Wednesday, April 24, 2024
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Pakistan in the role of surrender in front of India : बड़े भाई की हैसियत से पाक को अपने में समेटे भारत!

पाकिस्तान में गृह युद्ध के हालात, कहीं से कोई मदद न मिलने पर आत्मसमर्पण की भूमिका में हैं पाक पीएम शहबाज शरीफ, तीन युद्ध से सबक लेने की कही है बात

सी.एस. राजपूत 

यह पाकिस्तान का पूरा ध्यान भारत को नुकसान पहुंचाने और नीचा दिखाने में लगाना ही रहा है कि आज उसके आकाओं ने भी उससे मुंह फेर लिया है। पाकिस्तान में जहां गृह युद्ध के हालात हैं वहीं उसे कोई कर्ज देनो को भी देने को तैयार नहीं। ऐसे हालात में पाकिस्तान की जनता के साथ ही सरकार ने भी भारत की ओर आशा भरी निगाह से देख रही है। खुद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि उन्होंने भारत से तीन युद्ध किये आखिर उन्हें क्या मिला ? मतलब इस बुरे वक्त में पाकिस्तान को भारत की याद आ रही है। तो क्या यह माना जाए कि जब चीन, अमेरिका और सऊदी अरब ने पाकिस्तान को ठेंगा दिखा दिया है तो उसे एक सहारा भारत ही दिखाई दे रहा है।


ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिरकार भारत उसकी मदद क्यों करे ? भारत के हर काम में रोड़ा अटकाने वाले, आतंकवाद फैलाने वाले जम्मू-कश्मीर पर बुरी नीयत रखने वाले पाकिस्तान भारत विश्वास भी करे तो कैसे करे। वैसे समाज और देश दोनों ही दृष्टि से पाकिस्तान भारत का छोटा भाई है। ऐसे में पाकिस्तान को भारत के पास छोटा भाई बनकर आना चाहिए। भारत को भी बड़ा दिल दिखाते हुए बड़े भाई का फर्ज अदा करना चाहिए पर अब समय पाकिस्तान की मदद का नहीं है बल्कि पाकिस्तान को भारत में मिलाने का है। पाकिस्तान का भारत में मिलना न केवल भारत बल्कि पाकिस्तान के हित में है।
पाकिस्तान के हित में इसलिए है क्योंकि वहां भुखमरी के हालात हैं। आतंकी पाकिस्तान को शरणस्थली के रूप में देख रहे हैं। अमेरिका के बाद अब चीन ने उस पर कर्ज लाद दिया है। उसकी अर्थव्यवस्था कब्जाने में लगा है। भारत के लिए पाकिस्तान को अपने मिलाना इसलिए जरूरी हो गया है क्योंकि ऐसे हालात में यदि वहां आतंकी संगठन हावी हो गये तो आने वाले दिनों में ये आतंकी संगठन सबसे बड़ा खतरा भारत के लिए ही बनेंगे। ऐसे ही चीन का वर्चस्व यदि पाकिस्तान पर हो जाता है तो वह भारत के लिए और कष्टदायक होगा। ऐसे में प्रश्न उठता है आखिरकार पाकिस्तान को मिलाया जाए कैसे ? दरअसल भारत को पाकिस्तान को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अपने में मिलाना चाहिए। पाकिस्तान का अपना वजूद रहे पर वह भारत की केंद्र सरकार के अधीन रहे। ऐसे में न केवल पाकिस्तान बल्कि बलूचिस्तान की समस्या भी हल हो जाएगा। बलूचिस्तान के लोग भी पाक से छुटकारा पाना चाहते हैं।

दरअसल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के साथ अब तक तीन युद्ध लड़े हैं जिसके बाद पाकिस्तान अपना सबक सीख चुका है। हम पड़ोसी मुल्क हैं, हमें एक-दूसरे के साथ ही रहना है। यह दोनों पर निर्भर करता है कि हम शांति कायम करें और तरक्की करें। भारत के साथ युद्ध के बाद गरीबी और बेरोजगारी ही आई है। शहबाज शरीफ ने एक तरह से थके हारे और बुरी तरह से टूटे छोटे भाई की तरह उस बड़े भाई की ओर हाथ बढ़ाया है जिस भाई को वह जन्म लेते ही परेशान करने लगा था, उसको लगातार घाव दे रहा था।ऐसे में गेंद भारत के पाले में है। 

देखते की बात यह है विश्व गुरु बनने का सपना देखने वाले पीएम मोदी के लिए समय इतिहास लिखने का मौका दे रहा है। आज की तारीख में भले ही अंदरूनी रूप से भारत के हालात थी न हों पर मोदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि अच्छी बना रखी। पाकिस्तान की मदद कर न केवल मोदी पाकिस्तान की जनता की सहानुभूति बटोरेंगे बल्कि पाकिस्तान और भारत के लिए भी सुनहरा इतिहास लिखने का मौका देंगे। जब हम बंगला देश को बसा सकते हैं तो फिर पाकिस्तान का खर्च क्यों नहीं उठा सकते हैं।

दरअसल पाकिस्तान इस समय अपने बेहद ही बुरे वक्त से गुजर रहा है। वहां खाने से लेकर, बिजली, एलपीजी गैस बढ़ोतरी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। स्थिति यह है कि आटे के लिए मारामारी हो रही है।  प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ने खुद प्रेस कांफ्रेंस कर कहा है कि हम शांति से जीना चाहते हैं। एक तरह से अपनी गलती स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा है कि भारत के साथ उनकी 3 जंग हुई है उसके बाद पाक एक सबक सीख चुका है। मतलब साफ है कि पाकिस्तान भारत का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

एक पाकिस्तानी चैनल से बात करते हुए शहबाज शरीफ पड़ोसी मुल्क होने की बात कर रहे हैं। एक-दूसरे के साथ रहने की बात कर रहे हैं। हालांकि वह अपने साथ ही भारत पर भी निर्भर करने की बात भी कर रहे हैं। शहबाज़ शरीफ स्वीकार कर रहे हैं कि भारत के साथ युद्ध के बाद गरीबी और बेरोजगारी ही आई है। मतलब शहबाज शरीफ आत्मसमपर्ण की भूमिका में हैं। भारत से मिलकर अपनी समस्याओं को सुलझाना चाहते हैं। मतलब उनकी मोहताजी साफ झलक रही है।  

दरअसल पाकिस्तान को इस समय अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से मिलने वाली मदद का बेसब्री से इंतजार है, पर उसकी उम्मीद कम है क्योंकि उसके आकाओं को वापसी की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। उन्होंने स्वीकार किया है कि उन्हें अब उनको कर्ज मांगने पर शर्म आ रही है। मतलब साफ है कि देशों ने उनको टरकाना शुरू कर दिया है। जमीनी हकीकत तो यह है कि बाढ़ और आतंकवाद से निपटने के लिए पाकिस्तान बड़े स्तर पर कर्जा ले चुका है। शरीफ ने कहा है कि यह बड़े अफसोस की बात है कि आजादी के 75 साल बाद कई सरकारें आईं और गई लेकिन देश की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। राजनीतिक नेतृत्‍व या सैन्‍य तानाशाही आर्थिक चुनौतियों से अभी तक पार नहीं पा सके हैं। दरअसल पाकिस्तान की बदहाली दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। पाकिस्तानी सरकार देश विदेश से भीख मांग रही है पर कोई भीख भी देने को तैयार नहीं। 

देखने की बात यह भी है कि हमारे पीएम नरेंद्र मोदी का भी एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पीएम मोदी कहते हुए नजर आ रहे हैं कि हमने पाकिस्तान कि सारी हेकड़ी निकाल दी है, उसे कटोरा लेकर दुनियाभर में घूमने के लिए मैंने मजबूर कर दिया, जिसके बाद पाक के पूर्व पीएम इमरान खान ने इस वीडियो को शेयर करते हुए पाक के मौजूदा पीएम पर तंज कसा है, पाक और वहां के विपक्षी सरकारों का मानना है कि आज जो पाकिस्तान के हालात हैं इसके लिए पीएम शहबाज शरीफ खुद ही जिम्मेदार हैं। 

तो क्या आज पाकिस्तान की बदहाली के लिए शहबाज शरीफ ही जिम्मेदार हैं। दरअसल पाकिस्तान ने 30 नवंबर 2021 को  अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार के उद्देश्य से 3 बिलियन प्राप्त करने के लिए सऊदी फंड फॉर डेवलपमेंट यानी कि (एसएफडी) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। इससे पहले भी 2013, 2016 और 2018 में भी पाकिस्तान ने अपने आर्थिक संकट से उबरने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, यूएई और चीन से बाहरी वित्तीय सहायता मांगी थी। जहां पाकिस्तान में मौजूदा संकट को बड़ी संख्या में नीतिगत निर्णयों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है जो देश के कई हिस्सों में राजनीतिक अशांति के साथ संयुक्त रूप से अपेक्षित परिणाम नहीं देते हैं। जैसे कि सार्वजनिक ऋण, विदेशी मुद्रा भंडार, मुद्रास्फीति आदि की रूपरेखा दी गई है, जो पाकिस्तान में गहराते आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार हैं। 

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