-दिल्ली दर्पण ब्यूरो दिल्ली।
नॉर्थ एमसीडी के नरेला जोन के चेयरमैन में करारी हार क्या अंजू अमन कुमार के खिलाफ साजिश थी ? या फिर यह बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता और जिला अध्यक्ष देवेंद्र सोलंकी से संघठन संभल नहीं रहा है। या फिर इसे बीजेपी के नए चेहरों की नयी उड़ान और उनकी महत्वकांक्षा का परिणाम मना जाये ? बीजेपी के निगम पार्षदों के इस भीतरघात को बीजेपी पचा नहीं पा रही है। पार्टी ने बेशक क्रॉस वोटिंग और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में अपने दो निगम पार्षदों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया हो ,लेकिन पार्टी और पार्षदों के बीच आरोप प्रत्यारोप जारी है। बगावत के सुर अभी भी सुनाई दे रहे है। खबर है की कुछ और पार्षद आम आदमी पार्टी में जाने को तैयार है। पार्षदों में असुरक्षा की भावना ऐसी है वे पार्टी पर भरोसा नहीं कर रहे है। यही वजह है की वे पार्षद अपनी टिकट पक्की करने आश्वाशन चाह रहे है। साथ ही इस तैयारी में भी है की यदि उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़े तो भी वे लड़ेंगे।
गौरतलब है की 6 जुलाई को हुए नरेला जोन के चुनाब बीजेपी के दो पार्षदों की क्रॉस वोटिंग की वजह से बीजेपी चुनाव हार गयी थी। एक पार्षद ज्योति रछौया ने बीजेपी नेताओं पर भरष्टचार के आरोप लगाकर चुनाव का बहिष्कार किया एक पार्षद सविता खत्री ने क्रॉस वोटिंग की। बीजेपी जिस निर्दलीय पार्षद पूनम सहरवत को अपना मान रही थी उसने भी खुली बगावत कर बीजेपी को आँखे दिखा थी। नरेला जोन में बीजेपी के 13 निगम पार्षद है और आम आदमी पार्टी के 9 पार्षद है। इस समीकरण के बादजूद बीजेपी को आम आदमी पार्टी ने पटखनी दे दी।आम आदमी पार्टी उम्मीदवार राम नारायण भारद्वाज चेयरमैन की कुर्सी पर काबिज हो गए। आम आदमी पार्टी के चुने हुए चार निगम पार्षद है। इस जोन में चेयरमैन बनाने के लिए आम आदमी पार्टी ने मनोनीत पार्षदों को इसी जोन में पार्षद बना दिया। पहले इन पार्षदों को वोट देने का अधिकार नहीं होता था लेकिन अब यह स्थिति नहीं है। आम आदमी पार्टी ने बीजेपी की बगावत का लाभ उठाया और जीत गई।
ऐसा नहीं है कि बीजेपी को इसकी खबर नहीं थी। जिला अध्यक्ष तक इस बात की भनक थी कि उसकी कुछ पार्षद बीजेपी का खेल खराब कर सकतें है। इस हार के बाद बीजेपी उम्मीदवार अंजू अमन कुमार बेशक खुलकर कुछ न कहें लेकिन क्षेत्र के लोग और कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं में चर्चा है कि अंजू अमन कुमार पार्टी के जिला अध्यक्ष की नादानी और प्रदेश अध्यक्ष की अनदेखी का शिकार हो गयी। समय रहते उन्होंने संज्ञान नहीं लिया। पार्टी ने दोनों निगम पार्षदों को 6 साल के लिए पार्टी से बहार कर दिया। इस करवाई से नरेला के पूर्व विधायक नीलदमन खत्री का रास्ता साफ़ हो गया। इससे पहले यह इस वार्ड पर नीलदमन खत्री की पत्नी केशरानी खत्री पार्षद थी। नयी उड़ान के चक्कर में बीजेपी ने केशरानी का टिकट काट दिया और सविता खत्री को टिकट दे दिया। नरेला जोन में सविता खत्री डिप्टी चैयरमैन थी और उम्मीद कर रही थी की सवाल जिला अध्यक्ष देवेंद्र सोलंकी पर भी उठाये जा रहे है।
अभी कुछ ही समय पहले बवाना निगम उपचुनाव भी बीजेपी बुरी तरह हार गयी थी। इस हार को लेकर भी बीजेपी में जिम्मेदारी और जबाबदेही की जंग नजर आयी। पार्षदों के पाला बदलने की खबर से जिला अध्यक्ष देवेंद्र सोलंकी भी खासे गुस्से में है। “दिल्ली दर्पण ” द्वारा सम्पर्क किये जाने पर उन्होंने बागी पार्षदों के खिलाफ गुस्सा जाहिर करते हुए कहा “उन्होंने अपनी माँ से गद्दारी की है ” वे महत्वकांक्षाओं के घोड़े पर सवार थे। पार्टी को ब्लैक मेल कर रहे थे। सोलंकी ने कहा यदि कोइ पार्षद पार्टी बदलता है, बगावत करता है तो इसके लिए जिला अध्यक्ष जिम्मेदार नहीं है। नगर निगम जिम्मेदार है।