दिल्ली में गरमी का कोहराम मचा हुआ है। उपर खदकता सूरज, नीचे तपती धरती और बीच में बहती यह गरम हवाएं। जिस सूर्य देव की पूजा लोग किया करते है आज वही सूर्य देव लोगों पर कहर बन कर टूट रहे है और घर के ऐयर कनडिसनर, छत पर लगे पंखे और हवा फेकती कूलर मशीनों के मन में आज बस एक ही ख्याल आ रहा होगा “ कभी कभी तो लगता है कि अपुन इच भगवान है” क्योकिं बिना इन मशीनों के इस गरमी को झेलपाना नामुमकिन है।
दिल्ली कि जिन्दगी जितनी ही तेज रफ्तार है उतनी ही तेज रफ्तार से दिल्ली की गरमी भी बढ़ती जा रही है, और ये गरम पारा बढ़ते बढ़ते 50 डिग्री को छू रहा है। जगह-जगह पर लोग बिमार पड़ रहे है, किसी को उलटीयां आ रही है तो कोई लू से चक्कर खा कर गिर रहा है। गरमी के इस तांडव पर एक नज़र डाले तो अब तक की सबसे प्रचंड गरमी मई 2013 में रिकॉड की गई थी जब गरमी का पारा चढ़ कर 46.8 डिगरी सी. चला गया था, लेकिन इस बार तो गरमी भईया अपने अलग ही मूड में दिखई दे रही है।
मानों किसी बात का बदला निकाल रही हो। लोगों का घर से निकलना तक मुश्किल हो गया है लेकिन ऑफिस की ऑफिस की मजबूरी है जनाब निकलना तो पड़ेगा ही। वो कहावत ना की मरता क्या ना करता बस उसी की मार में गरमी की मार को भी लोग झेल रहे है।
मेट्रो स्टेशन का नज़ारा तो देखने लायक है, स्टेशन की सीढ़ीयों पर लोग मेट्रो का इंतजार नही करते बल्की धूप से बचने का बहाना ढ़ूढ़ते है। मेट्रो के अंदर प्रवेश करते ही ऐ.सी की हवा में ऐसा लगता है जैसे लोग जन्नत में आ गए हो। इतनी भीड़ में भी मेट्रो के अंदर लोगो के चेहरे पर सुकून दिखता है।