Delhi Ncr Pollution : पराली जलाना बना किसानों की मज़बूरी, NHRC ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों की सरकारों को लगाई फटकार

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने से चिंतिंत मानवाधिकार आयोग ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व दिल्ली के मुख्य सचिवों के साथ बैठक कर उनके सवाल सुनने के बाद पराली जलाने के लिए सरकारों को माना है जिम्मेदार  

सी.एस. राजपूत  

जो लोग प्रदूषण के लिए किसानों के पराली जलाने को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं उन्हें एन.एच.आर.सी. द्वारा दी दी गारी दिल्ली समेत पड़ौसी राज्यों को लगाई फटकार की यह खबर पढ़ लेनी चाहिए। एन.एच.आर.सी. ने पराली जलाने को किसानों की मज़बूरी माना है। एन.एच.आर.सी. का कहना है कि सरकारों के किसानों को धान कटाई की पर्याप्त मशीन और दूसरे उपकरण उपलब्ध न कराने की वजह से पराली जलाना किसानों की मज़बूरी माना है।एन.एच.आर.सी. ने  बाकायदा इन राज्यों को फटकार भी लगाई है। 


दरअसल दिल्ली एनसीआर में बढ़े प्रदूषण के लिए किसानों के पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराने के बाद एन.एच.आर.सी.तीन पड़ोसी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ एक बैठक की थी अब उनका जवाब सुनने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने शनिवार को कहा कि किसान ‘मजबूरी’ में पराली जला रहे हैं। यह सब दिल्ली के पड़ौसी चारों राज्य सरकारों की ‘विफलता है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने से चिंतिंत मानवाधिकार आयोग की 10 नवम्बर को हुई इस  बैठक में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिव थे। 

आयोग ने शनिवार को एक बयान में कहा कि संबंधित राज्यों एवं दिल्ली सरकार के जवाब पर गौर करने एवं विचार-विमर्श करने के बाद उसकी राय है कि ”किसान मजबूरी में पराली जला रहे हैं।” साथ ही कहा कि राज्य सरकारों को पराली से मुक्ति पाने के लिए कटाई मशीन प्रदान करनी थी, लेकिन वे पर्याप्त संख्या में मशीन उपलब्ध नहीं करवा पायीं और अन्य उपाय नहीं कर सकीं, फलस्वरूप किसान पराली जलाने के लिए मजबूर हैं एवं प्रदूषण फैल रहा है।

आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कोई भी राज्य पराली जलाने के लिए किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता, बल्कि इन चारों सरकारों की विफलता के कारण दिल्ली, पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में पराली जलाई जा रही है एवं हवा में इतना प्रदूषण फैल रहा है।

आयोग ने संबंधित मुख्य सचिवों को इस मामले पर अगली सुनवाई के दिन 18 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से या डिजिटल तरीके से पेश होने उसके द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर चार दिनों के अंदर ही अपना जवाब या हलफनामा दाखिल करने को कहा है ताकि उन पर चर्चा एवं विचार-विमर्श हो।  

वैसे भी धान की कटाई के बाद किसानों को गेहूं बोने की तैयारी करनी होती है। किसान को जल्द पलेवा करने के लिए पराली जल्द ठिकाने लगाने होता है। ऐसे में किसान बेचारा करे तो क्या करे। सरकार पराली को लाभ का सौदा क्यों बना देती। क्यों नहीं पराली से कुछ सामान बनाने के प्रयास होते। 

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