दिल्ली। राजधानी में कानून-व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के 40 से अधिक डॉक्टरों ने सामूहिक रूप से लिखित शिकायत दी है, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह लापरवाही न केवल कानून के दायरे को कमजोर करती है, बल्कि डॉक्टरों की सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा पैदा करती है।
AAP नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात का समय मांगा है ताकि उन्हें सीधे इस मामले से अवगत कराया जा सके। पार्टी का कहना है कि दिल्ली पुलिस सीधे तौर पर गृह मंत्रालय के अधीन आती है और जब इतने बड़े स्तर पर शिकायत होने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं होती, तो इसका जिम्मा गृह मंत्रालय पर भी बनता है।
पार्टी प्रवक्ता ने मीडिया से बातचीत में कहा, “जब 40 डॉक्टर एक साथ शिकायत कर रहे हैं, तो यह कोई मामूली मामला नहीं है। लेकिन दिल्ली पुलिस इसे हल्के में ले रही है। हमें लगता है कि जानबूझकर इस शिकायत को दबाया जा रहा है। इसी कारण हमने अमित शाह जी से मिलने का समय मांगा है, ताकि सीधे उन्हें इस लापरवाही की जानकारी दी जा सके।”
AAP नेताओं ने यह भी कहा कि डॉक्टर समाज की रीढ़ हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। अगर डॉक्टर असुरक्षित महसूस करेंगे तो इसका असर पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटना दिखाती है कि दिल्ली पुलिस संवेदनशील मामलों में कार्रवाई करने से बच रही है और कहीं न कहीं राजनीतिक दबाव में काम कर रही है।
वहीं डॉक्टरों की ओर से दी गई शिकायत में कहा गया है कि उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं और कई मौकों पर उनके साथ बदसलूकी भी की गई। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि पुलिस को सारी जानकारी दी गई, सबूत भी सौंपे गए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ़ आश्वासन मिला।
AAP नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू नहीं की गई तो पार्टी सड़कों पर आंदोलन करेगी। उनका कहना है कि डॉक्टरों की सुरक्षा से समझौता किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस पूरे मामले पर दिल्ली पुलिस की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि शिकायत की जांच की जा रही है और जल्द ही उचित कदम उठाए जाएंगे।
राजधानी में यह विवाद ऐसे समय सामने आया है जब विपक्ष लगातार दिल्ली में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर केंद्र पर सवाल खड़ा कर रहा है। अब देखना होगा कि गृह मंत्रालय इस मामले में क्या रुख अपनाता है और डॉक्टरों की सामूहिक शिकायत को कितनी गंभीरता से लेता है।

