ओपी श्रीवास्तव को बनाया था हमारा दुनिया का चेयरमैन
सीएस राजपूत
सुब्रत रॉय और ओपी श्रीवास्तव का शातिराना अंदाज किस हद तक जा सकता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब रिजर्व बैंक के शिकंजा कसने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने सहारा इंडिया के कलेक्शन पर प्रतिबंध लगा दिया था तो सुब्रत रॉय और ओपी श्रीवास्तव ने हमारा इंडिया नाम की कंपनी बना ली थी। जब हमारा इंडिया से बात नहीं बनी तो हमारी दुनिया कंपनी बनाने की बात सामने आई थी। मतलब सुब्रत रॉय और ओपी श्रीवास्तव ने इंडिया के बाद दुनिया को भी ठगने का षड्यंत्र रच डाला था।
दरअसल गत दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कपूरथला कॉम्प्लेक्स के पते पर हमारी दुनिया नाम की कम्पनी खुलने की बात सामने आई थी। इस कंपनी के चेयरमेन सहारा के दूसरे निदेशक ओपी श्रीवास्तव बताये जा रहे थे। दरअसल यह कंपनी खोलने की बात दिल्ली हाई कोर्ट के सहारा के कलेक्शन पर प्रतिबंध लगने के बाद सामने आई थी। गत दिनों मार्केट में यह चर्चा बहुत तेजी से चली थी कि दिल्ली हाई कोर्ट के सहारा इंडिया कंपनी के निवेशकों से पैसे लेने पर प्रतिबंध लगाने के बाद सुब्रत राय के हमारी दुनिया नाम से अन्य कंपनी बना ली है। यह भी जानकारी मिली थी कि सुब्रत रॉय ने हमारी दुनिया का निदेशक ओपी श्रीवास्तव को बनाया है।
मतलब सहारा इंडिया कम्पनी से वह देश के लोगों को ठगते रहे तो फिर उन्होंने हमारी दुनिया कंपनी बनाकर पूरी दुनिया को ठगने का षड्यंत्र रच डाला था। वैसे भी सहारा में हम हैं सहारा भारत है हमारा गीत बहुत गाया जाता रहा है। बाद में हम हैं सहारा विश्व है हमारा गीत गाया जाने लगा। मतलब हमारी दुनिया कंपनी खोलने की योजना सुब्रत रॉय और ओपी श्रीवास्तव की बहुत पहले बन चुकी थी। इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन सहारा के उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कपूरथला कॉम्प्लेक्स पते पर होना बताया गया था।
जब सुब्रत रॉय और ओपी श्रीवास्तव इस षड्यंत्र में सफल न हो पाए तो उन्होंने सहारा इंडिया के कलेक्शन पर हाई कोर्ट के प्रतिबंध को हटाने की एक योजना बनाई। इस योजना के तहत लगभग एक लाख निवेशकों को 10-10 हजार रुपये देकर उनसे पैसे देने का हलफनामा लिखवा कर सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दिल्ली हाई कोर्ट के प्रतिबंध को हटवाने की योजना सुब्रत रॉय और ओपी श्रीवास्तव ने बनाई पर सुप्रीम कोर्ट के सामने इन दोनों की एक न चली।
देखने की बात यह भी है कि सुब्रत रॉय के हमारी दुनिया कंपनी खोलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील अजय टंडन ने एक वीडियो जारी कर गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री सीतारमण और रिजर्व बैंक के गर्वनर से अनुरोध किया था कि हमारी दुनिया नाम की कंपनी को कनेक्शन करने की अनुमति न दो जाये। उन्होंने अनुरोध किया था कि हमारी दुनिया का पंजीकरण तत्काल रूप से निरस्त किया जाये। इस बारे में अजय टंडन का कहना था कि दिल्ली उच्च न्यायालय के सहारा के सभी कलेक्शन पर रोक लगाने के बावजूद सहारा निवेश लेने की कोशिश कर रहा है। अजय टंडन का आरोप यह भी था कि सहारा समूह की कंपनियों एवं सोसाइटियों को पूरे देश के 25 करोड़ निवेशकों का 25 लाख करोड़ रुपए देना है।
राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश चंद्र दिवाकर ने इस मामले में कहा था कि सुब्रत राय सबकी दुनिया उजाड़कर हमारी दुनिया नाम से कंपनी खोलकर अपनी दुनिया बसा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि निश्चित तौर पर जनता को लूटने व ठगने का यह दूसरा उपाय है। उन्होंने कहा था कि जनता को यह समझ लेना चाहिए कि यह हमारी दुनिया नामक कंपनी सहारा की छोटी लुटेरी बहन बनकर सामने आई है। जनता को इससे सतर्क रहने की जरूरत है।
दरअसल सरकार सेबी और कोर्ट से सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय और ओपी श्रीवास्तव का खेल तू डाल डाल मैं पात पात वाला रहा है।
सेबी और कोर्ट सुब्रत राय पर जब भी शिकंजा कसते हैं तो वह उससे बचने का एक अन्य रास्ता खोज लेते हैं। निवेशकों से ठगी को रोकने और उनका बकाया भुगतान दिलाने के लिए सेबी से लेकर कोर्ट तक हर संभव प्रयास कर रहे हैं पर सुब्रत राय हैं कि निवेशकों को एक पैसा देने को तैयार नहीं। उल्टे वह सेबी पर ही उसके 25000 करोड़ रुपए होना बताते हुए सेबी को निवेशकों का पैसा देने का विज्ञापन विभिन्न अख़बारों में छपवा देते हैं। वह बात दूसरी है कि सहारा इंडिया कई बार निवेशकों का पाई-पाई निपटाने की बात भी कर चुका है।
दरअसल सुब्रत राय की बेचैनी यह है कि हर महीने अरबों-खरबों रुपए का जो कलेक्शन हो रहा था, वह अब बंद हो चुका है। हालांकि चोरी छिपे सहारा में कलेक्शन होने की बात सामने आती रही है। हाल ही में राजकोट के एरिया मैनेजर आरएस यादव को इस बात का बधाई पत्र दिया गया कि उन्होंने गत 19 दिसम्बर तक 3 करोड़ के कलेक्शन पर बधाई पत्र देने की बात सामने आई थी। हाई कोर्ट के पैसा कलेक्शन पर प्रतिबंध लगाने के बाद सुब्रत रॉय और ओपी श्रीवास्तव बड़े बेचैन हैं। इन सबके बावजूद किसी न किसी रूप में सहारा में पैसा जमा होने की बात सामने आ रही है।
दरअसल करोड़ों निवेशकों से ठगी करने वाले सुब्रत रॉय का जन्म 10 जून, 1948 को बिहार के अररिया जिले में हुआ था। कोलकाता में शुरुआती पढ़ाई करने के बाद सुब्रत रॉय ने गोरखपुर के एक सरकारी कॉलेज से मेकैनिकल इंजिनियरिंग की। सहारा की शुरुआत 1978 में गोरखपुर से बताई जाती है। बताया जाता है कि सुब्रत रॉय एक स्कूटर से चलते थे। तब दिन में 100 रुपए कमाने वाले लोग उनके पास 20 रुपए जमा कराते थे। उस समय सुब्रत रॉय ने एजेंट्स के जरिए लोगों से पैसा इकट्ठा करना शुरू किया था । कहा जाता है कि एक जमाने में सुब्रत रॉय बिस्किट और नमकीन बेचा करते थे। वह भी लंब्रेटा स्कूटर से। आज यह स्कूटर सहारा कंपनी के मुख्यालय में रखा हुआ बताया जाता है।
आज की तारीख में सुब्रत रॉय पैरोल पर हैं। सुब्रत रॉय ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड कंपनी बनाई थी। उन पर आरोप है कि इन कंपनियों के जरिए उन्होंने रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट के नाम पर 3 करोड़ से अधिक इन्वेस्टर्स से 17,400 करोड़ रुपए इकट्ठा कर लिया था। सितंबर 2009 में सहारा प्राइम सिटी ने आईपीओ लाने के लिए सेबी में डॉक्युमेंट जमा किया था। सेबी ने अगस्त, 2010 में दोनों कंपनियों के जांच का आदेश दिया था।
जांच में खामी पाने पर सेबी ने सवाल उठाए तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रुप की दोनों कंपनियों को इन्वेस्टर्स को 24,000 करोड़ रुपए लौटाने के आदेश दिया था। उसे नहीं चुकाने के मामले में वे 4 मार्च 2014 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे। सुब्रत रॉय की मां छवि राय के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 6 मई 2016 को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था। तभी से वह जेल से बाहर हैं और कलेक्शन के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं।