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अब Feedback Unit-FBU के गठन मामले में घिरे मनीष सिसोदिया, अमित शाह ने दी केस दर्ज कर जांच करने की मंजूरी 

सीबीआई जांच में पाया गया अवैध नियुक्तियां और भ्र्ष्टाचार का आरोप  

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर जांच करने की मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी दिल्ली सरकार की Feed Back Unit-FBU के गठन और उसमें की गयी अवैध नियुक्तियों में हुए भ्रष्टाचार को लेकर दी गयी है। दरअसल सीबीआई ने नवंबर 2016 में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी। सीबीआई जांच में पाया कि इस यूनिट का गठन नियमों को ताक पर रख कर किया गया है। यह जांच सीबीआई ने दिल्ली सरकार के तत्कालीन डिप्टी सेक्रेटरी विजिलेंस के एस मीणा की शिकायत पर की थी। दरअसल दिल्ली सरकार ने फरवरी 2016 में दिल्ली सरकार के अधीन काम करने वाले कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और कामकाज पर नजर रखने के लिये Feedback Unit का गठन किया था।इस यूनिट में शुरूआत में 20 भर्तियां की जानी थी, जिसके लिए दिल्ली सरकार के उद्योग विभाग की 22 पोस्ट को खत्म करके लिया जाना था लेकिन बाद में दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्यूरो की 88 पोस्ट में से 20 भर्तियां FBU में करने की बात हुई। हालांकि ACB में जिन 88 पोस्ट भरने की बात की जा रही थी उसका भी सिर्फ प्रपोजल था और LG की तरफ से मंजूरी नहीं ली गयी थी।


दिल्ली के मुख्यमंत्री के सचिव ने 29 अप्रैल 2015 को एलजी को चिट्ठी लिखी थी कि दिल्ली से जुड़े मामलों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री बिना उपराज्यपाल को बताये फैसला ले सकते हैं। हालांकि यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में विचाराधीन था। 4 अगस्त 2016 को हाईकोर्ट का फैसला आया तो Feed Back Unit की मंजूरी के लिये दिल्ली सरकार की तरफ से LG को  दो बाद   मंजूरी के लिये फाइल भेजी गयी लेकिन उप राज्यपाल ने इस मामले में नियमों की अवहेलना और पूरी जांच के लिये मामला सीबीआई को भेज दिया।

सीबीआई ने अपनी शुरुआती जांच में पाया कि यूनिट में भर्ती के लिये तत्कालीन सेक्रेटरी विजिलेंस सुकेश कुमार जैन ने 6 नवंबर 2015 को मनीष सिसोदिया को प्रपोजल दिया जिसको लेकर मनीष सिसोदिया ने सहमति दे दी लेकिन सुकेश कुमार जैन ने इसकी जानकारी AR Department को दी ही नहीं। विजिलेंस विभाग के अधिकारी ने जांच के दौरान बताया कि  भर्तियों के लिये आवेदन जारी करने के बाद यह जानकारी AR Department को दी गयी और कहा गया कि ये भर्तियां उद्योग विभाग में खत्म की जा रही पोस्ट की जगह होंगी लेकिन 25 जनवरी 2016 में तय किया गया की ये भर्तियां ACB में की जाने वाली 88 भर्तियों में से की जाएंगी। मनीष सिसोदिया को भी यह जानकारी थी कि इन भर्तियों के लिये या यूनिट के गठन के लिये उप राज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गयी है।

शुरूआती जांच में पाया गया कि इस यूनिट के लिये 17 लोगों को भर्ती किया गया था और 1 करोड़ का बजट रखा गया था। साल 2016-17 में दो बार में 5-5 लाख कर के 10 लाख रुपये 7 जून 2016 और 13 जून 2016 में यूनिट को दिये गये। शुरूआत में 20 मई 2016 को आदेश जारी कर ACB के शम्स अफरोज को इस यूनिट के एडमिन और फाइनेंस के डिप्टी डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गयी जो उन्हे अपने Anti-Corruption Bureau में ACP के पद के साथ पूरी करनी थी लेकिन कुछ ही दिनों बाद 31 मई 2016 को नया आदेश जारी किया गया कि मुख्यमंत्री के तत्कालीन एडवाइजर आर के सिन्हा इस यूनिट के मुखिया के तौर पर जिम्मेदारी संभालेगे। इसके बाद जब शम्स अफरोज ने यूनिट में गलत तरीकों से खर्चों को लेकर बात की तो आर के सिन्हा ने चिट्ठी लिख कर कहा कि शम्स अफरोज का इस यूनिट से कोई मतलब नहीं है और उन्हें SS Funds की जानकारी न दी जाये।

सीबीआई ने अपनी शुरूआती जांच में पाया कि SS Fund से 1.5 लाख रुपये M/s Silver Shield Detectives को दिये गये और 60 हजार W.W. Security को देने की बात कही, वो भी SS Fund से पैसे सतीश खेतरपाल को जारी होने के अगले ही दिन, जबकि जांच में पाया गया कि ये बिल फर्जी है। इन दोनों को किसी तरह के पैसों का भुगतान नहीं किया गया और न ही इन दोनों ने इस यूनिट या दिल्ली सरकार के लिए कोई काम किया। हालांकि M/s Silver Shield Detectives के पार्टनर ने जांच में ये कहा कि कंपनी से फीड बैक यूनिट के ज्वाइंट डायरेक्टर आर के सिन्हा ने किसी महिला की जानकारी और उनके पीछा करने की बात की थी लेकिन इससे ज्यादा कोई बात नहीं हुयी।

इसके अलावा 20 दिसंबर 2016 को मनीष सिसोदिया ने तत्कालीन सेक्रेटरी विजिलेंस अश्वनी कुमार को फीडबैक यूनिट में काम करने वाले डाटा एंट्री ऑपरेटर की सैलरी देने की बात कही जो अगस्त से रुकी हुयी थी और तीन दिन में पूरा कर जवाब देने के लिये कहा, जिसके बारे में अश्वनी कुमार(सेक्रेटरी विजिलेंस) ने फाइल पर लिख कर कहा कि इन कर्मचारियों के आउटपुट के बारे में जानकारी मांगी गई है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है, जिसके बाद मनीष  पूछा कि क्या इन कर्मचारियों की सैलरी रोकने के बारे में LG Office से कहा गया है। उन्होंने कहा कि अगर नहीं तो सैलरी जारी की जाए।  सीबीआई ने अपनी जांच में इसे (Vested Interested) माना है।

जांच में पाया गया कि फीड बैक यूनिट का गठन जिस मकसद से किया गया था वह तो पूरा नहीं हुआ पर  आम आदमी पार्टी और मनीष सिसोदिया राजनीतिक फायदे के लिए इसका इस्तेमाल जरूर किया गया।  इस मामले में मनीष सिसोदिया ने तत्कालीन सेक्रेटरी विजिलेंस सुकेश कुमार जैन के साथ मिल कर अहम भूमिका निभाई थी।

जांच में पाया गया कि दिल्ली सरकार के तत्कालीन सेक्रेटरी विजिलेंस ने 26 सितंबर 2016 को फीड बैक यूनिट के ज्वाइंट डायरेक्टर आर के सिन्हा को चिट्ठी लिख कर यूनिट के बारे में जवाब मांगा पर कोई जवाब न आने पर विजिलेंस विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी के एस मीणा ने उसी दिन शाम 5 बजे सेक्रेटरी विजिलेंस को चिट्ठी लिख कर यूनिट को बंद करने के लिए कह दिया।  जिसके बाद सेक्रेटरी ने इसे बंद करने की मंजूरी दी।

 इस यूनिट अवैध गठन से सरकार को 36 लाख रुपए  का नुकसान हुआ। इसके बाद सीबीआई ने तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, तत्कालीन सेक्रेटरी विजिलेंस सुकेश कुमार जैन,  मुख्यमंत्री के स्पेशल एडवाइजर और इस यूनिट के ज्वाइंट डायरेक्टर आर के सिन्हा, डिप्टी डायरेक्टर फीट बैक यूनिट प्रदीप कुमार पूंज,  फीड बैक ऑफिसर सतीश खेतरपाल और  मुख्यमंत्री एडवाइजर एंटी करप्शन से गोपाल मीणा के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच की सिफारिश की थी।

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