Delhi Mayor Election : सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने आम आदमी पार्टी के मेयर बनने का रास्ता किया साफ़, स्टैडिंग कमेटी पर भी कब्ज़ा होने के आसार  

सही साबित हुई दिल्ली दर्पण की खबर : MCD मेयर चुनाव में मनोनीत पार्षद नहीं डाल पाएंगे वोट, इस बार सुप्रीम कोर्ट ने टाला दिल्ली मेयर का चुनाव

 सी.एस. राजपूत  

आख़िरकार मेयर चुनाव का रास्ता सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही खुला है। जैसा कि दिल्ली दर्पण की खबर में कहा गया था कि दिल्ली को मेयर सुप्रीम कोर्ट से ही मिलेगा। दिल्ली को मिलेगा मेयर सही साबित हुई है । दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली मेयर चुनाव को लेकर भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि संविधान में स्पष्ट है कि मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) मेयर चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं। साथ ही 16 फरवरी को होने वाले दिल्ली मेयर के चुनाव पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। मतलब अब मेयर चुनाव की तारीख भी सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा। इस आदेश के बाद आम आदमी पार्टी का मेयर और डिप्टी मेयर बनना लगभग तय हो गया है। स्टैंडिंग कमेटी पर आम आदमी पार्टी के कब्जे के आसार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हो गए हैं। 

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि संविधान में स्पष्ट है कि मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) मेयर चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं। ऐसा ही मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 2018 के सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश का हवाला देते हुए कहा था। उन्होंने एलजी के फैसलों को अवैध कहा था। साथ ही केंद्र सरकार पर 2021 को कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना का आरोप भी लगाया था। यह खबर दिल्ली दर्पण टीवी ने प्रमुखता से पब्लिश की थी। 

 उधर उपराज्यपाल की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) संजय जैन ने कहा है कि मामले में विस्तृत सुनवाई होनी चहिए। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई 17 फरवरी को होगी।


 दरअसल दिल्ली मेयर चुनाव मामले में आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली मेयर की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने कहा कि एमसीडी मेयर चुनाव में मनोनीत पार्षद वोट नहीं कर सकते हैं। इसी मामले में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि संविधान के प्रावधान के अनुसार, मनोनीत सदस्य महापौर और उपमहापौर चुनाव के लिए वोट नहीं कर सकते हैं।
मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी। 17 फरवरी को एलजी के फैसलों को अवैध घोषित करने की उम्मीद जताई जा रही है।  
शीर्ष अदालत ने आठ फरवरी को शैली ओबेरॉय की याचिका पर उपराज्यपाल कार्यालय, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के प्रोटेम पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा और अन्य से जवाब मांगा था।

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