ट्र में चुनाव है इसलिए धर्म भी दांव पर लगा दिया है; लम्बे चले बुलडोजर के बाद देश में अब बजरगंबली की आराधना का मुद्दा गरमा गया है। सत्तारूढ़ भाजपा ने सवाल खड़ा किया है कि हनुमान चालीसा का पाठ करना कब से राजद्रोह हो गया? वैसे, राजद्रोह के आरोप का यह कोई पहला मामला नहीं है। हाल के वर्षों में कई लोगों पर राजद्रोह के आरोप लगे तो काफी विवाद हुआ। आम लोगों पर केस की जानकारी तो सबको नहीं हुई लेकिन जब राजनीतिक हस्तियों पर आरोप लगे तो हंगामा हो गया। महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश में इस बात की चर्चा है कि आखिर राजनीतिक विरोध का मामला राजद्रोह तक कैसे पहुंच गया? भारतीय दंड संहिता राजद्रोह (धारा 124 ए) को एक अपराध के रूप में परिभाषित करती है जब “कोई भी व्यक्ति शब्दों द्वारा, या तो बोले या लिखित, या संकेतों द्वारा, या दृश्य प्रतिनिधित्व द्वारा, या अन्यथा, घृणा या अवमानना, या उत्तेजित करने का प्रयास करता है या करता है। या भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति असंतोष को भड़काने का प्रयास करता है।” अप्रसन्नता में बेवफाई और शत्रुता की सभी भावनाएँ शामिल हैं। हालांकि, उत्तेजना या घृणा, अवमानना या अप्रसन्नता को उत्तेजित करने के प्रयास के बिना टिप्पणी, इस धारा के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।


भारत में राजद्रोह कानून का इतिहास देखे तो 1837 में थॉमस मैकाले (भारतीय शिक्षा पर अपने मैकाले मिनट 1835 के लिए प्रसिद्ध) ने 1837 में दंड संहिता का मसौदा तैयार किया। धारा 113 के रूप में दंड संहिता 1837 में देशद्रोह रखा गया। बाद में, इसे छोड़ दिया गया, केवल 1870 में सर जेम्स स्टीफन द्वारा पेश किए गए एक संशोधन द्वारा दंड संहिता में वापस पढ़ा गया। भारत में ब्रिटिश राज ने इस धारा को “रोमांचक असंतोष” शीर्षक के तहत राजद्रोह पर पेश किया था। 1898 का आईपीसी संशोधन अधिनियम: इसने 1870 में दंड संहिता के माध्यम से लाए गए परिवर्तनों में संशोधन किया। वर्तमान धारा 124ए को 1937, 1948, 1950, और भाग बी राज्यों (कानून) अधिनियम, 1951 में किए गए कुछ चूकों के साथ 1898 में किए गए संशोधनों के समान कहा जाता है।
दरअसल हनुमान चालीसा विवाद के बीच महाराष्ट्र के अमरावती की सांसद नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को बांद्रा कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। राणा दंपति आज कोर्ट में पेश हुए थे. सुनवाई के दौरान कोर्ट में पुलिस ने राणा दंपति की 7 दिन की रिमांड मांगी थी, हालांकि कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया। नवनीत राणा के खिलाफ खार पुलिस स्टेशन में एक और एफआईआर भी दर्ज की गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है। खार पुलिस स्टेशन में अब तक 3 केस दर्ज हो चुके हैं। इसमें से 2 मामले नवनीत राणा के खिलाफ तो वहीं तीसरा केस भीड़ के खिलाफ दर्ज किया गया है। धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप में राणा दंपति को गिरफ्तार किया गया था। अब बांद्रा कोर्ट ने राणा दंपति को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या बयानबाजी पर राजद्रोह के आरोप लगना ठीक है? इस पर अक्सर बहस होती रहती है कि अंग्रेजों के समय के कानून की आज के समय में क्या जरूरत है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार लोकतंत्र का एक अनिवार्य घटक है।
जो अभिव्यक्ति या विचार उस समय की सरकार की नीति के अनुरूप नहीं है, उसे देशद्रोह नहीं माना जाना चाहिए। 1979 में, भारत ने नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध की पुष्टि की, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों को निर्धारित करता है। हालांकि, देशद्रोह का दुरुपयोग और मनमाने ढंग से आरोप लगाना भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप नहीं है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए धारा 124ए का दुरुपयोग एक उपकरण के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। केदार नाथ मामले में दी गई एससी कैविएट, कानून के तहत मुकदमा चलाने पर इसके दुरुपयोग की जांच कर सकती है। जब भी इस कानून का इस्तेमाल राजनीतिक शख्स पर होता है तो सत्तारूढ़ पार्टी पर वैसे ही आरोप लगते हैं जैसे इस समय भाजपा लगा रही है। इसे खामोश कराने का हथकंडा बताया जाता है। संबंधित राज्य के अधिकारी और पुलिस इस राजद्रोह कानून का इस्तेमाल लोगों में भय का माहौल बनाने और सरकार के खिलाफ अंसतोष को कुचलने के लिए करते हैं। देखें तो यह एक तरह से सियासत में ‘बदलापुर’ की तरह लगता है। समयानुसार इसे बदले हुए तथ्यों और परिस्थितियों के तहत और आवश्यकता, आनुपातिकता और मनमानी के निरंतर विकसित होने वाले परीक्षणों के आधार पर जांचने की आवश्यकता है।
जिस हिन्दू राज में हनुमान चालीसा पढ़ने पर बंदिशें हों, वहां सत्ता की बू सबको समझ आती है। सत्तालोलुप होकर उद्धव ने अपने ही विचार को विस्मृत कर दिया। ऐसे विवादों की जड़ संवैधानिक त्रुटियों से फूटती हैं। दोहरे मापदण्डों ने सत्यानाश कर दिया। आज देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का समय आ गया है और समान व्यवहार संहिता भी। अजान मंजूर और हुनमान चालीसा नामंजूर! ये कैसा दस्तूर? सड़कों पर और लोगों के घरों के सामने हनुमान चालीसा सिर्फ इस बात का संकेत है कि अपनी-अपनी आस्था को अपनी चारदीवारी में शांत तरीके से प्रतिपुष्ट करें। लोगों की शांति भंग न करें।
हमें सभी धर्मों को दिलों में रखिए सम्मान दीजिए क्योंकि धर्म जब तक दिल में होता है तो सुकून देता है, लेकिन दिमाग पर चढ़ जाए तो ज़हर बन जाता है। बजरंगबली और हनुमानचालीसा को किसी विवाद में घसीटना सनातनी संस्कृति नहीं हैं। अनेकाएक व् बारंबार पाठ करें लेकिन अपनी संस्कृति के प्रचार के लिए, किसी का विरोध करने के लिए नहीं।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा यूटयूब चैनल दिल्ली दपर्ण टीवी (DELHI DARPAN TV) सब्सक्राइब करें।

आप हमें FACEBOOK,TWITTER और INSTAGRAM पर भी फॉलो पर सकते हैं

टिप्पणियाँ बंद हैं।

|

Keyword Related


link slot gacor thailand buku mimpi Toto Bagus Thailand live draw sgp situs toto buku mimpi http://web.ecologia.unam.mx/calendario/btr.php/ togel macau pub togel http://bit.ly/3m4e0MT Situs Judi Togel Terpercaya dan Terbesar Deposit Via Dana live draw taiwan situs togel terpercaya Situs Togel Terpercaya Situs Togel Terpercaya syair hk Situs Togel Terpercaya Situs Togel Terpercaya Slot server luar slot server luar2 slot server luar3 slot depo 5k togel online terpercaya bandar togel tepercaya Situs Toto buku mimpi Daftar Bandar Togel Terpercaya 2023 Terbaru