नई दिल्ली। दिल्ली के High court ने कहा कि पत्नियों को कमजोर कहना पूरी महिला जाति का अपमान है। पत्नी के जीविकोपार्जन के लिए समक्ष होने का मतलब यह नहीं है कि पति उसे भरण पोषण देने से मुक्त है और उसे कमजोर कहेगा। ऐसा बोलने पर पूरी महिला जाति का यह अपमान है।
महिला जाति का यह अपमान High court
हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय महिला पूरे दिन काम करती है। यह अपने परिवार की देखभाल करती है। अपने बच्चो की जरूरतों को पूरा करती है। अपने पति के साथ मिलकर काम करती है। हर पल साथ कड़ी रहती है और साथ ही अपने माता-पिता की देखभाल के लिए अपनी नौकरी छोड़ देती है। इतना करने के बावजूद भी उनको कामचोर या मुफ्तखोर कहा जाता है।
याचिकाकर्ता पत्नी ने अपने पति के बारे में बताया है कि उसने अपनी पत्नी व बच्चों को छोड़ कर दूसरी महिला के साथ जा कर रहता है, जिससे पत्नी को मानसिक यातना अवसाद और भावनात्मक संकट समेत उसे लगी चोटों के लिए पांच लाख रुपए देने का भी आदेश है।
निचली अदालत ने पत्नी के भरण-पोषण के रूप में 30 हज़ार रुपए माह देने का आदेश दिया था। साथ ही मुआवजे के रूप में तीन लाख रुपए देने का भी आदेश दिया।
पूनम कोरी दिल्ली दर्पण