नई दिल्ली/इस्लामाबाद, 10 मई 2025: भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले कुछ दिनों से चल रहे तनावपूर्ण सैन्य संघर्ष पर शनिवार, 10 मई 2025 को पूर्ण और तत्काल युद्धविराम की घोषणा के साथ विराम लग गया। यह युद्धविराम संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में लंबी बातचीत के बाद संभव हुआ, जिसने दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस युद्धविराम ने न केवल क्षेत्रीय शांति को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक कदम बढ़ाया, बल्कि वैश्विक चिंताओं को भी कुछ हद तक शांत किया।
युद्धविराम का कारण और प्रक्रिया
तनाव की शुरुआत अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले से हुई, जिसमें 26 नागरिक, मुख्य रूप से पर्यटक, मारे गए थे। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया और 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में नौ स्थानों पर मिसाइल और हवाई हमले किए, जिन्हें भारत ने “आतंकी ढांचे” को निशाना बनाने वाला “ऑपरेशन सिंदूर” करार दिया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी जवाबी हमले किए, जिसमें ड्रोन, मिसाइल और हवाई युद्ध शामिल थे। दोनों देशों के बीच यह संघर्ष तीन दिनों तक चला, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए और कई घायल हुए।
9 मई तक, दोनों देशों के बीच ड्रोन हमले, हवाई युद्ध और सीमा पर भारी गोलीबारी ने स्थिति को और विस्फोटक बना दिया था। वैश्विक समुदाय, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और सऊदी अरब जैसे देशों ने तत्काल डी-एस्केलेशन की अपील की थी। इस बीच, अमेरिका ने सक्रिय मध्यस्थता शुरू की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को घोषणा की कि “लंबी रात की बातचीत” के बाद दोनों देश युद्धविराम पर सहमत हुए। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने बताया कि 10 मई को दोपहर 3:30 बजे के बाद पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक ने अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क किया और दोनों पक्षों ने शाम 5 बजे से “जमीन, हवा और समुद्र पर सभी गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई को रोकने” पर सहमति जताई।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी एक्स पर एक पोस्ट में इस युद्धविराम की पुष्टि की, जिसमें उन्होंने कहा, “पाकिस्तान और भारत तत्काल प्रभाव से युद्धविराम पर सहमत हुए हैं।”

युद्धविराम क्यों जरूरी था?
- परमाणु युद्ध का खतरा: दोनों देश परमाणु हथियारों से लैस हैं, और इस संघर्ष के बढ़ने से वैश्विक स्तर पर परमाणु युद्ध की आशंका बढ़ गई थी। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के प्रवक्ता स्टेफान डुजैरिक ने कहा था कि “विश्व दो परमाणु शक्तियों के बीच युद्ध का जोखिम नहीं उठा सकता।”
- नागरिक हताहत और बुनियादी ढांचे का नुकसान: दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर नागरिक क्षेत्रों पर हमले का आरोप लगाया। पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत के हमलों में 21 नागरिक मारे गए, जबकि भारत ने पाकिस्तानी गोलीबारी में 10 नागरिकों की मौत की बात कही।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव: अमेरिका, सऊदी अरब, और यूरोपीय संघ जैसे देशों ने दोनों देशों पर डी-एस्केलेशन के लिए दबाव डाला। सऊदी अरब के विदेश राज्य मंत्री ने 9 मई को इस्लामाबाद का दौरा किया, जिसे तनाव कम करने की कोशिश के रूप में देखा गया।
- आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: दोनों देशों में उड़ानें रद्द हुईं, सीमावर्ती क्षेत्रों में ब्लैकआउट हुए, और व्यापार पर असर पड़ा। भारत ने 24 हवाई अड्डों को नागरिक उड़ानों के लिए बंद कर दिया था, जिससे हजारों यात्री प्रभावित हुए।
विशेष प्रतिक्रियाएं
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प: “मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने तत्काल और पूर्ण युद्धविराम पर सहमति जताई है। दोनों देशों ने सामान्य बुद्धि और उच्च बुद्धिमत्ता दिखाई।”
- भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह: उन्होंने 9 मई को शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा की समीक्षा की और युद्धविराम से पहले कहा था कि भारत “आतंकवाद को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
- पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ: युद्धविराम से पहले उन्होंने कहा था, “हम नागरिकों को निशाना नहीं बनाएंगे, केवल सैन्य ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई करेंगे।” युद्धविराम के बाद उनकी ओर से कोई नई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई।
- जम्मू-कश्मीर के नेता: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और हुर्रियत चेयरमैन मिर्वाइज उमर फारूक ने दोनों देशों से डी-एस्केलेशन की अपील की थी। मुफ्ती ने कहा, “कश्मीर के लोग और युद्ध की कीमत चुकाते हैं। शांति ही एकमात्र रास्ता है।”
- सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं: एक्स पर कई यूजर्स ने युद्धविराम का स्वागत किया। एक यूजर ने लिखा, “भारत और पाकिस्तान ठंडे हो गए! यह अच्छी खबर है। #IndianArmy” वहीं, कुछ यूजर्स ने इसे अस्थायी कदम बताते हुए कहा कि कश्मीर मुद्दे का स्थायी समाधान जरूरी है।

इस युद्धविराम को कैसे देखा जाए?
यह युद्धविराम दोनों देशों के लिए एक अस्थायी राहत है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कश्मीर विवाद जैसे मूल मुद्दों का समाधान नहीं करता। अंतरराष्ट्रीय क्राइसिस ग्रुप के वरिष्ठ विश्लेषक प्रवीण डोंठी ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस संघर्ष को गंभीरता से लेना चाहिए और दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष संवाद को बढ़ावा देना चाहिए।”
भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 में स्वतंत्रता के बाद से तीन युद्ध और कई छोटे संघर्ष हो चुके हैं, जिनमें कश्मीर मुख्य विवाद रहा है। यह युद्धविराम 2021 के बाद सबसे नाजुक स्थिति को स्थिर करने में सफल रहा, लेकिन स्थायी शांति के लिए दोनों देशों को कश्मीर और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर गंभीर बातचीत करने की जरूरत है।
आगे क्या?
युद्धविराम के बाद दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर सतर्क हैं, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसकी निगरानी कर रहा है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह युद्ध को आगे नहीं बढ़ाना चाहता, जबकि पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई न करने की शर्त पर सहमति जताई है। हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि दोनों देशों को भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए विश्वास-निर्माण उपायों पर काम करना होगा।
निष्कर्ष: भारत-पाकिस्तान युद्धविराम न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि वैश्विक शांति के लिए एक सकारात्मक कदम है। यह दोनों देशों के नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की सफलता को दर्शाता है। हालांकि, यह केवल पहला कदम है, और स्थायी शांति के लिए कश्मीर विवाद और अन्य मुद्दों पर दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है।