पत्रिका संवाददाता
नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के दिन किसान आंदोलनकारियों की हरकतों के बाद किसान संगठनों पर सख्ती दिखाते हुए दिल्ली पुलिस ने उनके नेताओं पर कई एफआईआर के बाद लगा कि किसान आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा। सिर्फ किसान ही नहीं, बल्कि छह पत्रकारों के खिलाफ भी राजद्रोह का केस दर्ज किया गया और पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर से किसानों को हटाने के प्रयास भी किए। बिजली, पानी और अस्थाई टायलेट की व्यवस्था तक हटा ली गई। किंतु राकेश टिकैत के आह्वान पर लिखे जाने तक उत्तर प्रदेश से और किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए चल पड़ थे। 28 जनवरी की रात दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच गाजीपुर बॉर्डर से किसानों को हटाने की पुलिस और प्रशासन ने पूरी कोशिश की। वहां बिजली और पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई। किसान नेताओं को उस जगह को खाली करने का नोटिस दिया गया करीब 10,000 पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया। हालांकि किसान धरने पर डटे रहे। किसानों ने रात टेंट में नहीं सड़क पर ही गुजारी।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत टेलीविजन पर बोलते बोलते रो पड़े और यह दृश्य देख कर उत्तर प्रदेश से और बड़ी संख्या में किसान उनका साथ देने दिल्ली के लिए निकल पड़े। अगले दिन 29 जनवरी की सुबह होते-होते गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों और उनके समर्थकों की भीड़ बढ़ गई। मजबूर हो कर पुलिसकर्मियों को वहां से हटा लिया गया। प्राप्त जनकारी के अनुसार उनका साथ देने के लिए उत्तराखंड और हरयाणा से भी कई किसान गाजीपुर बॉर्डर की तरफ निकल पड़े। किसान संगठनों ने आंदोलन को जबरन खत्म करने के सरकार के इस प्रयास की निंदा की और कहा कि आंदोलन अभी भी जारी है।
किसान आंदोलन कमजोर नहीं हुआ है यह साबित करने के लिए सिंघु बॉर्डर पर करीब 15 किलोमीटर लंबी सद्भावना रैली निकाली गई.। हालांकि वहां भारी संख्या में पुलिस और अर्ध-सैनिक बलों को तैनात कर दिया गया है। विपक्षी राजनीतिक पार्टियां भी किसानों को समर्थन दे रही हैं। राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चैधरी राकेश टिकैत का साथ देने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ गाजीपुर बॉर्डर जा पहुंचे हैं। आम आदमी पार्टी भी किसान आंदोलन को समर्थन की घोषणा कर चुकी है और पार्टी के कई नेता आज अलग अलग बॉर्डरों पर जा कर किसानों को अपने समर्थन का प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। किसानों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करने के लिए कम से कम 16 पार्टियों ने को संसद में हुए राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया।
दूसरी तरफ 26 जनवरी को किसान परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस ने नोएडा के एक थाने में कांग्रेस सांसद शशि थरूर और कम से कम छह पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह और अन्य आरोपों के तहत मामले दर्ज किए हैं. इन पत्रकारों में राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडे, जफर आगा, परेश नाथ, अनंत नाथ और विनोद जोस शामिल है। पुलिस का कहना है कि इन सभी के खिलाफ भ्रामक खबरें फैलाने की शिकायत मिली थी।इन सभी के खिलाफ सिर्फ नोएडा में ही नहीं, बल्कि भोपाल में भी एक एफआईआर दर्ज की गई है. एडिटर्स गिल्ड ने इन एफआईआरों की निंदा की है और इन्हें स्वतंत्र मीडिया को डराने, परेशान करने और दबाने की कोशिश बताया है.
तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों की रद करने की मांग को लेकर जहां सिंघु बॉर्डर पर 29 जनवरी को किसानों का विरोध प्रदर्शन 65वें दिन में प्रवेश कर गया है। वहीं, दिल्ली से सटे नोएडा में भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति ने नरेश टिकैत को अपना नैतिक समर्थन दिया है। साथ ही कहा है कि किसान आंदोलन के लिए अगले आदेश का इंतजार करें। कभी भी संगठन की ओर से नया आदेश जारी हो सकता है। दिल्ली में बवाल के बाद छिजारसी टोल प्लाजा पर पुलिस की मुस्तैदी बढ़ा दी गई । यूपी बार्डर की तरफ जा रहे किसानों को पुलिस द्वारा रोका गया और उनका नाम-पता रजिस्टर में अंकित करने के बाद उन्हें उनके गृह क्षेत्र में लौटा दिया गया। इस दौरान पुलिस अधिकारियों और किसान नेताओं के बीच कहासुनी भी हुई।
विपक्षी दलों ने दिया आंदोलन का साथ
सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन व दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा को आंदोलन स्थल पर जाने से पुलिस ने रोक लिया। इससे वहां पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई। वहीं, दिल्ली सरकार द्वारा पानी आपूर्ति करने पर राकेश टिकैत ने शुक्रिया अदा किया है। वहीं, यूपी गेट पहुंचे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सिख कौम कट्टर देशभक्त है और उसे बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पानी की सुविधा रात को ही उपलब्ध करवा दी गई थी। साथ ही कहा कि 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा की जांच की जानी चाहिए। भाजपा के लोग किसानों को बदनाम कर रहे हैं। पुलिस को जांच करनी चाहिए कि 26 जनवरी को किसानों को किसने भड़काया? मनीष सिसोदिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार किसानों के साथ है। जो लोग किसानों का विरोध कर रहे हैं वह भाजपा के लोग हैं।
वहीं यूपी बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदर्शनकारियों ने मोर्चा संभाल लिया है और वह किसानों के साथ धरने पर बैठे हैं। शुक्रवार को जारी धरने के बीच राकेश टिकैत ने अहम बयान में कहा है कि हम यह जगह खाली नहीं करेंगे। हम अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार से बात करेंगे और अपना पक्ष रखेंगे। साथ ही राकेश टिकैत ने लोगों से अपील की है कि वे शांति बनाए रखें। इसी बीच राष्ट्रीय लोकदल के पूर्व सांसद जयंत चैधरी भी गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने राकेश टिकैत से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने कहा कि प्रशासन पर किसानों का हटाने के लिए दबाव है, लेकिन प्रदर्शनकारी जगह खाली नहीं करेंगे। इस मुद्दे को संसद में उठाया जाना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों के मुद्दे पर बोलना चाहिए। उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग ने सुबह गाजीपुर बॉर्डर पर जमा किसानों के लिए बिजली आपूर्ति बहाल कर दी। बताया जा रहा है कि विभाग की ओर से यह चुपचाप किया गया है। पिछले 2 महीने से भी अधिक समय से चल रहे किसान आंदोलन के चलते दिल्ली-एनसीआर के 60,000 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हो चुका है। कई लोगों की नौकरी जा चुकी है।