चौतरफा घिरे सुब्रत राय ने सेबी के सिर फोड़ा निवेशकों का पैसा न देने का ठीकरा

सहारा इंडिया परिवार की ओर से विभिन्न अख़बारों में जारी विज्ञापन में सेबी-सहारा के खाते में 25000 करोड़ रूपए होने की बात करते हुए सेबी से जमाकर्ताओं का भुगतान करने को कहा है, सहारा इंडिया पर दो लाख करोड़ की बताई जा रही है देनदारी
2014 में जेल से छुड़ाने के नाम पर पत्र लिखकर अपने ही कर्मचारियों से 1250 रूपए ठगने का आरोप है सुब्रत राय पर, 6 साल से पैरोल पर जेल से बाहर घूम रहे हैं सुब्रत राय 

चरण सिंह राजपूत \ दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली।
कभी जनता के पैसों के बलबूते राजनीतिज्ञों से लेकर फ़िल्मी और खेल हस्तियों को अपनी उंगली पर नचाने वाले सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय के लिए इन्हीं पैसों की देनदारी जी का जंजाल बन गई है। अपने सामने किसी की एक न चलने वाले सुब्रत राय ने अपने को चौतरफा घिरते देख एक बड़ी चाल चली है। सुब्रत राय ने विभिन्न अख़बारों में एक विज्ञापन जारी कर निवेशकों का पैसा न देने का ठीकरा सेबी के सर फोड़ा है। सहारा इंडिया परिवार के नाम जारी एक विज्ञापन में सेबी के खाते में 25000 करोड़ रूपए होने की बात कही गई है साथ ही सेबी पर जनता का पैसा न देने का आरोप भी लगाया है।

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इस विज्ञापन में सहारा इंडिया कंपनी ने भारत माता की एक तस्वीर के साथ कुछ लोगों के जंजीरों में जकड़े हुए और एक व्यक्ति के बंदूक लहराते हुए कार्टून बना रखा है। विज्ञापन में सहारा इंडिया ने प्रतिबंध लगने और धन का उपयोग नहीं कर सकने की बात लिखते हुए सेबी के पास सहारा के 25,000 करोड़ रुपये होना दर्शाया है। इस विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट के विगत 9 वर्षों से सहारा इंडिया परिवार पर प्रतिबंध लगाने की बात करते हुए लिखा है कि यदि परिवार किसी भी परिसंपत्ति को बेचकर या गिरवी रखकर कोई भी धन जुटाता है तो वह सारा धन सेबी-सहारा खाते में जमा किया जाएगा। सहारा ने अपनी मज़बूरी दिखाते लिखा है कि सहारा एक रुपए का भी उपयोग जनता को भुगतान करने के लिए नहीं कर सकता है। इस विज्ञापन में सेबी-सहारा खाते में लगभग 25,000 करोड़ रूपए होने की बात कही गई है। सहारा ने इस धनराशि से सेबी को जमाकर्ताओं को भुगतान करने को कहा है। इस विज्ञापन में सहारा ने सेबी से जनता का भुगतान नहीं करने का कारण भी पूछा है। विज्ञापन में परिस्तिथियों का हवाला देते हुए सहारा ने जमाकर्ताओं को समय पर कहां से भुगतान करने की भी बात कही है। साथ ही विलम्ब से ही सही पर भुगतान करने की बात कही है।
दरअसल अपनी माता के निधन पर 6 साल पहले पैरोल पर जेल से बाहर आये सुब्रत राय हर तंत्र को चुनौती देते प्रतीत हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप करने और तमाम मामले दर्ज होने के बावजूद सुब्रत राय ने सहारा की एक पैसे की संपत्ति नीलाम नहीं होने दी। न ही किसी दबाव में किसी निवेशक को एक पैसा दिया। यह सुब्रत राय की राजनीतिक पैठ ही है कि मध्य प्रदेश के दतिया से गैर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद मध्य प्रदेश की पुलिस को उत्तर प्रदेश के लखनऊ गोमती नगर से बैरंग लौटना पड़ा। नहीं तो उत्तर प्रदेश के साथ ही मध्य प्रदेश में भी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए उनके मकानों पर बुलडोजर चलवा दिया जा रहा है।


लगभग 2 लाख करोड़ की निवेशकों की देनदारी लिए घूम रहे सुब्रत राय ने अब विभिन्न
दरअसल सुब्रत राय समय समय पर सेबी पर विभिन्न आरोप लगाकर विभिन्न अख़बारों में विज्ञापन जारी करता रहता है। 2014 में जब सुब्रत राय की गिरफ्तारी हुई थी तो उससे कुछ दिन पहले सेबी के उसके मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार न होने की बात लिखते हुए विभिन्न अख़बारों में विज्ञापन जारी किया था। सहारा इंडिया में जमाकर्ताओं के साथ एक खेल चलता रहा है कि जब भी किसी स्कीम की समय सीमा पूरी हुई तो जमाकर्ता को लालच देकर दूसरी स्क्रीम में उसका पैसा डाल दिया गया। सहारा से भुगतान न होने की वजह से कितने जमाकर्ताओं के साथ ही एजेंटों और अधिकारियों के आत्महत्या करने की बात समय समय पर सुनने और पढ़ने को मिलती रहती है।
दरअसल सुब्रत राय का खेल इमोशनल ब्लैकमेल का रहा है। 10 लाख सदस्यों का विश्व का सबसे बड़ा परिवार होने का दावा करने वाले सहारा इंडिया ने कारगिल में शहीद हुए जवानों के परिवार को मदद करने के नाम पर 10 साल तक अपने ही कर्मचारियों से पैसे काटे।

सुब्रत राय का शातिराना अंदाज कितना इमोशनल है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब सुब्रत को 2014 में गिरफ्तार किया गया तो उन्होंने अपने कर्मचारियों को जेल से छुड़ाने के नाम पर पत्र लिखकर मदद मांगी। बताया जाता है कि सुब्रत राय इस पत्र पर लगभग 1250 करोड़ रूपए जमा हुए थे। जबकि उस समय सेबी को देनदारी 500 करोड़ रूपए थी। जब सहारा मीडिया में वेतन न मिलने पर कुछ कर्मचारी तिहाड़ जेल में सुब्रत राय से मिले तो उनके पत्र पर 1250 करोड़ रूपए जमा होने की बात कही गई। कर्मचारियों ने जब इन 1250 करोड़ रूपए में से 500 करोड़ रूपए सेबी को देनी की बात कही तो सुब्रत ने वे 1250 करोड़ रुपए दूसरी मद में जमा करने की बात कही। मतलब सुब्रत राय सेबी को पैसे नहीं देना चाहते थे।
आज की तारीख में सुब्रत रॉय के परिवार के मर्सिडोना में बसने और दूसरे निदेशक जयब्रत राय के दूसरी कम्पनी खोलने और ओपी श्रीवास्तव के बाबा राम देव की पतंजलि में पैसा लगाने की बातें सामने आ रही हैं।
सहारा निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश चंद्र दिवाकर ने सहारा से जारी विज्ञापन पर कहा है कि निवेशकों ने पैसा सहारा को दिया था न सेबी को। उनका कहना है कि सुब्रत राय पैसा न देने के लिए ऐसे ही पैंतरेबाजी करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि सहारा के पास अख़बारों में विज्ञापन छ्पनाने के लिए करोड़ों रूपए हैं पर निवेशकों के देने के लिए नहीं।
संयुक्त राष्ट्रीय मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मदन लाल का कहना है कि सहारा, बाइक बोट और आदर्श जैसी जनता से ठगी करने वाली कंपनियों के खिलाफ सरकारों को सख्ती बरतने की जरुरत है। उनका कहना है कि ये कंपनियां जनता का लाखों करोड़ रुपये डकारे बैठी हैं।

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