अंशु ठाकुर, दिल्ली दर्पण टीवी
दिल्ली नगर निगम की सत्ता में बीजेपी ने ढाई साल बाद वापसी कर ली है. शुक्रवार को मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में मेयर पद के लिए राजा इकबाल सिंह को चुन लिया गया है. नगर निगम में वापसी के बाद अब भाजपा के सामने कई बड़ी चुनातियाँ है. और इन सब में सबसे बड़ी चुनौती स्थायी समिति का गठन और कूड़े के लिए संपत्ति कर के साथ यूजर चार्ज को वापस लेना है.
महापौर पद सँभालने के बाद राजा इकबाल सिंह ने इन एहम मुद्दों पर प्रतिक्रिया देते हुए इसका समाधान करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि एक महीने में स्थाई समिति का गठन करेंगे .
इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया जल्द शुरू की जायेगी. यूजर चार्ज को वापस लेने के वादे को भी उन्होंने दोहराया है. महापौर ने निगम की प्राथमिकता शिक्षा को बेहतर बनाने और बदहाल पार्को की स्तिथि सुधारने पर भी ज़ोर दिया.
अब पहली बार भाजपा के सामने ऐसी स्तिथि बनी है कि जब केंद्र, दिल्ली और एमसीडी में भी भाजपा की सरकार है. और इसी के साथ भाजपा के सामने राजनितिक रूप से चुनौतीपूर्ण स्तिथि भी पैदा हो गयी है. और अब बीजेपी के सामने परफॉर्म करके दिखने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.
अब आप नज़र डालिये उन चुनौतियों पर जो भाजपा के सामने है और जिन पर भाजपा को काम करना है.
दिल्ली नगर निगम में अब भाजपा के पास यह पांच बड़े मुद्दे है जिनका सामना उन्हें करना पड़ेगा.
पहला – स्थाई समिति का गठन

- दिसंबर 2022 से संक्युक्त नगर निगम के चुनाव के बाद से स्थाई समिति का गठन नहीं हुआ है. इस समिति का गठन न होने के कारण पांच करोड़ से अधिक के फंड से जुड़ी परियोजनाओं को मंजूरी मिलने में लगातार परेशानी आ रही थी.
दूसरा – कूड़े के पहाड़ का निस्तारण

- दिल्ली में तीन लैंडफिल सईटो – भलस्वा, गाज़ीपुर और ओखला में वर्षों में जमे हज़ारों तन कूड़े के निस्तारण को तेज़ करने कि सबसे बड़ी चुनौती है. गाज़ीपुर लैंडफिल साइट में सबसे धीमी गति से कूड़े का निस्तारण हो रहा है. इसकी रफ़्तार बढ़ानी होगी.
तीसरी – जलभराव की समस्या

- मानसून के दौरान पूरी दिल्ली में मुख्य सड़कों के साथ गलियों में जलभराव की समस्या होती है. इसमें डीडीए की तरफ से विकसित किये गए स्थान , जिन्हे डीडीए ने निगम को सौप दिया था. वहां पर भी लोगों को जलभराव के संकट से झूझना पड़ता है.
चौथा – मानसून से पहले हज़ारों नालों की सफाई

- निगम के अधीन चार फ़ीट से ऊपर के 713 नाले आते है, जिनकी लम्बाई 460 किलोमीटर है. साथ ही चार फ़ीट से निचे के लगभग 21 हज़ार नाले है. इन नालो की सफाई मानसून से पहले करना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है.
पांचवा – अतिक्रमण , खतरनाक इमारतें और अवैध निर्माण

- दयालपुर की घटना के बाद निगम की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे है. ऐसे में अतिक्रमण , खतरनाक इमारतों की सर्वे कर उनकी पहचान करना और उनके खिलाफ कार्यवाही करना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है.
आम आदमी पार्टी को यह टो पहले से पता था कि इस बार आकड़े उनके पक्ष में नहीं है, और अगर ऐसे में वो चुनाव लड़ेंगे तो भी जीत हासिल करना नामुमकिन है . लेकिन चुनाव का पूरी तरह से बहिष्कार करने आम आदमी पार्टी ने कही न कही बीजेपी के लिए रास्ता साफ़ कर दिया. ताकि वो एमसीडी में भी अपनी सरकार बना ले और उसके बाद पार्टी बीजेपी पर परफॉर्म करने के लिए दबाव बनाये.
अब अगर बीजेपी परफॉर्म नहीं करती है तो आम आदमी पार्टी हर मोड़ पर उसके सामने मोर्चा खोलकर कड़ी होगी