17 महीने से वेतन न मिलने से रांची स्थित एचईसी के इंजीनियर हो चुके हैं कर्जदार, बेचने पड़ गए हैं पत्नियों के मंगलसूत्र भी
चरण सिंह राजपूत
जो लोग समझ रहे हैं कि पीएम मोदी देश को ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। जो लोग समझ रहे हैं कि हम जैसे पत्रकारों का काम बस पीएम मोदी की आलोचना करना ही रह गया है। जो लोग समझ रहे हैं कि मोदी से पहले देश में कोई काम ही नहीं हुआ। जो लोग समझ रहे हैं कि मोदी के हाथों में देश सुरक्षित है। वे लोग जमीन पर आकर जरा जमीनी हकीकत समझें। मोदी के क्रियाकलाप उन्हें एक घटिया प्रधानमंत्री की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दे रहे हैं। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर मोदी ऐसा दर्शा रहे हैं कि जैसे उन्होंने चंद्रयान से जुड़े इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के लिए खजाने के द्वार खोल दिए हों। बहुत कम लोगों को पता होगा कि चंद्रयान-3 से जुड़े मिशन में लगे काफी इंजीनियरों को कर्ज लेकर अपना घर चलाना पड़ रहा है।
पीएम मोदी की जमीनी हकीकत यह है कि ये महाशय गरीब आदमी को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाकर भूखे मरने को मजबूर कर रहे हैं और इन्हीं लोगों की खून पसीने की कमाई पर खुद मौज मस्ती कर रहे हैं और देश को अमीर मित्रों को लुटवा रहे हैं। गरीबी का मुखौटा लगाकर अमीरों की जिंदगी जी रहे हैं। देश को बड़े खतरे की ओर धकेल रहे हैं।
ये महाशय कितने शातिर हैं, इस बात का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस चंद्रयान-3 के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने पर ये इतराते घूम रहे हैं। उस चंद्रयान-3 के मिशन को पूरा करने वाले इंजीनियर किस हाल में हैं, इससे इनको कोई मतलब नहीं।
क्या पीएम को थोड़ा सा भी एहसास है कि इस चंद्रयान-3 का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन, रांची) के इंजीनियरों ने भूखे-प्यासे रहकर अपने परिवार को भूखे रखकर, कर्जा लेकर, पत्नियों के मंगल सूत्र बेचकर इस मिशन को पूरा किया है। ]क्या एचईसी केंद्र सरकार के अधीन नहीं आती है ? चंद्रयान-3 के लिए लॉन्च पैड की आपूर्ति करने वाले सार्वजनिक उपक्रम एचईसी के इंजीनियरों को 17 महीने से वेतन नहीं दिया गया है। दरअसल इन इंजीनियरों ने चंद्रयान-3 लॉन्च पैड बनाया है। कहा गया है कि सार्वजनिक उपक्रम वित्तीय संकट में है। इसरो के किसी भी कर्मचारी को वेतन संबंधी समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है।
17 महीने से तो सरकार तो मोदी की ही है न ? चंद्रयान-3 का श्रेय लेने वाले मोदी को इस बात की चिंता नहीं है कि जिन इंजीनियरों ने देश के मिशन के सामने अपने दुःख और दर्द को भुला दिया उनके प्रति थोड़ी सी सहानुभूति भी उन्होंने दिखाई होती। ऐसा भी नहीं माना जा सकता है कि पीएम मोदी को इनके वेतन न मिलने की बात पता न हो। इन लोगों ने वेतन के लिए खूब आंदोलन कर लिया पर पीएम मोदी के कानों पर जूं तक न रेंगी। निर्लज्जता की पराकाष्ठा तो यह है कि चंद्रयान-3 की इस बड़ी उपलब्धि के बाद इन इंजीनियरों के वेतन न मिलने का मुद्दा खूब उठ रहा है पर हमारे पीएम हैं कि उन्हें कोई चिंता नहीं। इतना ही नहीं राष्ट्रवाद का राग अलापना वाले मोदी ने इस वर्ष पारित बजट में अंतरिक्ष विभाग के बजट में बड़ी कटौती की है।
जब एक निजी टीवी चैनल के रिपोर्टर ने इन इंजीनियरों से बात की तो तो पता चला कि कोई इंजीनियर कर्जा लेकर अपना गुजारा कर रहा है तो किसी को अपनी पत्नी के जेवर तक बेच देने पड़े। एक इंजीनियर को तो खर्चे के लिए अपनी पत्नी का मंगलसूत्र ही बेच देना पड़ा। कुल मिलाकर ये इंजीनियर अपना रोना रो रहे हैं और पीएम सिसायत में मग्न हैं।