मनोज सूर्यवंशी, संवाददाता
फरीदाबाद।। जानवरों को मारने वाला कोई भी व्यक्ति अब 50 रुपये का जुर्माना भरकर भाग नहीं सकता, इसके लिये उस निर्मम व्यक्ति को 75 हजार रूपये का जुर्माना और 5 साल की सजा हो सकती है। सरकार सजा को और अधिक सख्त बनाने के लिए पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के 60 साल पुराने संशोधन पर प्रस्ताव ला रही है। जिसके लिये मेनिका गांधी की संस्था पीपल फाॅर एनिमल की फरीदाबाद अध्यक्ष प्रीती दुबे ने सराहना की है और कहा कि इस एक्ट में बदलाव के बाद लोग डरेंगे और जनवरों पर अत्याचार कम होगा।
कुत्तों से लेकर बिल्लियों तक, घोड़ों से लेकर हाथियों तक, सब पर इंसानों ने क्रूरता की हद पार की है। लेकिन भारत में इसकी सजा बहुत कम है। मगर अब जल्द ही बदलाव किया जा रहा है। सरकार ने एक मसौदा तैयार किया है, मसौदे में तीन श्रेणियों में अपराधों का प्रस्ताव दिया गया है। मामूली चोट, स्थायी विकलांगता के कारण बड़ी चोट, और क्रूर व्यवहार के कारण एक जानवर की मौत – और विभिन्न अपराधों के लिए 750 रुपये से लेकर 75,000 रुपये तक का जुर्माना और पांच साल तक की जेल की सजा।
मौजूदा कानून में किसी भी जानवर की पिटाई, लात मारना, यातना देना, भूख से मरना, ओवरलोडिंग, ओवरराइडिंग और उत्पीड़न जैसे क्रूरता के किसी भी कार्य के लिए 10 से 50 रुपये के बीच जुर्माना लगाया जाता है। इसमें क्रूरता के लिए विभिन्न प्रकार के अपराध नहीं हैं। राज्यसभा में संसद के एक प्रश्न के लिखित जवाब में, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, सरकार ने 60 साल पुराने प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट (पीसीए) में संशोधन के लिए एक मसौदा तैयार किया है। अधिक कठोर दंड पेश करके पीसीए, 1960 में संशोधन की आवश्यकता को सरकार द्वारा मान्यता दी गई है।
इस एक्ट में संसोधन से पीपल फाॅर एनिमल संस्था की जिला अध्यक्ष प्रीती दुबे ने खुशी जाहिर की है और कहा कि इस एक्ट में कठोर दंड का प्रावधान होने से समाज में बदलाव आयेगा, जब लोगों को लंबी सजा और बडा जुर्माना भरना पडेगा तो पशुओं पर अत्याचार करने से डरेंगे जो कि बहुत जरूरी है।