संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली। प्रसिद्ध ज्योतिष विज्ञानी डा. शीशम बंसल अग्रवाल की बहुप्रतीक्षित पुस्तक ओम-ब्रह्मांड नाद का विमोचन दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब में आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश जी के कर कमलों से संपन्न हुआ।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षाविद और बुुद्धिजीवी और प्रमुख समाजसेवी उपस्थित थे।तमाम वक्ताओं ने पुस्तक की विदुषी लेखिका डा़ शीशम बंसल की खूब प्रशंसा की। अपने संबोधन में इंदे्रश जी ने कहा कि डा़ शीशम बंसल ने उम्र और क्षमता से बढ़कर काम किया है। उन्होंने हमारे ग्रंथों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि न केवल भारत बल्कि विश्व भी हमारे ग्रंथों की वैज्ञानिक महत्ता को समझता है।
इंद्रेश कुमार ने ओ३म्- ब्रह्मांड का नाद पुस्तक को मानव मात्र के लिए बेहद उपयोगी बताया है और ओम के महत्त्व की विस्तार से चर्चा करते हुए लेखिका को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक से ज्ञान, एकाग्रता और मंथन होगा।पुस्तक विमोचन समारोह में बड़ी संख्या में समाज के प्रबुद्ध लोग शामिल हुए, इनमें महाराजा अग्रसेन विश्व विद्यालय के अध्यक्ष नन्द किशोर गर्ग, शिवली कालेज, आजम गढ की संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. शाहीन जाफरी और सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ के डा. भंते अनंदमाथोरो ने शिरकत की और ॐ पर चर्चा की।
डा. शीशम ने कहा अपनी पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मैंने शोध के लिए उपनिषदों का अध्ययन किया। उनका उद्देश्य उपनिषद के ज्ञान का विश्व के सामने लाकर मानव का कल्याण करना है। उन्होंने कहा कि इस ब्रह्मांड में सभी कुछ पूर्णता पूर्ण है। यही चीज मैं इस पुस्तक के माध्यम से सभी को बांटना चाहती हूं।ओम एक नाद है, उपकरण भी है, संकल्प भी है और ज्ञान भी है। उन्होंने कहा कि ओम एक ऐसी सर्व व्यापी शक्ति है जो पूर्ण है और सृष्टि के कण कण में है। ओम की महिमा के कारण ही आज सृष्टि का आधार टिका हुआ है। जब शिव ने ओम का उच्चारण किया तभी इस ब्रह्मांड का निर्माण हुआ।
ओम एक ऐसा शब्दांश है जो हमारे वक्ष से निकलता है। ओम के उच्चारण से प्रत्येक ओरगन, प्रत्येक सिस्टम रेखांकित होता है, गति में आता है।डा. शीशम ने कहा कि जितना हम ओम का उच्चारण करते हैं, उतना ही हम यूनिवर्सल से फ्रिक्वेंसी से एकाकार होते हैं। यह एक यूनिवर्सल ध्वनि है। डा. शीशम ने ओम कोे पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष और पूरी तरह वैज्ञानिक बताया।उन्होंने कहा कि पुस्तक को लिखने का ध्येय यही था कि सबको जानकारी मिले कि हमारे पास एक उपकरण है, जिससे हम स्वयं उर्जा प्राप्त कर सकते हैं। हमें कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। हम अपने जीवन में आत्म जाग्रति लाएं।
सांसद मनोज तिवारी ने पुस्तक लिखने के लिए डा. शीशम की प्रशंसा की और बधाई दी।डा. भंते अनंदमाथोरो ने कहा बौद्ध दर्शन के अनुसार ओम की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि ओम अपने आप में संपूर्ण मंत्र है। एक ध्वनि है जिसे भारत के ऋषियों ने नाद कहा है। हर धर्म ने अलग अलग शब्द के रूप के स्वीकार किया है। डा. शाहीन जाफरी ने ओम की उपयोगिता के बारे में कहा कि प्रकृति के एक एक कण में यह बीज मंत्र छिपा हुआ है।
उन्होंने डा. शीशम को बधाई देते हुए कहा कि यह हमारे लिए गौरव का विषय है कि वेद, उपनिषद न केवल भारत की, समूचे विश्व की अमूल्य निधि है।डा. नंद किशोर गर्ग ने कहा कि हमारे धर्म ग्रंथ विदेशों में अध्ययन कराए जाते हैं। इन्हें हमारे यहां पाठ्यक्रमों में पढाया जाना चाहिए। सभी वैज्ञानिकों ने इनकी महत्ता को स्वीकार किया है।कार्यक्रम के संयोजक भारत प्रकाशन के डायरेक्टर बिहारी लाल सिंघल ने डॉ. शीशम बंसल अग्रवाल के बारें में विस्तार से बताया और उम्मीद जताई कि पुस्तक ॐ की उपयोगिता को लोगों के सामने रखेगी और उनके जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन लाएगी।