दिल्ली के नरेला थाना क्षेत्र के अंतर्गत बवाना नहर में एक दुखद हादसा सामने आया है, जिसमें चार बच्चे डूब गए। इनमें से दो बच्चों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि दो अन्य की तलाश जारी है। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया है, बल्कि प्रशासन और पुलिस की तैयारियों पर भी सवाल खड़े किए हैं।
क्या हुआ बवाना नहर में?

जानकारी के अनुसार, गुरुवार को चार बच्चे, जिनकी उम्र 10 से 14 वर्ष के बीच बताई जा रही है, गर्मी से राहत पाने के लिए बवाना नहर में नहाने गए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बच्चों में से एक डूबने लगा, जिसे बचाने के प्रयास में अन्य तीन बच्चे भी पानी के तेज बहाव में बह गए। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद दिल्ली पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं।
शाम तक चले बचाव अभियान में दो बच्चों के शव बरामद किए गए, लेकिन अंधेरा होने के कारण तलाश को रोकना पड़ा। आज सुबह फिर से एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया, जिसमें ड्रोन और गोताखोरों की मदद ली जा रही है।
प्रशासन और पुलिस का रुख
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बच्चों की पहचान स्थानीय कॉलोनी के निवासियों के रूप में की गई है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि बच्चे बिना किसी निगरानी के नहर में नहाने गए थे। नरेला थाना प्रभारी ने कहा, “हमने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन तेज बहाव और गहरे पानी ने ऑपरेशन को मुश्किल बना दिया।”
प्रशासन ने नहर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था की कमी को लेकर भी चिंता जताई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि नहर के किनारे कोई अवरोधक या चेतावनी बोर्ड नहीं हैं, जिसके कारण बच्चे आसानी से पानी में उतर गए।
स्थानीय लोगों का गुस्सा और मांग

इस हादसे के बाद बवाना और नरेला के निवासियों में प्रशासन के प्रति गुस्सा देखा जा रहा है। कई लोगों ने बताया कि नहर के आसपास कोई सुरक्षा गार्ड या बाड़ नहीं है, जिसके कारण ऐसी घटनाएं बार-बार होती हैं। एक स्थानीय निवासी, रमेश कुमार, ने कहा, “हर साल गर्मियों में बच्चे नहर में नहाने जाते हैं, लेकिन प्रशासन ने कभी इसकी सुध नहीं ली। अगर समय रहते बैरियर लगाए गए होते, तो शायद यह हादसा टल सकता था।”
पिछली घटनाओं का सायाशास्त्र
यह कोई पहली घटना नहीं है जब बवाना नहर में डूबने की खबर सामने आई हो। पिछले कुछ वर्षों में भी इस नहर में कई लोग, खासकर बच्चे, डूबने की घटनाओं का शिकार हुए हैं। 2019 में नोएडा के सेक्टर-81 में एक बच्चे का शव नाले में मिला था, जो तेज बहाव के कारण एक किलोमीटर दूर बह गया था। ऐसी घटनाएं नहरों और नालों के आसपास सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर करती हैं।
आगे क्या?
इस हादसे ने एक बार फिर दिल्ली में नहरों और जलाशयों के आसपास सुरक्षा मानकों की कमी को सामने ला दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी जगहों पर चेतावनी बोर्ड, बैरियर, और नियमित गश्त की व्यवस्था जरूरी है। साथ ही, स्थानीय समुदाय में जागरूकता अभियान चलाने की भी मांग उठ रही है ताकि बच्चे और उनके अभिभावक ऐसी खतरनाक गतिविधियों से बचें।
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह हादसा लापरवाही का नतीजा है या सुरक्षा व्यवस्था की कमी का?