Monday, October 14, 2024
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Delhi : साम्प्रदायिक नहीं बल्कि सौहार्द बढ़ाने वाला है समान नागरिक संहिता : आलोक शर्मा 

दिल्ली नगर निगम रोहिणी जोन के पूर्व चेयरमैन और बीजेपी नेता आलोक शर्मा ने समान नागरिक संहिता के बारे में लोगों से कहा है कि प्रधानमंत्री जी समान नागरिक संहिता लागू कर वह काम करने जा रहे हैं, जिससे सभी धर्मों का फायदा होगा। हमें यह समझने की जरुरत है कि समान नागरिक संहिता सभी धर्मों के लोगों के लिए एक समान कानून है। यह साम्प्रदायिक नहीं बल्कि साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ाने वाला है। 

उन्होंने कहा कि समझने की बात यह भी है कि हमारे देश में दो कानून जो सिविल लॉ और क्रिमिनल लॉ हैं वे सभी के लिए बराबर हैं। देखने की बात यह है कि शादी, संपत्ति, तलाक से संबंधित जो सिविल लॉ है। इसके दायरे में हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध धर्म के लोग तो आते हैं पर ये कानून मुस्लिम, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों पर लागू नहीं होते हैं। आलोक शर्मा ने इसकी बड़ी वजह यह बताई कि इन सभी धर्मों के अपने पर्सनल लॉ हैं। जैसे कि लड़की की शादी की उम्र 18 साल है। मगर मुस्लिम धर्म में लोग इस कानून को नहीं मानते हैं। ये लोग 18 साल से कम उम्र में भी लड़की की शादी कर सकते हैं। मतलब लड़की के साथ घोर अन्याय।
आलोक शर्मा ने कहा है कि ऐसे में यदि अगर यूसीसी लागू हो जाता है तो सभी धर्मों के लोग एक कानून व्यवस्था में आ जाएंगे। सबसे अधिक फायदा तो मुस्लिम महिलाओं का ही होगा। उन्होंने कहा कि सही मायने में तभी देश का संविधान धर्मनिरपेक्ष और एक समान बन पाएगा। उन्होंने कहा कि देश के सामने यह भी बड़ा प्रश्न है कि आखिर दोहरी व्यवस्था से देश कब तक चलेगा ? 

जमीनी सच्चाई तो यह है कि पिछली सरकारों ने देश में ऐसी व्यवस्था कायम कर दी थी, जिसमें मुस्लिमों को बस वोटबैंक के रूप में ही इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस व्यवस्था में मुस्लिम महिलाओं के साथ इंसाफ नहीं किया जा सका है। मोदी जी ने जहां तीन तलाक को खत्म मुस्लिम महिलाओं को एक नरक से निकाला है वहीं अब अब समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगा तो मुस्लिम महिलाओं के साथ ही मर्दों को भी इंसाफ मिलेगा। 
उन्होंने कहा कि ऐसे में प्रश्न यह भी है कि आखिर एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून और दूसरे के लिए दूसरा कानून। यह कब तक चलेगा ? ऐसे में हम सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है। यह भी जमीनी हकीकत है कि समान नागरिक संहिता लागू होते ही सभी धर्म का पर्सनल लॉ खत्म हो जाएगा। 

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