दिल्ली के निजी स्कूलों में बढ़ती फीस को लेकर अभिभावकों और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं में गहरी चिंता है। हाल ही में एक वकील, खगेश झा ने दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया है। यह पत्र 8 जून, 2025 को लिखा गया और इसमें निजी स्कूलों में फीस वृद्धि को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की गई है।
फीस वृद्धि का संकट
पत्र में बताया गया है कि दिल्ली के निजी स्कूलों में मनमानी फीस वृद्धि और अभिभावकों का शोषण एक गंभीर समस्या बन गया है। सैकड़ों अभिभावक और 50 से अधिक अभिभावक संघ इस मुद्दे पर एकजुट होकर सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। लेखक का दावा है कि वर्तमान सरकार इस समस्या को हल करने में असफल रही है, क्योंकि दिल्ली सरकार के पास निजी स्कूलों पर नियंत्रण का पूरा अधिकार नहीं है।
कानूनी और प्रशासनिक स्थिति
पत्र में उल्लेख किया गया है कि दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 के तहत निजी स्कूलों पर नियंत्रण की शक्ति सरकार के पास है, लेकिन इसे लागू करने में लापरवाही बरती जा रही है। लेखक ने सुझाव दिया कि शिक्षा निदेशक को स्कूलों के खातों की जांच कर फीस में अनियमितता पाए जाने पर उसे कम करने का निर्देश देना चाहिए। साथ ही, यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के 15 दिसंबर, 1999 के आदेश के अनुसार स्कूल फीस में वृद्धि से पहले अभिभावकों की सहमति जरूरी है, जिसका पालन नहीं हो रहा।
सरकार से अपील
खगेश झा ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह निजी स्कूलों में फीस वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए तुरंत कदम उठाए। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा निदेशक को गलत जानकारी देने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और कानूनी राय लेकर इस मुद्दे का समाधान किया जाए। पत्र में यह भी कहा गया कि मौजूदा कानूनी प्रणाली के तहत इस समस्या को हल किया जा सकता है, बशर्ते सरकार इसे गंभीरता से ले।
यह पत्र न केवल फीस वृद्धि के खिलाफ एक आवाज है, बल्कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक सकारात्मक कदम भी है। लेखक का मानना है कि सरकार को बच्चों के हित में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, जो देश के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस मुद्दे पर जनता की भागीदारी और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने की जरूरत है।