निवेशकों में आक्रोश, दी आंदोलन को तेज करने की चेतावनी
दिल्ली दर्पण ब्यूरो
नई दिल्ली। जैसा कि अंदेशा व्यक्त किया जा रहा था कि सहारा रिफंड पोर्टल सहारा के चेयरमैन सुब्रत रॉय को बचाने मात्र के लिए बनाया गया है। दिल्ली दर्पण टीवी ने अंदेशा जताया था कि वेरिफिकेशन में अधिकतर लोगों के फॉर्म रिजेक्ट हो जायेंगे। क्योंकि हस्ताक्षर का मामला सहारा में बड़ा पेचीदा है। कितने अधिकारी तो खुद ही कर्मचारियों और निवेशकों या तो खुद ही कर देते थे वहीं किसी और से भी करा देते थे।
सहारा पैरा बैंकिंग में तो यह प्रमुखता से देखा जाता रहा है। कितने निवेशकों के हस्ताक्षर एजेंट खुद ही कर देते थे। ऐसे में भला उनके हस्ताक्षर कैसे मिलेंगे ? वैसे भी जब से ऑनलाइन हुआ है तब से तो लोग अपने हस्ताक्षर ही भूल गए हैं। ऐसे में रजिस्ट्रेशन के बाद जो वेरिफिकेशन होना था उसमें अधिकतर फॉर्म रिजेक्ट हो रहे हैं।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि आख़िरकार निवेशकों को पैसा मिलेगा कब ? ये तो मामला 10000 रुपए वाला है। जब 10000 रुपए के मामले में यह हाल है तो फिर लोगों को लाखों लाखों रुपए सहारा पर बकाया है। मतलब सहारा निवेशकों को फॉर्मों के वेरिफेकिशन में लगाओ रखो और फिर चुनाव आ जाएगा। चुनाव के बाद फिर किसने देखा कि भुगतान होगा भी या नहीं। वैसे तो सहकारिता मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि वह और पैसे सेबी से रिलीज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करेंगे। मतलब जैसा कि सुब्रत रॉय कहा करते थे कि हमें तो सेबी से पैसा लेना है न कि देना। केंद्र सरकार सुब्रत रॉय की सेबी से पैसे लेने की बात सही साबित करने में लगी है।
दरअसल गत दिनों गृह मंत्री और सहकारिता मंत्रालय देख रहे अमित शाह ने देश की राजधानी दिल्ली में अटल ऊर्जा भवन में सहारा रिफंड पोर्टल को लांच किया तह। तब उन्होंने सहारा निवेशकों के लिए बड़े बड़े दावे किये थे।
अमित शाह ने सहारा ग्रुप को कटघरे में खड़ा करते हुए विभिन्न सोसायटियों का घोटाला करार दिया था। उन्होंने कहा था निवेशकों की गाढ़ी कमाई का जो पैसा सहारा में जमा है। उसकी चिंता सरकार को है। यही वजह रही कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से सेबी के पास जमा सहारा के पैसे में से 5000 करोड़ रुपए रिलीज कराये। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐतिहासिक फैसला लेते हुए लेते हुए सीआरसी के लिए सेबी को 5000 करोड़ रुपए रिलीज करने का आदेश दिया। अमित शाह ने यह भी कहा सहारा मामले में सीबीआई, ईडी से लेकर सुप्रीम कोर्ट भी सक्रिय रहा है पर छूटे निवेशकों की चिंता हर कोई कर रहा है। निवेशकों का पैसा मरने नहीं दिया जाएगा।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि सहारा में घोटाला हुआ है तो फिर सुब्रत रॉय की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही है ? या फिर यदि 3 लाख करोड़ से अधिक पैसा सहारा पर निवेशकों का बताया जा रहा है तो फिर सहरा की सम्पत्ति बेचकर निवेशकों का पैसा क्यों नहीं दिया जा रहा है ? उधर जप तप और ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार ने केन्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। जप तप जहां 25 सितम्बर को मिशन भुगतान यात्रा का स्थापना दिवस मना रहा है। 5 सितम्बर को राजस्थान, 8 को मध्य प्रदेश, 11 छत्तीसगढ़ और 13 को लखनऊ विधानसभा का घेराव करने जा रहा है वहीं ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष 26 को रांची में तो 3 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में प्रोटेस्ट करने जा रहा है। निवेशकों के भुगतान को लेकर दोनों ही संगठनों का सभी सरकारों पर गुस्सा व्याप्त है।
इस बारे में जब रंग दे बसंती के अध्यक्ष इंद्रवर्धन राठौर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि 95 फॉर्म रिजेक्ट हो गए हैं। उन्होंने कहा यह सब पैसा न देने के हथकंडे हैं। अमित शाह ने सहारा निवेशकों को बेवकूफ बनाया है। बीके श्रीवास्तव ने भी अधिकतर फॉर्म के रिजेक्ट होने की बात कही है।