Thursday, June 19, 2025
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राहुल गांधी के डीयू दौरे पर प्रशासन की नाराजगी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के उत्तरी परिसर में अचानक पहुंचने और छात्रों से मुलाकात करने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। प्रशासन ने इसे संस्थागत प्रोटोकॉल का उल्लंघन और छात्र शासन प्रक्रिया में व्यवधान बताया है। इस घटना ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई है, बल्कि छात्रों और प्रशासन के बीच भी तनाव को जन्म दिया है।

क्या हुआ डीयू में ?

राहुल गांधी ने गुरुवार को डीयू के उत्तरी परिसर में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों से मुलाकात की। यह मुलाकात दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के कार्यालय में हुई, जहां उन्होंने प्रतिनिधित्व, समानता और शैक्षणिक न्याय जैसे मुद्दों पर चर्चा की। हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि राहुल गांधी का यह दौरा बिना पूर्व सूचना के था, जिसके कारण सुरक्षा व्यवस्था और परिसर के नियमों का उल्लंघन हुआ।

डीयू के प्रॉक्टर कार्यालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “राहुल गांधी ने दूसरी बार विश्वविद्यालय में बिना किसी सूचना के प्रवेश किया। उनके दौरे के दौरान डूसू कार्यालय को सुरक्षा घेरे में ले लिया गया, जिससे सामान्य गतिविधियां प्रभावित हुईं।”

प्रशासन की आपत्ति और नियमों का हवाला

विश्वविद्यालय प्रशासन ने राहुल गांधी के इस “अनधिकृत” दौरे को गंभीरता से लिया है। डीयू के प्रॉक्टर प्रोफेसर रजनी अब्बी ने कहा, “यह दूसरी बार है जब राहुल गांधी बिना सूचना के परिसर में आए हैं। इससे न केवल सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा होती हैं, बल्कि छात्रों की नियमित गतिविधियों में भी बाधा उत्पन्न होती है।” प्रशासन ने इसे “छात्रावास नियमों का उल्लंघन” करार देते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही है।

छात्रों का क्या कहना है ?

राहुल गांधी के इस दौरे को लेकर छात्रों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। जहां कुछ छात्रों ने इसे उनके मुद्दों को समझने और आवाज उठाने का एक सकारात्मक कदम बताया, वहीं कुछ ने इसे एक “राजनीतिक नाटक” करार दिया। आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इस दौरे की कड़ी आलोचना की और इसे “छात्र संघ कार्यालय को निजी ड्राइंग रूम की तरह इस्तेमाल करने” का प्रयास बताया। डूसू की सचिव मित्रविंदा करनवाल ने दावा किया कि उन्हें और उनकी टीम को “वीवीआईपी प्रोटोकॉल” के कारण कार्यालय में प्रवेश करने से रोका गया।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

भाजपा ने इस दौरे को “फोटो-ऑप” करार देते हुए राहुल गांधी पर निशाना साधा। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, “राहुल गांधी का यह दौरा एक सुनियोजित नाटक था, जिसने परिसर को अराजकता में डाल दिया।” उन्होंने राहुल गांधी पर पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सवाल उठाने का भी आरोप लगाया।
दूसरी ओर, कांग्रेस के छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने प्रशासन के इस रवैये को “दबाव में लिया गया निर्णय” बताया। एनएसयूआई का कहना है कि राहुल गांधी छात्रों के हित में आवाज उठाने आए थे, लेकिन प्रशासन ने इसे राजनीतिक रंग दे दिया।

पिछली घटना से तुलना

यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी के डीयू दौरे पर विवाद हुआ है। मई 2023 में भी उन्होंने डीयू के पीजी मेन्स हॉस्टल में अचानक जाकर छात्रों से मुलाकात की थी और उनके साथ भोजन किया था। उस समय भी प्रशासन ने इसे “अनधिकृत” बताते हुए नोटिस जारी किया था और इसे “छात्रों की सुरक्षा के लिए खतरा” करार दिया था। हॉस्टल के प्रोवोस्ट केपी सिंह ने तब कहा था, “ऐसा व्यवहार एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता और Z-प्लस सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति के लिए गरिमा के खिलाफ है।”

क्या है आगे की राह ?

राहुल गांधी के इस दौरे ने एक बार फिर शिक्षा और राजनीति के बीच के तनाव को उजागर किया है। जहां एक ओर राहुल गांधी ने इसे छात्रों के साथ “शिक्षा न्याय संवाद” का हिस्सा बताया, वहीं प्रशासन और विपक्षी दलों ने इसे प्रचार का हथकंडा करार दिया। इस घटना ने दिल्ली विश्वविद्यालय में सुरक्षा प्रोटोकॉल और बाहरी हस्तक्षेप के मुद्दों को फिर से चर्चा में लाया है .

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