Saturday, April 20, 2024
spot_img
HomeMCDDelhi Politics : केजरीवाल को सता रही मुस्लिमों की नाराजगी की चिंता 

Delhi Politics : केजरीवाल को सता रही मुस्लिमों की नाराजगी की चिंता 

एमसीडी चुनाव में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में जीती है कांग्रेस, नाजिया दानिश को बिना शपथ के ही हज कमेटी की सदस्य बनाने से और परेशान हैं दिल्ली के सीएम 

सी.एस. राजपूत 

जिस मुस्लिम वोटबैंक की बदौलत आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सत्ता कब्जाई है वही मुस्लिम वोटबैंक आजकल अरविंद केजरीवाल के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। दिल्ली के मुख्यमंत्री की यह चिंता इस बात की है कि मुस्लिम वोटबैंक आप से छिटक कर कांग्रेस से कैसे सट रहा है। नाजिया दानिश को हज कमेटी का सदस्य बनाना भी आप को अखर रहा है।  कहा तो यहां तक जा रहा है कि केजरीवाल की चिंता मेयर चुनाव कम और मुस्लिम वोटबैंक ज्यादा है। केजरीवाल को चिंता सता रही है कि यदि यह मुस्लिम वोटबैंक कहीं बीजेपी की ओर झुक गया तो उसका दिल्ली का पूरा खेल ही बिगड़ जाएगा। 

इन वार्डों पर कांग्रेस ने आप को दी शिकस्त 

दरअसल एमसीडी चुनाव में मुस्लिम वार्डों में कांग्रेस ने आप को करारी शिकस्त दी है। वार्ड 245 से कांग्रेस की नाजिया खातून जीतीं तो मुस्तफाबाद वार्ड 243 से सबीना बेगम ने जीत दर्ज की। कबीर नगर वार्ड 234 से कांग्रेस के जरीफ ने आप के साजिद को 4 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। वार्ड 213 शास्त्री पार्क से कांग्रेस के सगीर अहमद ने आप को 3 हजार वोटों से हराया। वार्ड वार्ड 227 चौहान बांगर से कांग्रेस की शगुप्ता चौधरी ने आप की आसमा बेगम को 17 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। इसी तरह से जाकिर नगर वार्ड 189 से कांग्रेस की नाजिया दानिश चुनाव जीती और उन्हें बिना शपथ लिए ही हज कमेटी का सदस्य बना दिया गया। 

आप की सबसे बड़ी चिंता इसी बात की है कि जिस तरह बीजेपी ने एलजी वीके सक्सेना की मदद से नाजिया दानिश को अपने पक्ष में लिया उसी तरह से यदि बीजेपी ने मुस्लिम मतदाताओं पर डोरे डाल दिए तो दिल्ली में जमना उसके लिए मुश्किल हो जाएगा। इतना ही नहीं अरीबा खान वार्ड 188 से कांग्रेस ने आप को हराया। बाकी दो सदस्य निहाल विहार से मनदीप सिंह और वेदपाल शीतल रहे। 

आप से मुस्लिमों की नाराजगी की वजह 

दरअसल मुस्लिम मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि में देख रहे हैं। मुस्लिम समुदाय महसूस कर रहा है कि केजरीवाल ने उनके हक़ में जाने वाले मसलों से जुड़ाव जाहिर नहीं किया है। वैसे भी उत्तर पूर्वी में वर्ष 2020 में हुए दंगों के बाद आम आदमी पार्टी के रुख से मुसलमान खासे नाराज हैं। वैसे भी कोविड के दौरान मरकज मामले पर पार्टी के रुख पर मुस्लिमों ने उंगली उठानी शुरू कर दी थी। गुजरात चुनाव के दौरान केजरीवाल के नोटों पर लक्ष्मी गणेश की फोटो की बात कर अपने को कट्टर हिंदुत्व की छवि में पेश करने से भी मुस्लिम नाराज हुए थे।

 मुस्लिमों को लगा था कि आप उन्हें बस वोटबैंक के रूप में देखती है। यह माना जा रहा है कि मुस्लिम वोट आम आदमी पार्टी की मज़बूरी है पर पसंद नहीं। यही वजह रही कि निर्णायक स्थिति में उन्होंने कांग्रेस को पसंद किया। आम आदमी पार्टी की चिंता की बात यह भी है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और विधायक अमानतुल्लाह खान के विधानसभा क्षेत्र ओखला में आप पांच में से बस एक वार्ड ही जीत पाई। 

देखने की बात यह भी है कि दिल्ली दंगों के आरोपी पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के वार्ड नेहरू विहार में आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रही। दंगों के बाद ताहिर को पार्टी से निकाल दिया गया था। दरअसल फरवरी 2020 में सीएए के खिलाफ आंदोलन के दौरान दंगे भड़क गए थे। दंगे में 53 लोगों की मौत हो गई थी। हिंसा का सबसे ज्यादा असर शिव विहार, मुस्तफाबाद, सीलमपुर, भजनपुरा, विजय पार्क, यमुना विहार और मौजपुर में था। यहां आप बुरी तरह से हारी है। इसी तरह से सीलमपुर में निर्दलीय उम्मीदवार हज्जन शकीला ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर आप प्रत्याशी ने नाम वापस लेकर शकीला को समर्थन दिया था।

दरअसल दिल्ली में गत दो विधानसभा चुनाव से मुस्लिम समुदाय से एकतरफा आम आदमी पार्टी को वोट दिया था और 2020 में पांचों मुस्लिम विधायक उसके बने थे। कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। मुस्लिम यह मानकर चल रहे हैं कि केजरीवाल अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा और बीजेपी ले नैरेटिव को जवाब देने के चक्कर में मुस्लिम हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही वजह रही कि इमामों ने केजरीवाल आवास पर प्रोटेस्ट किया। 

दरअसल दिल्ली की सियासत में मुस्लिम मतदाता का बड़ा महत्व है। दिल्ली में मुस्लिम मतदाता 12 फीसद के करीब माने जाते हैं। दिल्ली की कुल 70 में से 8 विधानसभा सीटों को मुस्लिम बहुल माना जाता है, जिनमें बल्लीमारान, सीलमपुर, ओखला, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, मटिया महल, बाबरपुर और किरोड़ी सीटें शामिल हैं। इन विधानसभा क्षेत्रों में 35 से 60 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। साथ ही त्रिलोकपुरी और सीलमपुर सीट पर भी मुस्लिम मतदाता काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। उत्तरी दिल्ली, चांदनी चौक और दक्षिण पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीटों पर भी मुस्लिम निर्णायक स्थिति में हैं। यहां पर मुस्लिम 25 से 35 फीसदी हैं। 

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments