अप्रैल माह से राष्ट्रीय राजधानी में गहनों का संकट गहरा सकता है क्योंकि यहां के सभी हालमार्किंग सेंटरों पर बंदी की तलवार लटक रही है। ऐसे में हो सकता है कि गहनों के लिए अगले माह से वर-वधु पक्ष को एनसीआर के शहरों का रूख करना पड़े।
नई दिल्ली । कोरोना के तीन वर्ष बाद इन महीनों में शादी के फेरे जोरों पर हैं। एक दिन में हजारों शादियां हो रही है। अगले कुछ माह यहीं उत्साहजनक माहौल रहने वाला है। शादियों का मौसम है तो गहनों की मांग भी खूब है, लेकिन जल्द रंग में भंग पड़ने की आशंका है। अप्रैल माह से राष्ट्रीय राजधानी में गहनों का संकट गहरा सकता है, क्योंकि यहां के सभी हॉलमार्किंग सेंटरों पर बंदी की तलवार लटक रही है। ऐसे में हो सकता है कि गहनों के लिए अगले माह से वर-वधु पक्ष को एनसीआर के शहरों का रूख करना पड़े।
दिल्ली में कुल 43 हॉलमार्किंग सेंटर हैं, जिनसे प्रतिमाह 10 लाख से अधिक गहनों की हॉलमार्किंग होती है। वैसे, इनमें से किसी सेंटर के पास दिल्ली पर्यावरण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) का अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं है, जबकि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) ने इस एनओसी को अनिवार्य करते हुए इसकी अंतिम तिथि 31 मार्च तय कर दी है। ऐसे में हॉलमार्किंग सेंटर के साथ ही दिल्ली के ज्वेलर्स भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि हॉलमार्किंग के नए नियम भी अगले माह से ही लागू होंगे। बीआइएस के अनुसार अप्रैल माह से चार की जगह छह डिजिट वाले हॉलमार्किंग युक्त गहने ही बेचे जा सकेंगे।
इसी तरह बीआइएस के नए प्रविधानों के अनुसार हॉलमार्किंग सेंटरों के संचालन के लिए पर्यावरण एनओसी भी आवश्यक है। सेंटर संचालकों के मुताबिक जरूरी एनओसी को लेकर उन लोगों ने डीपीसीसी को आवेदन दे रखा है। इस संबंध में कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन अभी तक नतीजा नहीं निकला है। चांदनी चौक स्थित सिद्धनाथ हॉलमार्किंग सेंटर के संचालक विनोद देशमुख के अनुसार केवल उनका ही मामला नहीं फंसा है, बल्कि 15 से अधिक नए हॉलमार्किंग सेंटर ऐसे हैं जो शुरू होने के लिए इस एनओसी के इंतजार में हैं।
वहीं, डीपीसीसी से जुड़े लोगों के मुताबिक इन सेंटरों में हॉलमार्किंग के दौरान रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है। इसलिए मामला फंसा हुआ है। फिलहाल सेंटर संचालक राहत के लिए डीपीसीसी के साथ बीआइएस से भी गुहार लगा रहे हैं।
क्या है पेंच?
मामले से जुड़े लोगों के मुताबिक मास्टर प्लान 2021 में ऐसी गतिविधियों को रिहायशी इलाकों में चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जो प्रदूषण फैलाते हो।
- जबकि ये सेंटर मुख्यत: चांदनी चौक के दरीबा कलां व कूचा महाजनी के साथ ही करोलबाग में स्थित है, जो घनी आबादी वाला क्षेत्र है, इसलिए एनओसी का मामला अटक रहा है।
-हॉलमार्किंग सेंटर संचालकों के मुताबिक गहनों का मामला सुरक्षा के दृष्टि से संवेदनशील है। इसके चलते इसे बाजार और बसावट से दूर नहीं कर सकते हैं।
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अप्रैल से बदल जाएंगे हॉलमार्किंग के नियम
सोने के गहनों में निवेश को सुरक्षित रखने और उसकी शुद्धता बरकरार रखने के लिए एक अप्रैल से हॉलमार्किंग के नए नियम लागू होंगे। इसके अनुसार चार की जगह छह अंकों-शब्दों से मिलकर हालमार्क बना होगा। इस छह
डिजिट के यूनिक कोड में गहनों की पूरी जानकारी और उसकी पूरी गारंटी अंकित होगी यानि ग्राहकों को नकली सोने के नाम पर नहीं ठगा जा सकेगा। यह बदलाव इसलिए भी अहम है कि पहले के हॉलमार्किंग कोड में फर्जीवाड़े के मामले सामने आ रहे थे। द बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन, कूचा महाजनी के चेयरमैन योगेश सिंघल के मुताबिक अब, नए कोड के माध्यम से ज्वेलर, सेंटर, लाइसेंस नंबर समेत सभी जानकारियां मिल सकेगी। फर्जीवाड़ा की गुजाइंश कम रहेगी।