नेहा राठौर, संवाददाता
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इस समय कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रही है। बीते कुछ दिनों में संक्रमित मामलों में कमी जरूर नजर आई है, लेकिन मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। वहीं दिल्ली में ऑक्सीजन की किल्लत भी जारी है।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन संकट को लेकर सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अदालत को सूचित किया कि दिल्ली में बीते दिन 700 एमटी ऑक्सीजन दी गई है और उससे पहले भी दिल्ली को 585 एमटी ऑक्सीजन दी गई थी। ऑक्सीजन सप्लाई में देरी सिर्फ टैंकर के कारण हो रही थी।
अस्पतालों में ऑक्सीजन की स्टोरेज क्षमता
एक सर्वे के अनुसार फिलहाल, दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन का जरूरी स्टॉक मौजूद है। बल्कि ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन से आज यानी गुरुवार को 280 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और आ रही है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली के अलावा और भी कई राज्य हैं, जहां पर ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ रही है। जिनमें राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।
इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सवाल करते हुए पुछा कि क्या अस्पतालों के पास ऑक्सीजन को स्टोर करने की क्षमता है। बता दें कि कोर्ट पहले ही केंद्र को आदेश दे चुकी है कि 3 मई तक बफर स्टॉक तैयार रखना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर अस्पताल में पहले से ही स्टॉक रहेगा तो पैनिक के हालात नहीं बनेंगे।
इस पर केंद्र ने कोर्ट को जवाब दिया कि दिल्ली के सभी अस्पताल कोविड स्पेशल नहीं हैं, ऐसे में कई ऐसे छोटे अस्पताल हैं, जिनके पास ऑक्सीजन स्टोर करने की क्षमता नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई तीन घंटे देरी से हुई, जिसकी वजह से एक वरिष्ठ डॉक्टर की मृत्यु हो गई। कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि ऑक्सीजन आवंटन के फॉर्मूले को पूरी तरह से सुधारने की जरूरत है।
वहीं, सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव सुमिता दावारा ने बातया कि ऑक्सीजन के 53 फीसदी टैंकर को दिल्ली सप्लाई के लिए ही लगाया गया है, साथ ही 6 कंटेनर्स भी लगाए गए हैं। आने वाले कुछ दिनों में इनकी संख्या 24 हो पहुंच जाएगी। इनमें भरे हुए केंटेनर्स और वापस प्लांट तक जाने वाले केंटेनर्स दोनों शामिल रहेंगे।
कोर्ट ने तीसरी लहर पर चिंता जताई
कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऑक्सीजन सप्लाई में कहां दिक्कत आ रही है, अगर स्टॉक होगा तो पैनिक नहीं होगा। अगर कल को मामले बढ़ते हैं, तो आप क्या करेंगे। अभी तो आप सप्लाई टैंकर पर निर्भर है, कल को अगर टैंकर नहीं होंगे तो आप क्या करेंगे। अदालत ने कहा कि दूसरी लहर सिर पर है और हम अभी तक यही सोच रहे हैं कि क्या होना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाली तीसरी लहर बच्चों पर भी असर दिखाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें तीसरी लहर में क्या करना चाहिए उसकी तैयारी हमें अभी करनी होगी, जल्द से जल्द युवाओं का वैक्सीनेशन करना होगा, ऐसे में अगर बच्चों पर महामारी का असर बढ़ता है, तो कैसे संभालेंगे क्योंकि बच्चे तो खुद अस्पताल जा नहीं सकते।