Friday, November 22, 2024
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भारत के मतदाताओं के हाथ में है भारत का भविष्य – भारतीय मतदाता संगठन ( रिखब चन्द जैन, संस्थापक )

-दिल्ली दर्पण ब्यूरो 

दिल्ली। भारतीय मतदाता संघठन के संस्थापक रिखब चंद जैन ने पांच राज्यों के चुनावों को महापर्व की संज्ञा देते हुए मतदाता संघठन से जुड़े पदाधिकारियों ,कार्यकर्ताओं और मतदाता मित्रों से अपील की है कि चुनाव के इस अवसर पर मतदाता जागरण का पूरी निष्ठा के साथ का करें ताकि भारत के लोकतंत्र को बचाने एवं उसको मजबूत कर लोक कल्याणकरी बनाने का मार्ग प्रशस्त हो सके।

 15 जनवरी को भारतीय मतदाता संघठन की 7 वीं वर्षगांठ पर संघठन से जुड़े लोगों से अपील करते हुए डॉ रिखब चंद जैन ने कहा की भारत के लोकतंत्र में मतदातों के सजग होने की बहुत आवश्यकता है। आज की राजनैतिक पार्टियां देशहित में नहीं बल्कि पार्टी हित में काम करती ज्यादा नजर आ रही है। सत्ता पाने और चुनाव में जीत के लिए आपराधिक छवि के लोगों को चुनाव में टिकट दे रही है। मतदाता संघठन जैसे तमाम संस्थाओं द्वारा बार बार आग्रह किये जाने के बावजूद भी पार्टी ऐसा करने से बाज नहीं आ रही है। भारत के समस्त मतदाताओं का ही 40 साल में अब तक बने तमाम आयोग और सुप्रीम कोर्ट तक तक यह निवेदन कर चुकी है की राजनैतक पार्टियां ऐसा न करें,लेकिन कोइ भी राजनैतिक पार्टी ऐसा कानून नहीं बनाना चाहती।

 मतदाता संघठन संस्थापक श्री रिखब चंद जैन ने अफ़सोस जाहिर करते हुए कहा कि अब तो चुनाव में सारा खेल पैसे, बाहुबल का हो गया है। पैसा फैंको टिकट लो ,पैसा फैंको चुनाव जीतो ,वोटर को महंगे महंगे गिफ्ट दो , जैसे मर्ज़ी और असंभव व झूठे वादे करो और चुनाव जीत जाओ। किसी पर कोई रोक नहीं कोई अंकुश नहीं। ऐसे हालात में किसी भी योग्य और निस्वार्थी व्यक्ति का चुनाव जीतना शत प्रतिशत असंभव है। यही वजह है की विधान सभा और लोक सभा में अपराधी छवि के लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। भारत के संविधान में पार्टी के क्रियाकलापों के बारे में कुछ भी नहीं है, कोई अंकुश नहीं है, कोई निर्देश नहीं है, सब कुछ चुनाव आयोग के हाथ में है। संविधान बनाने के समय संविधान निर्माताओं ने समझा कि लोगों के प्रतिनिधि राष्ट्र के लिए समर्पित हैं। अपना जीवन अर्पित किया है। इसलिए वह समझदार हैं और अपने आप अच्छा काम करेंगे। लेकिन धीरे-धीरे यह जमीन सरक गई और लोगों का विश्वास राजनेताओं से खत्म हो गया। आज के समय में राजनेताओं की इज्जत, राजनेताओं की रैंकिंग, लोकप्रियता में 20 व्यवसायों में सबसे नीचे है।

मतदाता संघठन संस्थापक डॉ रिखब चंद जैन ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में विशेषकर जब सरकार कोर्ट की बात नहीं सुन रही है, तो सारी जिम्मेवारी भारत के मतदाताओं पर आ जाती है। भारत के मतदाता जागरूक हैं लेकिन वे अधिकत्तर धर्म और जाति, क्षेत्र के बहकावे में आ जाते हैं। वोट बेचना और वोट खरीदना दोनों ही अपराध है, पर यह धंधा धड़ल्ले से चलता है, सब कोई जानते हैं।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक वोट अवश्य दें। यह उनका अधिकार भी है और कर्तव्य भी। वोट सोच-समझ कर करें। आपके पड़ोसी मित्र जो वोट देने ना जाएं तो उनको मतदाता मित्र बनकर, वोट देने के लिए प्रेरित करें। तभी शत प्रतिशत वोटिंग होगी। भारत में करीब 30 से 40% लोग वोट नहीं करते हैं। इससे सही निर्णय चुनाव में नहीं हो पाता है, और गलत लोग पाला करके जीत जाते हैं। पाला बंदी करके जीत जाते हैं। वोट बैंक पालते हैं। वोट बैंक कायम रखने के लिए चुने हुए प्रतिनिधि सरकार में गलत काम के लिए भी हाँ कर देते हैं।

भारतीय मतदाता संगठन ने अनेक वर्षों से ई वोटिंग के लिए सभी नागरिकों को सुविधा देने का निवेदन किया। इससे वोटिंग की प्रक्रिया बहुत सरल हो जाएगी। वोटिंग को आधार कार्ड से जोड़कर जिस तरह बड़े कॉर्पोरेट भी वोटिंग करवाते हैं उसी तकनीक से एक-एक चुनाव क्षेत्र में वोटिंग करवाई जा सकती हैं। हमारे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने भी इसके लिए अनेक वर्ष पहले सिफारिश की थी। अगर शत प्रतिशत नहीं तो 95% भी वोटिंग हो तो चुनाव के परिणाम बहुत अच्छे होंगे, और देश के बहुसंख्यक मतदाताओं को लोकतांत्रिक अधिकार मिल सकेंगें। इतने बड़े देश में अनिवार्य वोटिंग करना संभव नहीं है फिर भी सरकार वोट नहीं करने वालों को कुछ सुविधाओं से वंचित कर सकती हैं, या कुछ वोट करने वालों को इंसेंटिव दे सकती हैं। इसके लिए गहन अध्ययन की जरूरत है। ई-वोटिंग होने से पोलिंग बूथ पर भीड़ कम होगी और उसकी व्यवस्था बहुत सूक्ष्म रह जाएगी। रिजल्ट तुरंत आएंगे। वोट की गिनती और ईवीएम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की सुरक्षा या उसे बदलने या कुछ गलत करने की संभावना पूरी तरह खत्म हो जायेगी।

इस बार चुनाव आयोग ने बहुत ही प्रशंसनीय कदम उठाए हैं कि चुनाव की रैली नहीं होगी। पोस्टर बैनर नहीं लगेंगे। इससे अब जनता को रैली की परेशानियां, पुलिस बंदोबस्त की परेशानियां नहीं रहेगी। वर्षों पहले चुनाव आयुक्त टी.एन. सेशन ने ऐसा किया था उन्होंने रैली बंद नहीं की थी सिर्फ पोस्टर लगाने, होर्डिंग लगाने आदि बंद करवाए थे। आगे के लिए रैलियां, पद यात्रा आदि हमेशा के लिए बन्द कर दिया जाए तो अच्छा होगा। इ-कन्वर्सिंग (प्रचार) एक नई शुरुआत हो रही है। चुनाव का खर्च भी कम होगा। सोशल मीडिया के माध्यम से अनेक सुविधा के साथ चुनाव के प्रत्याशी जनसंपर्क कर सकेंगे।

इसके लिए सोशल मीडिया अनेक पार्टियां सशक्त रूप से तैयार कर चुकी हैं। कुछ लोग इस विषय पर परेशानी बता रहे हैं कि सभी पार्टियों को, सभी प्रत्याशी को एक समान जनसंपर्क अवसर नहीं मिल पायेगा। ऐसा सोचना और भ्रम करना गलत है। अगर सिर्फ सोशल मीडिया के माध्यम से जनसंपर्क करने का निर्देश नहीं भी दे, तो भी सारी पार्टियां और सारे प्रत्याशी के पास न तो एक-सा संगठन है और नहीं एक-सा खर्च करने की ताकत होती है तो बात तो वही रही। इसलिए रैली द्वारा, पब्लिक मीटिंग द्वारा जनसंपर्क कार्यक्रम चुनाव संहिता के अंदर मान्य नहीं हो।

अभी कई प्रबुद्ध लोगों ने समाचार पत्रों में चुनाव खर्च की सीमा खत्म करने का सुझाव दिया है ऐसा करना बिल्कुल गलत होगा क्योंकि फिर तो सिर्फ गलत लोग ही बेलगाम असीमित चुनाव खर्च कर सकेंगे और सत्ता ले लेंगे। ईमानदार प्रत्याशी, निस्वार्थ प्रत्याशी, देश सेवा के लिए आगे आने वाले प्रत्याशी के लिए चुनाव लड़ना असंभव हो जाएगा। मैं याद दिलाना चाहता हूं इंदिरा गांधी को न्यायपालिका ने सीमा से अधिक चुनाव खर्च करने के लिए पद से हटा दिया था। भारत की सत्ता तख्त पलट गया था। ऐसे सशक्त हथियार को चुनाव आयोग अगर बड़ी शक्ति के साथ प्रयोग करें और प्रत्येक राज्य में पचासों लोगों को अपदस्थ करें तो लोग चुनाव खर्च सीमा के अंदर करेंगे। मिजोरम राज्य में राजनीतिक पार्टियों ने और प्रत्याशी लोगों ने चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाने की बजाय घटाने का अनुरोध किया। यह अनुकरणीय है। अभी तो प्रत्येक प्रत्याशी अनाप-शनाप खर्च करता है और झूठा हिसाब पेश कर करता है। 

मैं इसलिए सभी नागरिकों को, मतदाता मित्रों को, मतदाताओं को एवं सभी स्वयंसेवी संगठनों को निवेदन करना चाहता हूं कि सभी पूरी शक्ति लगाकर काम करें। चुनाव के महापर्व में प्रत्येक मतदाता समझदारी से वोट देकर लोकतंत्र में अपने भविष्य के लिए अच्छी सरकार चुने। निस्वार्थी लोगों की सरकार बनाएं न कि सत्ता के लालची लोगों की, ना कि अपराधी लोगों की, ना कि घर भरने वाले लोगों की।

उन्होंने कहा कि चुनाव समाप्त होने के बाद, भारतीय मतदाता संगठन के सभी कार्यकर्ता वर्ग भारत में लोकतंत्र के सुधार के लिए और चुनाव के सुधार के लिए बड़े-बड़े सिलेब्रिटीज़ को आगे करके आवाज उठाएं।  याद रखिए दुनिया भर में राजनेता लोग लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ाने में लगे हुए हैं। भारत में अभी तक समय है व्यवस्था को सुदृढ़ और सही करने के लिए। गलत तरीके चुनाव में बंद हो। गलत लोग सत्ता के अधिकारी न बन सके। इसके लिए आवश्यक चुनाव प्रक्रिया में, संविधान में और जनप्रतिनिधि कानून में आवश्यक बदलाव अगले लोकसभा चुनाव से पहले होने चाहिए। अन्यथा भारत का भविष्य गड़बड़ हो जायेगा। भारतीय मतदाता संगठन में, और सशक्त लोग जोड़ें और और ऐसे सभी संगठन एकजुट होकर प्रभावी तरीके से सरकार को आवश्यक बदलाव के लिए बाध्य करें। ऐसा करना राजनीतिक पार्टी और राजनीतिज्ञों के लिए भी अच्छे भविष्य का रास्ता है। जनता और देश का तो है ही। सही सच है कि भारत का भविष्य भारतीय मतदाताओं के हाथ में हैं। अच्छा लोकतंत्र ही आज के युवकों का भविष्य विधाता होगा। 

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