Friday, November 8, 2024
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Delhi : मां के पास ही रहेगा दो साल का बच्चा, पिता को सौंपने से दिल्ली HC का इनकार, फैमिली कोर्ट के फैसलों बताया सही


दिल्ली हाईकोर्ट ने दो साल के बच्चे को उसके पिता को सौंपने से इनकार दिया। साथ ही कोर्ट ने बच्चे की जिम्मेदारी मां को देने के आदेश को बरकरार रखा है। पिता को हर महीने के पहले और तीसरे शनिवार को रात भर बच्चे की कस्टडी दी गई है। पीठ ने कहा कि बच्चे की उम्र को ध्यान में रखते हुए आदेश को गलत नहीं ठहराया जा सकता है।


नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने दो साल के बच्चे को उसके पिता को सौंपने से इनकार दिया। साथ ही कोर्ट ने बच्चे की जिम्मेदारी मां को देने के आदेश को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट का आदेश उचित और एकदम संतुलित है और कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी मां को सौंपने के ठोस कारण बताए।

महीने में दो बार पिता के साथ रहने का आदेश

साथ ही हाईकोर्ट ने बच्चे के हित को ध्यान में रखते हुए महीने में दो बार पिता को रात भर बच्चे की कस्टडी की अनुमति दी गई। जस्टिस सुरेस कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि बच्चे की उम्र को ध्यान में रखते हुए आदेश को गलत नहीं ठहराया जा सकता है।

पीठ ने फैमिली कोर्ट के अप्रैल 2023 के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बच्चे की कस्टडी मां दी गई थी। शख्स ने कोर्ट में बच्चे की कस्टडी की मांग करते हुए तर्क दिया कि महिला बच्चे को छोड़कर चली गई थी। उस समय बच्चा मात्र तीन महीने का था। कोर्ट में उसने बताया कि नाबालिग की देखभाल उसके पिता द्वारा की जा रही थी।

फैमिली कोर्ट के आदेश रद्द करने की मांग की थी

उसने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपने पास बच्चे को रखने की मांग की। बहस के दौरान कोर्ट को बताया गया कि उस आदमी ने 2020 में दूसरी महिला से शादी कर ली थी, जबकि पहली पत्नी से उसका तलाक 2023 में हुआ। जहां आदमी और महिला की जून 2020 में शादी हुई, वहीं मार्च 2021 में उनके बेटे का जन्म हुआ।

महिला ने जनवरी 2022 में दावा किया कि उससे शख्स और उसके परिवारवालों ने मारपीट की। महिला ने आरोप लगाया कि पिछले साल मार्च में व्यक्ति और उसके परिवार के लोग गए और जबरदस्ती बच्चे को छीन लिया। इसके बाद महिला ने बच्चे को अपने पास रखने की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने बच्चे की कम उम्र और अन्य सभी तथ्यों पर विचार किया है और व्यक्ति को नाबालिग की कस्टडी मां को सौंपने का निर्देश दिया है। पिता को हर महीने के पहले और तीसरे शनिवार को रात भर बच्चे की कस्टडी दी गई है।

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