Tuesday, April 23, 2024
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Travel in DTC Bus : ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के रूप में दें मान्यता, HC ने केजरीवाल सरकार को दिए निर्देश

अदालत ने ट्रांसजेंडर समुदाय के एक व्यक्ति की ओर से दायर जनहित याचिका पर आदेश पारित किया, जिसने बस टिकट पर थर्ड जेंडर (तीसरा लिंग) शब्द छापने और डीटीसी बसों में ट्रांसजेंडर के लिए मुफ्त यात्रा की मांग

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी सरकार को दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों में यात्रा करने के उद्देश्य से ट्रांसजेंडर समुदाय को तीसरे जेंडर के रूप में कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाले अभ्यावेदनों पर चार महीने के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया।

अदालत ने ट्रांसजेंडर समुदाय के एक व्यक्ति की ओर से दायर जनहित याचिका पर आदेश पारित किया, जिसने बस टिकट पर थर्ड जेंडर (तीसरा लिंग) शब्द छापने और डीटीसी बसों में ट्रांसजेंडर के लिए मुफ्त यात्रा की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, “प्रतिवादी को चार महीने की अवधि के भीतर यथासंभव शीघ्र निर्णय लेने के निर्देश के साथ याचिका का निस्तारण किया जाता है।”

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अमित जॉर्ज ने अदालत को अवगत कराया कि पहले भी इसी तरह की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने अधिकारियों से इस मुद्दे पर विचार के लिए कहा था, लेकिन आज तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है।

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने अगस्त 2022 में अधिकारियों को एक अभ्यावेदन भी दिया था, लेकिन (अब तक) कोई जवाब नहीं मिला। दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सरकार निश्चित रूप से इस मामले में फैसला लेगी। पीठ ने याचिकाकर्ता को जरूरत पड़ने पर दोबारा अदालत जाने की छूट दी।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि वर्तमान में जारी किए गए डीटीसी टिकट केवल दो जेंडर – पुरुष और महिला- को मान्यता देते हैं, और ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए इस बारे में कोई व्यवस्था नहीं है। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता नियमित रूप से डीटीसी द्वारा संचालित बसों से यात्रा करता है और टिकट खरीदते समय आघात और पीड़ा का सामना करता है, क्योंकि ट्रांसजेंडर समुदाय को तीसरे जेंडर के रूप में मान्यता नहीं दी गई है।

याचिका में तर्क दिया गया है कि ट्रांसजेंडर लोगों को आदर्श रूप से तीसरे जेंडर के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए, क्योंकि उन्हें अपना स्वयं का जेंडर तय करने का अधिकार है। याचिका में कहा गया है कि डीटीसी बसों में ट्रांसजेंडर को मुफ्त यात्रा प्रदान करने से सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि उन्हें हमेशा समाज द्वारा त्याग दिया जाता है और अछूतों के समुदाय के रूप में माना जाता है।

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