Thursday, April 25, 2024
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Delhi Government : केजरीवाल ने एलजी के निर्णयों को बताया इल्लीगल, कहा स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले सकते एलजी वीके सक्सेना 

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस कर एलजी पर लगाया इल्लीगल रूप से उनके काम करने का हस्तक्षेप करने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला 

सी.एस. राजपूत 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एलजी वीके सक्सेना के बीच का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एलजी से मिलने के बाद जो बातें पत्रकार वार्ता में एलजी के बारे में बोली हैं वे एलजी को गलत ठहराते हुए उनके खिलाफ चौतरफा मोर्चा खोलने वाली हैं। 

दरअसल केजरीवाल ने एलजी के स्वतंत्र रूप से लिए गए निर्णयों को इल्लीगल करार दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि एलजी को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि संविधान में एलजी को पुलिस, जमीन और पब्लिक आदेश का अधिकार है। स्वास्थ्य, पानी, मेडिकल, शिक्षा सभी अधिकार चुनी हुई दिल्ली सरकार के पास हैं। उन्होंने एलजी के अधिकार को रिजर्व सब्जेक्ट तो दिल्ली के अधिकार को ट्रांसफर सब्जेक्ट बताया। केजरीवाल ने 4  जुलाई 2018 के सुप्रीम कोर्ट के संविधान बेंच के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि एलजी को सरकार के ट्रांसफर सब्जेक्ट में निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने एलजी पर न्यायाधीश की तरह व्यवहार करने के भी आरोप लगाया। 

उन्होंने जास्मिन दफ्तर सील करने, 10 एल्डर सदस्यों के अलावा पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करने,  164 करोड़ रिकवरी के ऑर्डर, दिल्ली के शिक्षकों को फिनलैंड जाने से रोकने के साथ ही योगा क्लास को रोकने के आदेश को इल्लीगल बताया। 

उन्होंने कहा कि एलजी का कहना है कि वह एडमिनिस्ट्रेशन हैं, इसलिए वह सब कुछ कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की राय बताया है। केजरीवाल ने यह भी कहा कि जब उन्होंने एलजी से कहा कि इसका मतलब तो यह है कि राष्ट्रपति महोदया केंद्र  सरकार के  काम में हस्तक्षेप कर सकती हैं तो इस मामले को उन्होंने अलग बता दिया। केजरीवाल ने बताया कि जब उन्होंने एलजी से पूछा कि वह सीधे मुख्य सचिव से फाइल कैसे मंगा सकते हैं ? तो उन्होंने कहा कि उनको हर काम में हस्तक्षेप करने का अधिकार हैं। वह किसी भी अधिकारी को तलब कर सकते हैं। उन्होंने कहा जब उन्होंने 2019 का एक कानून और बताया, जिसमें एलजी के भी चुनी सरकार के हिसाब से काम करना बताया गया है। केजरीवाल का कहना है कि जब उन्होंने कहा एलजी से कहा कि जब सब कुछ आपको ही करना है तो फिर वह क्या करेंगे तो एलजी ने कहा कि यह आप जाने। 

दरअसल सीएम और एलजी के बीच का विवाद सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई  चन्द्रचूड़ ने सालिसिटर जनरल से केंद्र के दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम में हस्तक्षेप करने के बारे में सवाल किया है। दरअसल 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया है कि यदि पूरा कंट्रोल केंद्र सरकार का है है तो फिर दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार होने का क्या मतलब है ?  

सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राष्ट्रीय योजना में दिल्ली को हासिल अद्वितीय स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा, केंद्र सरकार के पास यह कहने का अधिकार होना चाहिए कि किसे नियुक्त किया जाएगा और कौन किस विभाग का प्रमुख होगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र की ओर से पेश हुए हैं। उन्होंने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय सिविल सेवा अधिकारियों और सभी केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा प्रशासित किया जाता है।  

जब तुषार मेहता ने कहा कि अधिकारियों के कार्यात्मक नियंत्रण और उनके प्रशासनिक या अनुशासनात्मक नियंत्रण के बीच अंतर है। अधिकारी हमेशा निर्वाचित सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्री के साथ होता है। इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने आश्चर्य जताया कि क्या इससे विषम स्थिति पैदा नहीं होगी ? उन्होंने कहा कि मान लीजिये कि अधिकारी ठीक से काम नहीं कर रहा है तो दिल्ली सरकार की यह कहने में कोई भूमिका नहीं होगी कि हम इस व्यक्ति को हटाएंगे और किसी और को लेंगे, वो कहां होंगे ? क्या हम कह सकते हैं कि उन्हें कहां तैनात किया जाएगा, चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो या कहीं और इस संबंध में उनके अधिकार क्षेत्र में कोई अधिकार नहीं होगा। 

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