जॉली यादव
नयी दिल्ली : गुलाम नबी आज़ाद ने पिछले हफ्ते कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद से वो लगातार सुर्ख़ियों में बने हुए है। उनके 5 पन्नो का इस्तीफा , इस्तीफा कम राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ शिकायत पत्र ज़्यादा था। यहाँ तक की 2014 की हार का जिम्मेदार भी आज़ाद ने राहुल को ठहराया। उनके यूँ अचानक इस्तीफे से सबको अचम्भा हुआ और तरह तरह की बाते सामने आयी जिसके बाद आज़ाद ने भी कई बयां दिए।
उनका मानना है कि 1998 से लेकर 2004 के बीच कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं की अहमियत थी व सोनिया गाँधी उनसे मशवरे लेती थी लेकिन 2004 के बाद जबसे राहुल गाँधी पार्टी में आये तबसे सब बदल गया। हाल ही में ग़ुलाम ने कहा कि राहुल एक अच्छे व्यक्ति है पर उन्हें राजनीति की कोई समझ नहीं है जिसकी वजह से वो बेहूदे और बचकाने निर्णय लेते है। गुलाम नवी ने बाई भी बयान दिया की वो उन वरिष्ठ नेताओं में से थे जो पीएम मोदी के खिलाफ “चौकीदार ही चोर है” के नारे का इस्तेमाल करने से असहमत थे जिसे राहुल गाँधी ने 2014 के चुनाव के पहले लाया था। पीएम को चोर कहना हमारी संस्कृति में नहीं है। हम इस तरह व्यक्तिगत नहीं जा सकते? ग़ुलाम ने कहा कि उन्हें पार्टी मजबूरन छोड़ना पड़ा क्योकि कांग्रेस में नेताओं को तवज्जो नहीं मिलती।
ग़ुलाम नबी आज़ाद के एक के बाद एक बयानों के बाद कांग्रेस के नेता जयराम नरेश ने उनपर पलवार करते हुए कहा की आज़ाद अब कांग्रेस को बदनाम कारने का काम कर रहे है। जिस पार्टी ने उनका इतना साथ दिए उसके साथ इस प्रकार विश्वासघात करना आज़ाद की अच्छी बात नहीं है। और उन्हें भी बेनकाब किया जा सकता है पर कांग्रेस उस स्तर पर गिरना नहीं चाहती।
खबर ये भी थी कि आज़ाद कांग्रेस को छोड़ने के बा बीजीपी का दामन थाम सकते है पर आज़ाद ने इन खबरों को नकारते हुए कहा कि वे जम्मू कश्मीर में एक नयी पार्टी बनायेगे और बीजीपी के साथ मिलने का तो कोई सवाल ही नहीं पैदा होता।