दिल्ली दर्पण ब्यूरो
अशोक विहार। दिल्ली नगर निगम किस कदर बड़े नाम, बड़े ब्रांड को अघोषित रूप से नियमों के खुले उल्लंघन की इजाजत देती है अशोक विहार इसका खुला उदाहरण है। केशव पुरम जोन में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले है जहाँ छोटी छोटी दुकानों को अवैध बताकर उन्हें या तो सील किया गया है या फिर नगर निगम ने उनके बिजली के कनेक्शन कटाने के आदेश दिए है। लेकिन पता नहीं क्यों मुख्य सड़कों पर बेसमेंट में अवैध रूप से चल रहे शोरूम, रिटेल स्टोर धड़ल्ले से चल रहे है। इनके तरफ न नेताओं की नजरें जाती है और न ही अधिकारीयों का ध्यान जाता है।
अशोक विहार की मुख्य सड़कों पर राजमंदिर, हरिओम इलेक्ट्रॉनिक ,कृष्णा स्टोर जैसे कितने ही बड़े-बड़े शोरूम और रिटेल स्टोर बेसमेंट में चल रहे हैं। जबकि बेसमेंट में केवल पार्किंग और ऑफिस बनाने की ही अनुमति है। लेकिन कितने ही बेसमेंट है जिनके पास फायर की भी अनुमति नहीं है। ऐसे में इसे क्या कहा जाए कि नगर निगम सहित तमाम विभाग इनकी तरफ से आँखे बंद किये हुए है।
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अशोक विहार में बड़े पैमाने पर बेसमेंट में अवैध रूप से चल रहे ये कारोबार केवल नियमों के उल्लधन का मामला ही नहीं बल्कि जन सुविधाओं और सुरक्षा से जुड़ा मामला भी है। इनके वजह से इन सडकों पर हमेशा ट्रैफिक जाम रहता है। पार्किंग को लेकर झगड़े आए दिन होते रहते है। छोटी-छोटी कमियों पर बाइक और कार चालकों का चालान करने वाली ट्रैफिक पुलिस भी इन पर मेहरबान है। सड़क पर खाली जगह से गाड़ियों उठकर उठा ले जाने वाली ट्रैफिक पुलिस कभी इन अवैध स्टोर और शोरूम के बहार खड़ी गाड़ियों को हाथ नहीं लगती। अवैध रूप से चल रही दुकानों और बेसमेंट पर पुलिस प्रशासन की भी पूरी मेहरबानी नजर आती है।
इस बारें में नॉर्थ दिल्ली नगर निगम के केशव पुरम जोन के चैयरमन योगेश वर्मा का कहना है कि जब कभी इस तरह की शिकायतें आतें है तो उस पर कार्रवाई होती है लेकिन इन शोरूम में क्यों कार्यवाही नहीं की गयी इसका वे संतुष्टि जनक जबाब नहीं दे सकें। केवल जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे है।
इस मामले में स्थानीय निगम पार्षद और नॉर्थ एमसीडी में नेता विपक्ष विकास गोयल से बात की गई। विकास गोयल ने माना कि यहाँ बड़े पैमाने पर बेसमेंट का अवैध इस्तेमाल हो रहा है। नगर निगम के भ्र्ष्ट अधिकारी की इनसे मिलीभगत होती है या फिर ये बड़े ब्रैंड है और बड़े लोगों के है इसलिए इन पर कोइ कार्रवाई नहीं होती। इस तरह की अवैध गतिविधियां निगम नेताओं और अधिकारियों की अवैध कमाई का जरिया बनी हुई है।
हद और हैरत है कि ये सब अवैध गतिविधियां डीसीपी ऑफिस के सामने है , नगर निगम के दो दो कद्दावर नेता यहाँ निगम पार्षद है। बावजूद इस तरह के व्यवस्थित अवैध गतिविधियों को नगर निगम पर पुलिस प्रशासन अघोषित अनुमति देता है तो यह मामला केवल अनदेखी का ही नहीं है बल्कि सुनियोजित अवैध कारोबार का भी है। इस कारोबारी में पुलिस प्रशासन, नेता और निगम सबकी सहमति और साझेदारी नजर आती है।
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