Friday, November 22, 2024
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Birth centenary program of Madhu Dandavate : दिल्ली में एकजुट हुए समाजवादी  

मधु दंडवते जन्म शताब्दी समारोह समिति  ने कहा –  मधु दंडवते की जन्म शताब्दी समारोह में समाजवादी वामपंथी एकता की गूंज, नैतिकता, शुचिता, ईमानदारी और सादगी की राजनीति के प प्रतीक थे मधु दंडवते 

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

मधु दंडवते जन्म शताब्दी समारोह समिति द्वारा समाजवादी चिंतक, पूर्व केंद्रीय मंत्री, योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एवं राजनीति में सादगी, ईमानदारी, नैतिकता, शुचिता, पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रतीक प्रोफेसर मधु दंडवते के जन्मदिन पर दिल्ली स्थित नए महाराष्ट्र सदन में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला, सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी, हिंद मजदूर महासभा के महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धू , ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के अध्यक्ष शिव गोपाल मिश्रा, भारतीय राष्ट्रीय  कांग्रेस के नेता हुसैन दलवई, जनता दल यू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी , बहुजन  समाज पार्टी के सांसद दानिश अली, राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व मंत्री श्याम रजक, समाजशास्त्री पद्म भूषण प्रोफेसर टी के ओमन, समाजवादी चिंतक प्रोफेसर आनंद कुमार, वरिष्ठ पत्रकार स्मिता गुप्ता, प्रोफेसर डी के गिरि, राष्ट् सेवा दल के पूर्व अध्यक्ष सुरेश खैरनार, समाजवादी समागम के महामंत्री अरूण कुमार श्रीवास्तव  शामिल हुए।


कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने स्मारिका के लोकार्पण के बाद उसका विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कराकर दंडवते जी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर डॉ गिरीश कुलकर्णी द्वारा चित्र प्रदर्शनी का प्रदर्शन किया गया जिसे देश भर से आए समाजवादियों द्वारा सराहा गया।
इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हमें मानवता के धर्म को मानने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भगवान कहीं बाहर नहीं हर मनुष्य के भीतर बसता है। उन्होंने कहा आज इंसानियत को बचाने की जरूरत है ।


  हरकिशन सिंह सुरजीत का उल्लेख करते हुए सी पी एम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि जब तक कामरेड सुरजीत रहे तब तक उन्होंने समाजवादियों और साम्यवादियों  को एकजुट रखने का प्रयास किया। उनके जाने के बाद यह काम मधु दंडवते जी करते रहे। उन्होंने विपक्षी एकजुटता की जरूरत बताते हुए वामपंथी और समाजवादियों से लोकतंत्र और देश को बचाने के लिए एकजुट होने की अपील की।
    जनता दल यू के पूर्व सांसद केसी त्यागी ने सीताराम येचुरी के विचार को आगे बढ़ाते हुए कहा कि समाजवादी और साम्यवादी यदि बिखरते नहीं तथा एकजुट होकर कार्य करते तो हमें आज जो दिन देखने पड़ रहे हैं वह नहीं देखने पड़ते। उन्होंने कहा कि देश में समाजवादी और साम्यवादियों  को साथ आकर कार्य करना ऐतिहासिक आवश्यकता है।


   शिव गोपाल मिश्रा और हरभजन सिंह सिद्धू ने मधु दंडवते जी के ट्रेड यूनियन के लिए किए गए योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश का रेलवे कर्मचारी मधु दंडवते को कभी नही भूलेगा। दोनो नेताओं रेल हड़ताल का जिक्र करते हुए कहा कि मधु जी ने 40 हजार बर्खास्त रेल कर्मियों की बहाली की थी । प्रोफेसर आनंद कुमार ने समाजवादी आंदोलन तथा गोवा मुक्ति आंदोलन में मधु दंडवते जी के योगदान का उल्लेख किया।
   समाजवादी समागम के महामंत्री एवं समिति के संयोजक अरुण श्रीवास्तव ने  कहा कि भले ही मधु दंडवते और प्रमिला दंडवते के परिवार के सदस्य राजनीति में ना हों लेकिन मधु दंडवते का समाजवादी परिवार इतना बड़ा है कि उनके जन्म शताब्दी समारोह मानने के लिए तमाम राज्यों के साथी आगे आए हैं।


 उन्होंने कहा कि मधु दंडवते ने दशकों तक ईमानदारी के साथ राजनीति करते हुए यह साबित किया कि राजनीति  बिना भ्रष्टाचार के नैतिकता और सिद्धांतों के साथ भी की जा सकती है। देश की वरिष्ठ पत्रकार स्मिता गुप्ता ने मधु दंडवते जी द्वारा संसद में दिए गए तमाम भाषाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि किस तरह पूरी संसद उन्हें मंत्रमुग्ध होकर सुना करती थी तथा उनके द्वारा बोली गई हर बात को सभी पार्टियों द्वारा गंभीरता से लिया जाता था।
 सांसद दानिश अली ने मधु दंडवते को राजनीति में नैतिकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि वे सदा युवाओं और वंचितों  को प्रेरणा देते रहेंगे।
    श्याम रजक ने कहा कि मधु दंडवते ने बाबा साहब अंबेडकर के सिद्धार्थ कॉलेज में 25 वर्षों तक सेवाएं दी और बाद में वे समाजवादियों और संसद के ऐसे प्रोफेसर बन गए जिन्हें सब सुनना चाहते थे। डॉ सुरेश खैरनार ने मधु दंडवते को लेकर अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि राष्ट्र सेवा दल और अनेक समाजवादी संस्थाएं  बनाने- बढ़ाने में मधु जी का अमूल्य योगदान रहा।
    पूर्व सांसद हुसैन दलवई ने कहा कि मधु दंडवते स्वतंत्रता आंदोलन और समाजवादी आंदोलन के सच्चे प्रतिनिधि थे। जिनका सम्मान पार्टियों से उठकर पूरा देश करता था।
   प्रोफेसर टी के ओमन ने कहा कि मुझे दुख होता है कि मधु दंडवते द्वारा लिखी गई किताबों का बहुत कम प्रचार-प्रसार हुआ है जबकि देश को प्रो दंडवते के विचारों की जरूरत है ।
   डॉक्टर गिरि ने कहा कि मैं गत चार दशकों में दुनिया में जिन देशों में गया वहां की सोशलिस्ट पार्टी के नेताओं को मैंने मधु दंडवते से प्रभावित देखा।

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