Delhi Government : तो सुप्रीम कोर्ट कतरेगा एलजी वीके सक्सेना के पर ?

एलजी वीके सक्सेना और सीएम अरविंद केजरीवाल के विवाद का खामियाजा भुगत रही दिल्ली  

सी.एस. राजपूत 
जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर केंद्र सरकार के हस्तक्षेप पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़े तेवर किये हैं, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि दिल्ली में मनमानी कर रहे एलजी वीके सक्सेना पर कतरे जा सकते हैं। दरअसल दिल्ली में आप आदमी पार्टी की चुनी हुई सरकार है और चुनी हुई सरकार पर अंकुश रखने के लिए केंद्र सरकार ने एलजी वीके सक्सेना को पूरी छूट दे रखी है। एलजी दिल्ली में ऐसे काम कर रहे हैं कि जैसे वह दिल्ली के मुख्यमंत्री के ऊपर बैठा दिये गये हों, उनका काम बस दिल्ली सरकार के काम में हस्तक्षेप करना ही रह गया है। एलजी यह दर्शा रहे हैं कि देखो मैं कैसे केजरीवाल की क्लास लगाता हूं। 

दिल्ली मेयर चुनाव में भी उन्होंने ऐसे ही किया। जहां एलजी वीके सक्सेना दिल्ली सरकार के बिना राय मशविरा के 10 एल्डर सदस्यों को नियुक्त कर दिया, वहीं पीठासीन अधिकारी भी विपक्ष में बैठी भाजपा के पार्षद को बना दिया गया। यही वजह रही कि मेयर चुनाव हंगामे की भेंट चढ़ गया। अभी तक एलजी ने फिर से मेयर चुनाव की तारीख भी घोषित नहीं की है। हालांकि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 18,20,21 या फिर 24 तारीख को मेयर चुनाव कराने के लिए एलजी को पत्र लिखा है पर एलजी भला उनकी सलाह क्यों मानने लगे ? देखने की बात यह भी है कि आम आदमी पार्टी ने कोर्ट जाने की चेतावनी बीजेपी और एलजी वीके सक्सेना को दी थी। 

 दरअसल 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया है कि यदि पूरा कंट्रोल केंद्र सरकार का है है तो फिर दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार होने का क्या मतलब है ? 

यह सवाल किसी और ने नहीं बल्कि देश के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से किया है। दरअसल मुख्य न्यायाधीश ने एक  तरह से स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली में प्रशासन केंद्र सरकार के इशारे पर ही चलाया जा रहा है। मतलब केंद्र सरकार के इशारे पर एलजी अपनी मनमानी कर रहे हैं। जिस समय मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल से दिल्ली सरकार से संबंधित यह सवाल किया उस समय मुख्य न्यायाधीश संविधान पीठ की अध्यक्षता कर कर रहे थे। इस बेंच में जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राष्ट्रीय योजना में दिल्ली को हासिल अद्वितीय स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा, केंद्र सरकार के पास यह कहने का अधिकार होना चाहिए कि किसे नियुक्त किया जाएगा और कौन किस विभाग का प्रमुख होगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र की ओर से पेश हुए हैं। उन्होंने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय सिविल सेवा अधिकारियों और सभी केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा प्रशासित किया जाता है।  

मुख्य न्यायाधीश ने पूछी दिल्ली सरकार की भूमिका 

जब तुषार मेहता ने कहा कि अधिकारियों के कार्यात्मक नियंत्रण और उनके प्रशासनिक या अनुशासनात्मक नियंत्रण के बीच अंतर है। अधिकारी हमेशा निर्वाचित सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्री के साथ होता है। इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने आश्चर्य जताया कि क्या इससे विषम स्थिति पैदा नहीं होगी ? उन्होंने कहा कि मान लीजिये कि अधिकारी ठीक से काम नहीं कर रहा है तो दिल्ली सरकार की यह कहने में कोई भूमिका नहीं होगी कि हम इस व्यक्ति को हटाएंगे और किसी और को लेंगे, वो कहां होंगे ? क्या हम कह सकते हैं कि उन्हें कहां तैनात किया जाएगा, चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो या कहीं और इस संबंध में उनके अधिकार क्षेत्र में कोई अधिकार नहीं होगा।

दरअसल मुख्य न्यायाधीश का यह सवाल एलजी द्वारा बरती जा रही मनमानी की ओर इंगित कर रहा है। तो यह माना जाए कि सुप्रीम कोर्ट एलजी के पर काटने जा रहा है। देखने की बात यह भी है कि दिल्ली में अनगिनत परेशानियां हैं पर पर दिल्ली सरकार एमसीडी सब मेयर चुनाव में उलझते नज़र आ रहे हैं। 

टिप्पणियाँ बंद हैं।

|

Keyword Related


link slot gacor thailand buku mimpi Toto Bagus Thailand live draw sgp situs toto buku mimpi http://web.ecologia.unam.mx/calendario/btr.php/ togel macau pub togel http://bit.ly/3m4e0MT Situs Judi Togel Terpercaya dan Terbesar Deposit Via Dana live draw taiwan situs togel terpercaya Situs Togel Terpercaya Situs Togel Terpercaya syair hk Situs Togel Terpercaya Situs Togel Terpercaya Slot server luar slot server luar2 slot server luar3 slot depo 5k togel online terpercaya bandar togel tepercaya Situs Toto buku mimpi Daftar Bandar Togel Terpercaya 2023 Terbaru