Mobie Network : भारत के लिए क्‍यों जरूरी है 5G ?

सी.एस. राजपूत 
देश में इस समय 5G का बहुत हल्ला है। दरअसल 5G यानी पांचवीं पीढ़ी का Mobie Network है। आप और हम 2G, 3G, 4G से तो वाकिफ हैं, 5G उसका अगला version है। 5G से ऐसा नेटवर्क तैयार होगा जहां हर कोई हर चीज से वर्चुअली कनेक्‍ट हो पाएगा फिर चाहे वह मशीन हो या डिवाइसेज। 5G के जरिए कनेक्टिविटी की रफ्तार बेहद तेज हो जाएगी। 10 GB पर सेकंड की स्‍पीड से कुछ भी डाउनलोड कर सकेंगे। इसमें लेटेंसी बेहद कम होगी। नेटवर्क कैपेसिटी ज्‍यादा होगी।
 

दुनिया में 40 से ज्यादा टेलीकॉम ऑपरेटर 5G लॉन्च कर चुके हैं। 4G को भारत में धमाकेदार सफलता मिली। 5G का सपोर्ट करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि 5G तकनीक से भारत की टेलीकॉम कंपनियों को कनेक्टिविटी से आगे बढ़कर कंज्‍यूमर्स, इंडस्‍ट्रीज और इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिए हल निकालने का मौका मिलेगा। डिजिटल दुनिया में अपनी धाक जमाने का जो सपना भारत 90 के दशक से देखा रहा है, उसके साकार होने के लिए 5G बेहद जरूरी माना जा रहा है।

हेल्‍थ से जुड़ी वैज्ञानिकों की क्‍या हैं चिंताएं ?

हालांकि भारत के कई नामी वैज्ञानिकों ने 5G को लेकर चिंता भी जताई है। दो साल पहले, कई वैज्ञानिकों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा था, जिसमें उन्‍होंने कहा था कि 5G से इंसानी सेहत और पर्यावरण को नुकसान हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना था कि 5G से पहले विस्तार से रिसर्च की जरूरत है क्योंकि रेडिएशन का असर अक्सर देर से दिखता है। उन्‍होंने कहा था कि अगर इसे इंसानों के लिए सुरक्षित मान लिया भी जाए तो भी पेड़-पौधों पर इसके असर पर ढेर सारी रिसर्च होनी चाहिए।

WHO की 5G को लेकर क्‍या राय?

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक, अभी तक की रिसर्च में वायरलेस तकनीकों का सेहत पर कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है। 5G इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर से जो एक्‍सपोजर होता है, वह 3.5 गीगाहर्ट्ज़ के बराबर होता है। यह अभी के मोबाइल बेस स्‍टेशन के बराबर ही है। WHO की वेबसाइट के मुताबिक, चूंकि अभी यह तकनीक विकसित हो रही है, ऐसे में और रिसर्च होनी चाहिए। 
‘5G से हेल्थ को खतरा नहीं’

भारत के मशहूर टेक एक्सपर्ट्स में से एक, IIT कानपुर के डायरेक्टर अभय करंदीकर के मुताबिक, RF रेडिएशन से स्वास्थ्य पर किसी तरह के दुष्प्रभाव की बात किसी रिसर्च में सामने नहीं आए हैं। उनके मुताबिक, 5G को अलग-अलग स्‍पेक्‍टर बैंड्स में डिप्लॉय किया जाएगा। मशहूर बैंड्स कम फ्रीक्वेंसी वाले होंगे। हाई फ्रीक्वेंसी रेंज वाले बैंड्स की कवरेज छोटी होगी  और उनकी रेडिएशन पावर भी सीमा के भीतर होगी। करंदीकर के मुताबिक, 5G से सेहत को लेकर ज्यादा चिंता की जरूरत नहीं है।

5G का पर्यावरण पर कैसा असर?

यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन पर छपे एक लेख के मुताबिक, 5G से निश्चित तौर पर दुनियाभर में ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ेगा। लेख में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के लिए ऊर्जा का बढ़ता इस्तेमाल भी एक प्रमुख वजह है। हालांकि यूनिवर्सिटी ऑफ ज्‍यूरिख की एक स्‍टडी कहती है कि साल 2030 तक 5G नेटवर्क्‍स के जरिए ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 4G नेटवर्क्‍स से कम हो जाएगा।

देखने की बात यह भी है कि भले ही 5 जी से हमारी जिंदगी के बदल जाने की बात की जा रही हो पर इसके आने से हेल्थ को लेकर भी एक बड़ी चिंता भी जाहिर की जा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि सिग्नल भेजने और कैच करने के लिए जो मोबाइल टावर/एंटीना लगाए जाते हैं, उनके नजदीक रेडिएशन की फ्रीक्वेंसी काफी होती है जो कि आदमी के स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाती है  और 5जी में डेटा को तेज़ी से ट्रांसफर करने के लिए काफी ज्यादा टावर लगाने होंगे। हालांकि, एक्सपर्ट्स इससे सहमत नहीं हैं उनका कहना है कि अगर भारत रेग्युलेटरी अथॉरिटी द्वारा बनाए गए सुरक्षा उपायों का पालन करता है तो ऐसा कुछ नहीं होगा। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इसको खारिज करता है। उसका कहना है कि रेडियो फ्रीक्वेंसी की वजह से सिर्फ एक ही प्रभाव पड़ेगा और वह है शरीर का तापमान बढ़ना। शरीर का तापमान बढ़ने से स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होने वाला है। 

नुकसान नहीं पहुंचाती मोबाइल से निकलने वाली फ्रीक्वेंसी

फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा के एडिशनल डायरेक्टर वैभव मिश्रा का कहना है कि आदमी के शरीर को आयोनाइजिंग नेचर वाली फ्रीक्वेंसी ही नुकसान पहुंचाती है जबकि मोबाइल से निकलने वाली फ्रीक्वेंसी नॉन आयोनाइजिंग नेचर की होती है, जो कि शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाती। उनका कहना है कि अभी तक ऐसा कोई डेटा कलेक्ट नहीं हो पाया है कि जिससे पता चले कि 5जी रेडिएशन की वजह से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। 

लोग भ्रामक बातें करते हैं

ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के प्रेसिडेंट रामचंद्रन ने कहा, ‘5जी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के उलट हमारी स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाएगा। जहां तक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने की बात है तो इस तरह की बातें उस वक्त भी उठाई जा रही थीं जब 3जी और 4जी नेटवर्क आया था. जिन लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है वे लोग इस तरह की बातें उठाते हैं। 
रामचंद्रन ने कहा, ‘लेकिन इससे किसी तरह भी डरने की ज़रूरत नहीं है। उदाहरण के लिए अगर आप रिमोट रोबोटिक सर्जरी करना चाहते हैं तो आप एक मिली सेकंड में पूरी कमांड दे सकते हैं और अगर इसमें देरी होती है तो रोबोट शरीर का कोई दूसरा पार्ट काट सकता है लेकिन 5जी के आ जाने के बाद इससे पूरी तरह से बचा जा सकेगा।
  बता दें कि रिलायंस जियो और एयरटेल ने अक्टूबर से देश में 5G Roll out करने का ऐलान पहले ही कर दिया है। मोबाइल कम्युनिकेशन नेटवर्क में नेक्स्ट जेनरेशन 5G नेटवर्क के साथ, 4जी की तुलना में ज्यादा तेज स्पीड मिलेगी। माना जा रहा है कि 5G रोलआउट के साथ ही देश में क्लाउड गेमिंग, AR/VR टेक्नोलॉजी, IoT (Internet Of Things) आदि में स्पीड आएगी।

सबसे पहले 13 शहरों में मिलेगी 5G की सुविधा

5G नेटवर्क को देश के 13 बड़े शहरों में सबसे पहले रोल आउट किया जाएगा। इस लिस्ट में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरू, चंडीगढ़, गुरुग्राम, हैदराबाद, लखनऊ, पुणे, गांधीनगर, अहमदाबाद और जामनगर शामिल हैं। सरकार का लक्ष्य अगले 2 से 3 साल में देश के हर कसबे, गांव और तहसील तक 5G कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना है।

1G से 5G Services तक का सफर

1G सर्विस सबसे पहले 1980 में लॉन्च हुई। और ये एनालॉग रेडियो सिग्नल पर काम करती थी और सिर्फ वॉइस कॉल को ही सपोर्ट करती थी। 1990 के दशक में 2G सर्विस लॉन्च किया गया। जो डिजिटल रेडियो सिग्नल पर काम करती थी और 64Kbps बैंडविथ सपोर्ट करता है। यह सर्विस वॉइस कॉल और डेटा सपोर्ट करती थी।

2000 के दशक में 1 Mbps से 2 Mbps की स्पीड के साथ 3G सर्विस लाई गईं जो डिजिटल वॉइस, वीडियो कॉल , वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सपोर्ट करती हैं।
साल 2009 में 100Mbps से 1Gbps की पीक स्पीड के साथ 4G सर्विस लॉन्च की गईं। फिलहाल देश में 4G सर्विसेज का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। यह 3Dवर्चुअल रियलिटी को भी सक्षम बनाता है। 5G की बात करें तो यह 4G की तुलना में 20 गुना ज्यादा फास्ट होगी। इसमें मिड बैंड, लो बैंड और हाई बैंड शामिल होते हैं।
मोबाइल फोन, स्मार्टफोन को बेहतर बनाने के अलावा 5G सर्विसेज ऑग्मेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी जैसे इमर्सिव सेवाएं को बहुत फायदा मिलेगा। टेलिकम्युनिकेशन के लिहाज से 5G सर्विसेज देश में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आएंगी।

क्या होंगे 5G के बड़े फायदे?

5G Services के बाद देश में तेज स्पीड वाला इंटरनेट मिलेगा। जो 4G की तुलना में 20 गुना तक तेज होगा। वीडियो गेम एक्सपीरियंस में बड़ा बदलाव आएगा। इसके अलावा बिना बफरिंग वीडियो स्ट्रीमिंग एक्सपीरियंस मिलेगा। इंटरनेट के जरिए कॉलिंग आसान और बेहतर होगी।

इसके अलावा कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में भी 5G नेटवर्क आने के बाद बड़े बदलाव आएंगे। मेट्रो ऑपरेशन आसान होगा और ड्राइवरलेस ट्रेन चलाना आसान होगा। इसके अलावा रोबोटिक, मशीन लर्निंग और ioT (Internet of Things) जैसे क्षेत्र में बड़े फायदे होंगे।

5G सर्विसेज होंगी ज्यादा महंगी?

एक सबसे बड़ा सवाल है 5G सर्विसेज की कीमत क्या होगी? उम्मीद है कि मौजूदा 4G प्लान की कीमत की तुलना में 5G प्लान ज्यादा महंगे होंगे। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में वोडाफोन आइडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर रविंदर ठक्कर ने कहा था कि कंपनी ने स्पेक्ट्रम लेने में काफी पैसा खर्च किया है। इसलिए 5G सर्विसेज के लिए ज्यादा पैसे चार्ज किए जाने की जरूरत है। VIL ने स्पेक्ट्रम नीलामी में 18,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

कौन देगा देश में 5G Services का फायदा?

सरकार ने पिछले महीने देश में 5G Spectrum के लिए नीलामी का आयोजन किया था। इस नीलामी में Reliance Jio, Airtel, Vodafone Idea और Adani Group की एक कंपनी ने हिस्सा लिया था। सबसे पहले देश में Reliance Jio और Airtel ने देश में 5G नेटवर्क रोल आउट करने का ऐलान किया है।

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