Friday, April 19, 2024
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Delhi: स्पूफिंग कॉल के जरिए नेता से 50 लाख ठगे, IPS पर बनाया ट्रांसफर का दबाव; मोबाइल पर दिखता CM ऑफिस का नंबर


Delhi Spoofing Call Fraud दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कॉल स्पूफिंग के जरिए ठगी करने करने वाले चार शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है। इन ठगों ने बड़े अधिकारियों के अलावा एक प्रदेश के मुख्यमंत्री दफ्तर के नंबर से स्पूफिंग के जरिए कॉल कर एक नेता को ठग लिया।

नई दिल्ली । दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कॉल स्पूफिंग के जरिए ठगी करने वाले चार शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है। इन ठगों ने बड़े अधिकारियों के अलावा एक प्रदेश के मुख्यमंत्री दफ्तर के नंबर से स्पूफिंग के जरिए कॉल कर एक नेता से 2024 में लोकसभा का टिकट दिलाने के नाम पर 50 लाख रुपये की ठगी भी कर ली।

गिरफ्तार आरोपितों में उत्तर प्रदेश के लखनऊ का हिमांशु सिंह, जस्टिन मोहनलाल परेरा, दशरथ मकवाना, और नरेश कुमार हैं। पूछताछ में पता चला है कि आरोपित स्पूफिंग कॉल के लिए वाइबरप्लस एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर रहे थे।


ऐसे मिलते थे अधिकारियों-नेताओं के नंबर

पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपित पहले वेबसाइट से बड़े अधिकारियों और नेताओं के मोबाइल नंबर निकाल लेते थे और फिर मुख्यमंत्री कार्यालय का नंबर लेकर एप के जरिए जिसे चाहते उसे वह फोन करते थे। जिसको भी कॉल करते, उसके मोबाइल पर मुख्यमंत्री कार्यालय का नंबर ही दिखता था।

नेता को टिकट दिलाने का सपना दिखाकर 50 लाख ठगे

पुलिस जांच में पता चला है कि एक नेता को ठगों ने विश्वास में लेकर 2024 लोकसभा चुनाव का टिकट दिलाने का ख्वाब दिखाया और 50 लाख रुपये एडवांस में भी ले लिए। पैसे एडवांस देने के बाद आरोपितों ने उन पैसों को क्रिप्टो करेंसी में बदला और उसके बाद उसे अपने ई-वालेट में रख लिया।


ई-वॉलेट में मिले 59,000 अमेरिकी डॉलर

आरोपितों के ई-वॉलेट में 59,000 अमेरिकी डॉलर थे, जिसे पुलिस ने सीज कर दिया है। ठगों की शिकायत एक आईपीएस अधिकारी ने की थी, जिसके बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 17 फरवरी को एफआईआर दर्ज की थी। केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की तो उन्हें पता लगा कि गिरोह के सदस्य स्पूफिंग के जरिए लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं।

IPS अधिकारी को भी किया कॉल

एफआईआर दर्ज होने से कुछ दिन पहले ठगों ने एक आईपीएस अधिकारी को फोन करके तीन ट्रांसफर करवाने का दबाव बनाया था, लेकिन आईपीएस अधिकारी को शक हो गया। उन्होंने अपने स्तर पर जांच करवाई तो पता लगा कि उनके पास कोई कॉल मुख्यमंत्री कार्यालय से नहीं आई थी।


ठगों ने आईपीएस अधिकारी को 31 जनवरी और 16 फरवरी को कॉल किया था। स्पेशल सेल ने इस मामले में आईटी एक्ट की धारा 66सी, आपराधिक साजिश की धारा 120बी समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया। पुलिस ने इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस डिटेल्स रिकार्ड (आईपीडीआर) का विश्लेषण किया तो पता चला कि कॉल एक नकली नंबर से किया गया था।

तकनीकी निगरानी में वाइबरप्लस एप्लिकेशन के उपयोग का पता चला, जिसके बाद सेवा प्रदाता से विवरण मांगा गया। बाद में आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया।


पूछताछ के दौरान आरोपितों ने बताया कि जस्टिन, दशरथ और नरेश मार्केटिंग और क्रिप्टो कारोबार के सिलसिले में लखनऊ में हिमांशु सिंह के संपर्क में आए थे। एक मुलाकात के दौरान हिमांशु ने उन्हें एक ऐसे एप के बारे में बताया, जिसके जरिए वह किसी के भी नंबर से कॉल कर सकते हैं। फिर आरोपितों ने अपने एक परिचित राजनेता को लोकसभा का टिकट दिलाने के नाम पर ठगी करने की योजना बनाई।

दो आरोपित अभी भी हैं फरार

पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरोह के दो सदस्य अभी भी फरार हैं। वह उत्तर प्रदेश के ही रहने वाले हैं। राजनेता से ठगी की रकम अभी आरोपितों से बरामद नहीं हुई है। आरोपितों के कब्जे से चार मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। उसकी जांच की
क्या है स्पूफिंग कॉल?
स्पूफिंग कोई नई तकनीक नहीं है। कॉल स्पूफिंग में कॉलर आईडी की जानकारी में हेरफेर करने की प्रक्रिया को कॉल नंबर स्पूफिंग कहते हैं। मोबाइल नंबर स्पूफिंग कॉलर आईडी उपयोग कर जालसाज वीआईपी आधारित एप का इस्तेमाल करके स्पूफिंग करते हैं। जालसाज इस कॉलर आईडी को मैनिपुलेट करके किसी अन्य लोकेशन और किसी के भी नंबर को दिखा सकते हैं। जबकि वास्तव में कॉल की लोकेशन और नंबर किसी और जगह का हो सकता है।

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