नई दिल्ली, 27 मई 2025: दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में आरोपी धीरज कुमार उर्फ धीरू को नियमित जमानत दे दी है। यह फैसला विशेष तेजी से सुनवाई करने वाली अदालत (एफटीसी) के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कपिल कुमार ने सुनाया। आरोपी पर बेगम पुर थाने में दर्ज FIR नंबर 0118/2025 के तहत भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64(1)/351(2) के तहत मामला दर्ज किया गया था।मामले का विवरण
FIR के अनुसार, पीड़िता ने आरोप लगाया था कि 9 फरवरी 2025 को शाम 7-8 बजे के बीच धीरज कुमार ने उसके साथ यौन उत्पीड़न किया। पीड़िता का दावा था कि घटना से पहले वह आरोपी को नहीं जानती थी। हालांकि, जांच अधिकारी (IO) की पूरक रिपोर्ट ने इस दावे पर सवाल उठाए। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पीड़िता और आरोपी पहले से परिचित थे और नवंबर-दिसंबर 2022 में दोनों एक साथ सुरेश कुमार के घर में रह रहे थे।जांच में सामने आए तथ्य
जांच में यह भी पता चला कि पीड़िता ने आरोपी और उसकी मां से सैकड़ों कॉल किए थे। इसके अलावा, पीड़िता ने उस लड़की से भी संपर्क किया था, जिसके साथ आरोपी की सगाई तय हुई थी। व्हाट्सएप चैट से साबित हुआ कि पीड़िता ने उस लड़की को आरोपी से रिश्ता तोड़ने के लिए उकसाया था। इसके अतिरिक्त, आरोपी के भाई के बैंक खाते से पीड़िता के खाते में कई बार पैसे ट्रांसफर किए गए थे, जो दोनों के बीच पुराने संबंधों की ओर इशारा करता है।

अदालत का फैसला
अदालत ने पाया कि FIR में दर्ज तथ्यों की विश्वसनीयता संदिग्ध है और चार्जशीट पहले ही दाखिल हो चुकी है। आरोपी का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। लंबे समय तक हिरासत में रखने को अनुचित मानते हुए कोर्ट ने धीरज कुमार को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की एक जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।जमानत की शर्तें
आरोपी को जांच अधिकारी को अपना सक्रिय मोबाइल नंबर देना होगा।वह बिना कोर्ट की अनुमति के देश से बाहर नहीं जाएगा।पीड़िता या उसके परिवार से किसी भी तरह का संपर्क नहीं करेगा।सबूतों से छेड़छाड़ या गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं होगा।पीड़िता के इलाके में नहीं जाएगा।कोर्ट की टिप्पणी
न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि इस आदेश में दी गई टिप्पणियां मामले की मेरिट पर कोई अंतिम राय नहीं हैं। आदेश की प्रति आरोपी के वकील, जेल अधीक्षक और जांच अधिकारी को भेजी गई है।विवाद का पहलू
आरोपी के वकील ने दावा किया कि पीड़िता ने यौन उत्पीड़न के कानून का दुरुपयोग किया है और दोनों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप थी। दूसरी ओर, पीड़िता के वकील और राज्य के अतिरिक्त लोक अभियोजक ने जमानत का विरोध करते हुए आरोपों की गंभीरता और पीड़िता को खतरे की आशंका का हवाला दिया।यह मामला दिल्ली में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि यह यौन उत्पीड़न के मामलों में तथ्यों की विश्वसनीयता और कानून के दुरुपयोग जैसे मुद्दों को उजागर करता है।