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नई दिल्ली। रविवार को AAP के वरिष्ठ नेता व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने फीस बढो़त्तरी के मामले पर उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि माडल आफ गवर्नेंस बनाम भाजपा के गवर्नेंस माडल के बीच फर्क साफ है। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां पंजाब में आप की सरकार आने के महज 10 दिनों में भीतर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आदेश जारी कर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोत्तरी पर रोक लगा दी, आप की सरकार प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ोतरी को रोकने के लिए प्रस्ताव लेकर आती है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा अपने शासित राज्य में प्राइवेट स्कूलों को ये खुली छूट देती है कि प्राइवेट स्कूल मनमर्जी फीस बढ़ाकर अभिभावकों को लूटें ।
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उन्होंने कहा कि भाजपा से उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत तो ठीक नहीं हो रही, प्रदेश में सरकारी स्कूल बर्बाद हो चुके हैं, बंद पड़े हैं और बेचे जा रहे हैं।
बावजूद इसके जब कोरोना के बाद लोगों की नौकरियां चली गई हैं और महंगाई अपने चरम पर है। ऐसे में आम आदमी कहां जाए। सिसोदिया ने कहा कि 2015 में अरविंद केजरीवाल के सरकार में आने के बाद पिछले सात सालों में दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने से रोका गया है। वरना इससे पहले तक प्राइवेट स्कूल हर साल 10 से 30 प्रतिशत तक फीस बढ़ाते थे पर केजरीवाल के आने के तुरंत बाद से इस पर पाबंदी लगा दी गई।उन्होंने कहा कि आज दिल्ली में यदि किसी प्राइवेट स्कूल को फीस बढ़ानी होती है तो वो सरकार से संपर्क करते हैं। सरकार उनके खातों की जांच करती है और ये देखती है कि क्या वाकई में शिक्षकों का वेतन देने या अन्य खर्चों के लिए स्कूल को फीस बढ़ाने की जरुरत है या नहीं।
आवश्यकता होने पर ही फीस बढ़ाने की अनुमति देती है। सिसोदिया ने कहा कि भाजपा की सरकार प्राइवेट स्कूलों से सांठगांठ कर उन्हें फीस बढ़ाने की अनुमति दे रही है। ऐसे में साफ है कि भाजपा देश को अनपढ़ बनाकर रखना चाहती है और नहीं चाहती कि आम जनता के बच्चे पढ़-लिख पाएं।
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