Wednesday, April 24, 2024
spot_img
Homeअन्यDelhi Liquor Scam : आबकारी नीति घाेटाला में विजय नायर को कोर्ट...

Delhi Liquor Scam : आबकारी नीति घाेटाला में विजय नायर को कोर्ट ने बताया सूत्रधार, जमानत याचिका की खारिज


नई आबकारी नीति घोटाला मामले में आरोपितों की भूमिका पर अहम सवाल उठाते हुए कोर्ट ने तथ्यों को स्पष्ट किया, नई आबकारी नीति घोटाला में आरोपितों की भूमिका पर अहम सवाल उठाते हुए कोर्ट ने विस्तार से तथ्यों को स्पष्ट किया। जमानत नहीं देने का स्पष्ट आधार बातते हुए विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने विजय नायर को जहां घोटाले का सूत्रधार तो समीर महेंद्रू को केंद्र बिंदु या आधार बताया।

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

नई दिल्ली । नई आबकारी नीति घोटाला मामले में आरोपितों की भूमिका पर अहम सवाल उठाते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट ने विस्तार से तथ्यों को स्पष्ट किया। जमानत नहीं देने का स्पष्ट आधार बातते हुए विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने विजय नायर को जहां घोटाले का सूत्रधार तो समीर महेंद्रू को केंद्र बिंदु या आधार बताया। उन्होंने कहा कि यह दिखाने के लिए प्रथम दृष्टया सबूत मौजूद हैं कि नायर विभिन्न आरोपित व्यक्तियों के बीच अस्तित्व में आने वाली पूरी आपराधिक साजिश के सूत्रधार के रूप में सामने आए थे।


नायर मूल रूप से आप के मीडिया प्रभारी थे, लेकिन जांच में पता चला कि वास्तव में वह विभिन्न स्थानों पर शराब कारोबार में हितधारकों के साथ हुई विभिन्न बैठकों में आप और दिल्ली सरकार का प्रतिनिधत्व कर रहे थे।

इतना ही नहीं बैठकों में उनकी भागीदारी को इस तरह से देखा जाना चाहिए कि वह आप के एक वरिष्ठ मंत्री को आवंटित आधिकारिक आवास में रह रहे थे। वहीं, सरकार या आप में से किसी ने भी आधिकारिक रूप से इन बैठकों में भाग नहीं लिया। नायर को ही न सिर्फ दक्षिण शराब लाबी ने 100 करोड़ रुपये की रिश्वत राशि दी गई थी, बल्कि नायर ने भुगतान की पूरी योजना और उपरोक्त रिश्वत की वसूली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


वहीं, समीर महेन्द्रू के खिलाफ आरोपों के बारे में अदालत ने कहा चर्चा और अदालत के सामने रखी गई सामग्री के मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि मामले के केंद्र या आधार बिंदु था। महेंद्रू के चारों ओर ही उपरोक्त आपराधिक साजिश विकसित हुई और उसने गठन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रिश्वत के भुगतान में शामिल था शरथ रेड्डी

वहीं, शरथ रेड्डी की भूमिका पर अदालत ने कहा कि अब तक एकत्र किए गए साक्ष्य स्पष्ट है कि वह करीब 100 करोड़ रुपये के रिश्वत के भुगतान में सक्रिय रूप से शामिल था। वहीं, अभिषेक बोइनपल्ली के बारे में अदालत ने कहा कि वह प्रथम दृष्टया कार्टेल में दक्षिण समूह के प्रतिनिधियों में से एक था और उसने रिश्वत के भुगतान के साथ-साथ इसकी प्रतिपूर्ति में सक्रिय भूमिका निभाई थी।

कारपोरेट गारंटी प्रस्तुति करने के पीछे थे बिनाय बाबू का दीमाग

बिनाय बाबू की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि मौखिक और दस्तावेजी सबूतों से पता चलता है कि एचएसबीसी बैंक से कार्टेल के अन्य सदस्यों द्वारा लिए गए ऋण के लिए 200 करोड़ रुपये की कारपाेरेट गारंटी पेश करने के आरोपित कंपनी पर्नोड रिकार्ड द्वारा लिए गए फैसले के पीछे बाबू का दिमाग था। यही खुदरा शराब कारोबार पर नियंत्रण रखने और कंपनी द्वारा शराब ब्रांडों की बिक्री में उच्चतम बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए एक निवेश माना गया था।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments